- जेवियर समेत कई विद्यालयों में दे चुकी हैं सेवा, स्नातक और पीजी में रह चुकी हैं टॉपर
- बाल विवाह रोकनेवाली शिक्षिका प्रीति कुमारी ने साझा किया अनुभव
- जेवियर समेत कई विद्यालयों में दे चुकी हैं सेवा, स्नातक और पीजी में रह चुकी हैं टॉपर
Amarnath Pathak
Hazaribagh : संत जेवियर्स स्कूल और नमन विद्या में बतौर शिक्षिका सेवा दे चुकीं प्रीति कुमारी कहती हैं कि निष्ठा, जिम्मेवारी और ईमानदारी से पढ़ाने पर ही सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधरेगी. शिक्षक दिवस पर डीसी नैंसी सहाय के हाथों पुरस्कृत हो चुकीं हजारीबाग सदर प्रखंड के मिडिल स्कूल सिलवारखुर्द में बतौर सरकारी शिक्षिका और प्रभारी प्रधानाध्यापिका के रूप में अध्यापन कार्य करनेवाली प्रीति कुमारी का कहना है कि निजी विद्यालय प्रबंधन की तरह कड़ाई से नियमों का अनुपालन करना होगा. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट के हर फरमान पैरेंट्स मानने को तत्पर रहते हैं. लेकिन सरकारी विद्यालयों के बच्चे हों या अभिभावक शिक्षा या अनुशासन की तत्परता के मामले में काफी पीछे हैं. इसके लिए शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी सजग और जागरूक बनना पड़ेगा. इसके बिना सरकारी स्कूल को निजी विद्यालय के समकक्ष लाकर खड़ा नहीं किया जा सकता. साथ ही सरकारी स्कूलों में सुविधाएं और संसाधन बढ़ाने होंगे. वहीं उन संसाधनों के समुचित उपयोग पर भी जोर देना होगा. बिजनेसमैन राजकपूर गुप्ता और प्रतिमा देवी की बेटी प्रीति जवाहर नवोदय विद्यालय बोंगा इचाक में वर्ष 1996 में फर्स्ट बैच की छात्रा रही हैं. केबी महिला महाविद्यालय से वर्ष 2006 में वह इतिहास से स्नातक में टॉपर और वर्ष 2008 में विनोबाभावे विश्वविद्यालय से पीजी की सेकेंड टॉपर रही हैं.
वर्ष 2010 में नमन विद्या और फिर 2013 में संत जेवियर्स स्कूल में शिक्षिका रही हैं. यूएस में 30 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने वाले मशहूर शिक्षाविद् शायक भंडारी उनके पति हैं. उनके भाई भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. दो बच्चों की परवरिश के साथ घर-परिवार संभालते हुए प्रीति पहले निजी स्कूल और अब सरकारी स्कूल संभाल रही हैं. उन्होंने सिलवारखुर्द स्कूल में आठवीं की एक बच्ची का बाल विवाह वर्ष 2021 में एक शिक्षिका के साथ मिलकर रुकवायी थी. बच्ची के अभिभावकों को समझाकर उसे स्कूल से जोड़े रखा. उनकी कोशिश है कि सरकारी विद्यालय प्राइवेट की तर्ज पर चले. इसके लिए बच्चों को होमवर्क देना, उसे चेक करना, वीकली टेस्ट लेना, नियमित पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग, बच्चों की स्कूल में अनुपस्थिति पर अभिभावकों को सचेत करना समेत कई गतिविधियों से सुधार के प्रयास में लगी हैं. उनकी इसी कार्यशैली की बदौलत तीन दिन पहले शिक्षक दिवस पर उन्हें डीसी ने उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में सम्मानित किया. वह कहती हैं कि जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं, वहां सौ फीसदी समर्पण और ईमानदारी से काम करें. किसी काम को छोटा न समझें. आगे ईश्वर सब अच्छा करेंगे.
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