Gaurav Prakash
Hazaribagh : पूरा देश आज उत्साह और उल्लास के साथ 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. हमारे देश में 26 जनवरी 1950 से संविधान लागू किया गया था. इस संविधान के निर्माण में हजारीबाग के दो कर्णधारों की भी अहम भूमिका थी. छोटानागपुर केसरी के नाम से विख्यात हजारीबाग के प्रथम निर्वाचित सांसद बाबू राम नारायण सिंह और संयुक्त बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय ने भी संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी. दोनों शख्सियत संविधान सभा के सदस्य थे. दोनों सदस्यों ने संविधान सभा में अपनी मुखर आवाज बुलंद कर कई महत्वपूर्ण विधेयकों की ओर संविधान सभा समिति का ध्यान आकृष्ट किया था. इतना ही नहीं, उनकी सलाह को संविधान सभा की समिति ने अंगीकार अर्थात आत्मसात भी किया था.
संविधान सभा में बाबू राम नारायण सिंह ने पंचायती राज शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 रुपए करने की वकालत की थी. बाबू राम नारायण सिंह ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधान सेवक कहा जाए और नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाएं. ऐसा इसलिए कि राजतंत्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश न कर जाए. इस बात का उन्हें डर था. आज भी उनके पौत्र डॉ. प्रमोद कुमार इससे जुड़े कई दस्तावेज रामनगर स्थित अपने आवास पर संभाल कर रखे हुए हैं. उनका आवास स्वतंत्रता संग्राम के दस्तावेजों के संग्रहालय से कम नहीं है. इसी तरह केबी सहाय ने भी जमींदारी उन्मूलन की खामियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब नौ दिसंबर 2019 को चुनावी कार्यक्रम में हजारीबाग के बरही पहुंचे थे, तो उन्होंने खुले मंच से छोटानागपुर केसरी बाबू रामनारायण सिंह को नमन भी किया था और कहा था कि “यह कोई आम धरती नहीं है. यह धरती पूरे देश को प्रेरणा देने वाली धरती है. ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं.”