Ranchi : हेमंत सोरेन सरकार द्वारा बीते 31 मार्च को कैबिनेट से ‘झारखंड मदिरा का भंडारण एवं थोक बिक्री नियमावली, 2022’ की स्वीकृति मिली थी. अब इस नियमावली को असंगत, अस्पष्ट, अपारदर्शी एवं अवैध बताया गया है. सरकार ने 6 अप्रैल को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नयी नियमावली पर लोगों से शिकायत और सुझाव मांगा था. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ के सचिव सह सामाजिक कार्यकर्ता सुबोध कुमार जायसवाल ने मांगे गये सुझाव पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने अपनी आपत्ति उत्पाद आयुक्त को भेजी है.
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प्रेस बयान जारी कर सुबोध जायसवाल ने बिंदुवार कई आपत्ति बतायी है
(1) उत्पाद नियमावली, 2022 को उत्पाद अधिनियम की धारा 89, 90, 16 एवं 20 के तहत बनायी गई है. धारा 16, 20 और 90 राज्य सरकार को नियम बनाने की शक्ति नहीं देता है. अधिनियम में शराब के भंडारण एवं थोक बिक्री के लिए नियम बनाने की शक्ति बोर्ड ऑफ रेवेन्यू को है. मीडिया में आयी खबर के मुताबिक, नियमावली का प्रारूप बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के समक्ष लाया गया तो बोर्ड द्वारा कई बिन्दुओं पर आपत्तियां उठाई गयी थी. इसलिए नियमावली के गठन का प्रस्ताव दोबारा बोर्ड को नहीं भेजी गयी. फिर विभाग द्वारा अधिनियम की धाराओं को मिसकोट कर नियमावली पर कैबिनेट से स्वीकृति ली गयी. स्पष्ट है कि गठित नियमावली अधिनियम के उपबन्धों के अनुरूप नहीं है.
(II) झारखंड मदिरा का भंडारण एवं थोक नियमावली का नियम 3 कहता है कि मदिरा के संचय का अनन्य विशेषाधिकार झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटिड (JSBCL) को दिया जायेगा. दूसरी ओर नियम 2 (ix) में ‘संचयकर्त्ता’ शब्द की परिभाषा दी गई है. “संचयकर्त्ता” से आशाय है, वैसे व्यक्ति, कंपनी, फर्म, जिन्हें उत्पाद प्रपत्र 1C के तहत मदिरा के संचय की लाइसेंस जारी की गयी है. नियमावली के इन दोनों उपबन्धों में प्रत्यक्ष विरोधाभास है.
(III) नियमावली के नियम 2(x) में थोक विक्रेता को परिभाषित कर कहा गया है कि वैसा संस्थान, जिन्हें उत्पाद प्रपत्र 1D में शराब की थोक बिक्री शराब का लाइसेंस दिया गया है. संस्थान एक व्यापक पद है, जिसमें कंपनी, फर्म, निगम, निजी क्षेत्र के उपक्रम (चाहे वे कम्पनी अधिनियम के अधीन पंजीकृत हो या नहीं) शामिल हैं. जबकि नयी नीति के प्रावधानों के तहत कोई निजी व्यक्ति भी प्रपत्र 1D में शराब का लाइसेंस ले सकता है.
(iv) कैबिनेट में लाये प्रस्ताव में प्रावधान था कि उत्पाद कर का भुगतान थोक लाइसेंस द्वारा किया जाएगा. लेकिन नियम 12 में उपबंध किया गया है कि थोक विक्रेता द्वारा गोदाम में नन ड्यूटी पेड द्वारा शराब (मदिरा) का संचय किया जाएगा. यह उपबंध नीतिगत निर्णय के विरोध में है.
सुबोध कुमार जायसवाल का कहना है कि उपरोक्त आपत्ति से साफ है कि शराब बिक्री की बनायी गयी नियमावली अस्पष्ट, अपारदर्शी एवं अवैध है. साफ पता चलता है कि झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के बैनर तले शराब का सारा व्यापार निजी व्यक्तियों, कम्पनियों, फर्मों द्वारा संचालित किया जायेगा. इससे इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता, कि जनता की आंखों में धूल झोंक कर सरकार पिछले दरवाजे से अपने चहेते को शराब का व्यापार देना चाहती है.
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