London : भारत के भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. लंदन हाई कोर्ट द्वारा आज बुधवार को नीरव मोदी की अपील को ठुकरा दिये जाने की खबर है. साथ ही अदालत ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश जारी किया है.
हाई कोर्ट ने कहा है कि उसे भारत भेजा जाये, ताकि वह यहां पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों का सामना करे. बता दें कि नीरव मोदी दो अरब डॉलर वाले पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के कर्ज में धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है.
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नीरव मोदी दक्षिणी-पूर्वी लंदन में स्थित वैंड्सवर्थ जेल में बंद हैं
51 साल का नीरव मोदी इस समय दक्षिणी-पूर्वी लंदन में स्थित वैंड्सवर्थ जेल में बंद हैं. उसे डिस्ट्रीक्ट जज सैम गूजे के फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी मिली थी. पिछले साल फरवरी में वेस्टमिंस्टर जज ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश सुनाया था. नीरव मोदी को दो बातों के आधार पर फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी प्रदान की गयी थी.
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प्रत्यर्पित करना दमनकारी फैसला साबित होगा
यूरोपियन कनवेंशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) के आर्टिकल 3 के तहत मोदी के उस तर्क को सुना गया था जिसमें उसने अपनी मानसिक स्थिति का हवाला दिया था. इसमें कहा गया था कि मानसिक स्थिति ठीक न होने की वजह से मोदी को प्रत्यर्पित करना उसके साथ नाइंसाफी होगा और साथ ही दमनकारी फैसला भी साबित होगा.
इसके साथ ही प्रत्यर्पण कानून 2003 के सेक्शन 91 के आधार पर भी यह फैसला दिया गया है जो कि खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है. लॉर्ड जस्टिस जर्मी स्टुअर्ट स्मिथ और जस्टिस रॉबट जे की तरफ से यह फैसला सुनाया गया है.
मोदी 13,500 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी केस का आरोपी है
मोदी 13,500 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी केस का आरोपी है. उस पर आरोप है कि जिन कंपनियों को वह नियंत्रित कर रहा था, उन कंपनियों की मदद से उसने बैंक को हजारों करोड़ों रुपयों का चूना लगाया है. अदालत ने कहा है कि अगर नीरव मोदी को वापस भारत भेजा जाता है तो ये उसके साथ न तो कोई अन्याय होगा और न ही यह कदम दमनकारी होगा.