Ranchi : खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए बनी जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) की राशि का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. आये दिन यह जानकारी मिलती है कि फंड का इस्तेमाल उसी तरह से हो रहा है जैसे अन्य सरकारी योजनाओं के लिए प्राप्त फंड का होता है. इसके अलावा इन इलाकों में जलापूर्ति योजनाओं पर राशि खर्च करने को भी बेतरीका बताया जाता रहा है. विशेषकर धनबाद के इलाकों में तो यह समस्या आम है. इसे देखते हुए राज्य सरकार अब एक अंतरराष्ट्रीय संस्था से मदद लेगी. डीएमएफटी फंड के सही क्रियान्यवन के लिए राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आई-फोरेस्ट/i-forest) इसपर सलाह देगी. बीते दिनों राज्य सरकार और ई-फोरेस्ट के बीच इस बाबत एक एमओयू कराने को लेकर खान और भूतत्व विभाग के प्रस्ताव पर सरकार की ओर से अनुमति दी गई है. यह फोरम नॉलेज एवं ट्रैनिंग पार्टनर के रूप में खनन प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत संरचनतात्मक विकास और पर्यावरण पहलुओं पर अपनी सेवा देगी.
झारखंड के खनन प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे परिवार और व्यक्तियों के हितों की रक्षा एवं आधारभूत संरचना सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए सभी जिलों में खान एवं खनिज (विकास एंव विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा (संशोधन 2015) की धारा 9बी में जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया गया है. इसके अलावा राष्ट्रीय खनिज अधिनियम 2019 में सामाजिक– आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ जैव विविधता और पुनर्जनन को भी ध्यान रखते हुए वैज्ञानिक तरीके से खनन निकाले जाने का प्रावधान है. इन सब प्रावधानों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने अंतराष्ट्रीय संस्था के साथ एमओयू करने का फैसला किया है.
अंतराष्ट्रीय फोरम निम्न तरह की देगी सेवा
- राज्य और जिला स्तर पर डीएमएफ फंड योजना का सही क्रियान्वयन और डीएमएफ संस्थागत विकास की दिशा में सहायता प्रदान करना.
- राज्य और जिला स्तर पर डीएमएफटी योजना को लेकर बनायी जाने वाली नीतियों के क्रियान्वयन में सलाह देना.
- राज्य एवं जिला स्तर पर खान विभाग, निजी क्षेत्र के पदाधिकारियों का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण.
- फॉरेस्ट से जुड़ी बातों को लेकर स्थानीय भाषा में वीडियो, पॉकेटबुक आदि को तैयार करना.
- सरकारी योजनाओं को धरातल पर सही क्रियान्वयन के लिए सरकारी पदाधिकारियों और ग्राम सभाओं के बीच विचार-विमर्श कर क्षमता निर्माण बढ़ाना.
- राज्य में मौजूदा कोयला खदानों को बंद करने की सलाह देना, जो पर्यावरण दृष्टिकोण से सही नहीं हो.
- कोयला खदानों के आस-पास के सामाजिक – आर्थिक पुनर्वास पर राज्य सरकार और खनन कंपनी के अधिकारियों का मार्गदर्शन करना.
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