Surjit Singh
8 दिसंबर को अखबारों में दो महत्वपूर्ण खबर है. दोनों खबरें जमीन घोटाले से जुड़ी हुई हैं. तीन मामलों में रांची डीसी पर आरोप है कि भू-राजस्व विभाग के बार-बार कहने पर भी कार्रवाई नहीं हुई. इसलिये सचिव ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनायी है. एक अन्य मामला भी जमीन लूट का है. भू-माफिया कांके के जुमार नदी की जमीन को समतल बनाकर प्लॉटिंग कर रहा है. रांची आयुक्त ने इसकी जांच का आदेश दिया है.
जांच का आदेश तो मीडिया में आ गया. जांच होगी भी. पर, असल सवाल यह है कि सरकार और सिस्टम क्या कर रहा था. वह क्यों बेशर्मी की चादर ओढ़े सोता रहा.
कांके के लॉ कॉलेज के पास जुमार नदी की जमीन को समतल बनाने का काम कोई रात के अंधेरे में या एक-दो दिन में नहीं हुआ है. बाजाब्ता दिन-दहाड़े हुआ है और महीनों से यह काम चल रहा था. पर, सिस्टम सोया रहा.
lagatar.in ने जब किस्तों में इसे लेकर खबरें प्रकाशित की, तब प्रशासन की नींद खुली. सर्किल इंस्पेक्टर ने कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी. भू-माफियाओं की हिम्मत इससे भी नहीं टूटी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी काम जारी रहा. बाद में डीसी ने रिवर व्यू गार्डेन की जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगायी. लेकिन काम तब भी जारी रहा. सवाल उठता है कि आखिर वो कौन प्रभावशाली लोग हैं, जिनकी छत्रछाया में कार्रवाई और काम दोनों चलता रहा.
रिवर व्यू गार्डेन को लेकर जिस भू-माफिया का नाम सामने आया है, उसका नाम कमलेश है. कमलेश का नाम कांके स्थित पुलिस हाउसिंग कॉलोनी के लिए हुए जमीन घोटाले में भी सामने आया था. तब यह तथ्य भी सामने आया था कि कमलेश को एक बार ट्रैफिक पुलिस ने फर्जी नंबर प्लेट लगी महंगी कार के साथ पकड़ कर अरगोड़ा थाना को सौंपा था, बाद में सीनियर पुलिस अफसर के कहने पर वह और गाड़ी दोनों छूट गयी. ध्यान रहे, पुलिस हाउसिंग कॉलोनी में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय समेत कई अफसरों की जमीन है.
ऐसे में मीडिया में आयी खबर के बाद यह तो जरुर पता चल रहा है कि जांच होगी. पर कार्रवाई भी होगी, इसमें शक है. क्योंकि जो सिस्टम महीनों तक सोया रहा. जिस सिस्टम में शामिल अफसरों को पैसे के बल पर मैनेज करके गैरमजरुआ जमीन व सीएनटी की जमीन की लूट होती रही, तब वह चुप रहे, तो क्या अब उसी सिस्टम के लोग कठोर कार्रवाई कर पायेंगे. उम्मीद कम ही है.
बहरहाल, सरकार के सचिव और रांची के आयुक्त ने जांच का आदेश दिया है, तो सरकार व अफसर इसे अंजाम तक पहुंचायें. बेशर्मी की चादर ओढ़ने वाले अफसरों पर कार्रवाई करें. तभी सरकार और सिस्टम का इकबाल बना रह पायेगा.
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