Ranchi : जैव उर्वरक एक विशेष प्रकार का सूक्ष्म जीवाणु है, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन (नत्रजन) का स्थिरीकरण करते है. सेल्यूलोज एवं कार्बनिक पदार्थ को भूमि में सड़ाते और फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं. इसके उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि होती है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है. बीएयू के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के अध्यक्ष डॉ डीके शाही बताते हैं कि कृषि वैज्ञानिक शोधों में किसानों के खेतों के मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाये रखने एवं अन्य पोषक तत्वों की पौधों में उपलब्धता एवं इसकी आपूर्ति बढ़ीने में जीवाणु खाद जैसे- राईजोबियम कल्चर, एजोटोबेक्टर कल्चर, एजोस्पिरिलम कल्चर, नील हरित शैवाल कल्चर, स्फूर्त घोलक जीवाणु कल्चर, माइकोराइजा कल्चर एवं नील हरित शैवाल का उपयोग लाभदायक पाया गया है.
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जैव उवर्रक (जीवाणु खाद) के प्रयोग से होने वाले लाभ
जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक दशा में सुधार होता है. इसके प्रयोग से जड़ो का विकास एवं अंकुरण अच्छा होता है. रासायनिक उर्वरक की बचत होती है और अगली फसल को भी यह लाभ पहुंचाता है. यह जैविक खेती के लिए उपयुक्त खाद है.
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राइजोबियम कल्चर से लाभ
इस कल्चर खाद का उपयोग मूंग, उड़द, अरहर, सोयाबीन, मटर, चना, मूंगफली, मसूर एवं बरसीम फसल में करते है. अलग- अलग फसलों के लिए अलग – अलग राइजोबियम कल्चर के पैकेट होते है. इसके प्रयोग से 35 से 40 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर नत्रजन का लाभ होता है. जो 77- 88 कि. ग्रा. यूरिया के बराबर है. साथ ही उपज में करीब 10 प्रतिशत वृद्धि होती है.
एजोटोबैक्टर कल्चर के लाभ
इस कल्चर का प्रयोग गेहूं, जौ, मक्का, बैंगन, टमाटर, आलू एवं तेलहनी फसलों में करते है. इसके प्रयोग से फसल को 20 से 25 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर नत्रजन का लाभ होता है. जो 44 – 55 कि. ग्रा. यूरिया के बराबर है. अनाज वाली फसलों में 10 – 20 प्रतिशत एवं सब्जियों में 10 प्रतिशत तक वृद्धि पायी गयी है.
एजोस्पिरिलम कल्चर के लाभ : इस कल्चर का प्रयोग ज्वार, बाजरा, मडुआ, मक्का एवं चारे वाली फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए करते है. इस जीवाणु खाद के प्रयोग से 20 से 25 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर नत्रजन की प्राप्ति होती है. जो 44 – 55 कि. ग्रा. यूरिया के बराबर है.