Ranchi : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में कोलकाता में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मांग किया है कि केंद्र सरकार रक्षा मंत्रालय को निर्देश दे कि वे अपने रेजिमेंट में एक आदिवासी का रेजिमेंट गठन करें. बैठक मुख्यमंत्री ने झारखंड राज्य संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सरकार की मांगों को रखा.
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जानें क्या की मांग
- झारखण्ड का विभिन्न कोयला कंपनियों जैसे CCL, BCCL, ECL पर कुल 1,36,000 बकाया राशि का शीघ्र भुगतान कराया जाये.
- बंद खदानों का विधिवत माइंस क्लोजर कराया जाये. इससे पर्यावरण की सुरक्षा हो सकेगी एवं अवैध खनन पर भी रोक लग सके.
- साहेबगंज को मल्टी मॉडल टर्मीनल के रूप में विकसित किया जा रहा है एवं भविष्य में यह पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गेटवे बनेगा. यहां पर एयरपोर्ट का निर्माण कराया जाये.
- रेलवे को सर्वाधिक आय झारखंड राज्य से मिलता है. राज्य में रेलवे का एक भी जोनल मुख्यालय नहीं है. झारखंड में रेलवे का जोनल मुख्यालय स्थापित करने का निर्देश दिया जाये.
- केंद्र प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में विगत दस वर्षों से भारत सरकार द्वारा कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. मंहगाई को देखते हुए इस राशि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है.
- वन (सरंक्षण) नियम, 2022 में ग्राम सभा के अधिकार को समाप्त किया गया है. उससे पूरे देश के 20 करोड़ आदिवासी एवं वनों में पीढ़ियों से निवास करने वाले लोगों के अधिकारों का घोर अतिक्रमण हुआ है. उनके अधिकारों की रक्षा के लिए इसे वनाधिकार अधिनियम 2006 के अनुरूप संशोधित किया जाये.
- प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्य के लगभग 8 लाख 35 हजार परिवार इसके लाभ से अभी भी वंचित हैं. इन सभी को आवास स्वीकृत करने का निर्देश ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिया जाये.
- झारखंड जैसे उग्रवाद प्रभावित एवं गरीब राज्य में सीएमपीएफ की प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्र के द्वारा राज्य सरकार से राशि के भुगतान की मांग नहीं की जानी चाहिए.
- जीएसटीआर कंपनसेशन की अवधि को अगले 5 वर्षों तक बढ़ाया जाये अन्यथा झारखंड को प्रत्येक वर्ष लगभग पांच हजार करोड़ रूपये का नुकसान होने के संभावना है.
- भारत का इतिहास आदिवासियों के बलिदान से भरा पड़ा है. लेकिन इनकी वीरता को वह पहचान नहीं मिल पाई जिसके वह हकदार हैं. इसलिए सेना में आदिवासी रेजिमेंट के गठन का निर्देश रक्षा मंत्रालय को दिया जाए.
- 5 हेक्टेयर तक वन भूमि के उपयोग के लिए राज्य सरकार के द्वारा स्वीकृत किये जाने के पूर्व के प्रावधान को बहाल किया जाये.
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