Ravi Chourasia
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) कोयलांचल की सड़कों पर इन दिनों दुर्घटनाएं अकाल मौत बांट रही हैं. कोई दिन ऐसा नहीं, जब सड़क दुर्घटना में एक-दो लोगों ने जान न गंवाई हो. बस, ट्क, हाइवा, कार व मोटरसाइकिल की भिड़ंत अथवा पलटने की घटनाओं में लोग या तो स्थल पर दम तोड़ देते हैं अथवा अस्पताल ले जाने के रास्ते में ही उनके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं. अनियंत्रित हाइवा से लोगों के कुचलने की घटनाओं के बाद आये दिन सड़क जाम होती रहती है, जबकि तेज रफ्तार मोटरसाइकिल पर सवार नौजवान भी बड़ी संख्या में हादसों के शिकार हो रहे हैं. इसके अलावा आत्महत्या, आग से जलने, जहर खाकर जान गंवाने की खबरें भी मीडिया की सुर्खियां बनी रहती हैं.
सड़क दुर्घटना में 1917, जहर, हैंगिंग, बर्न में 784 की मौत
आंकड़ों पर गौर करें तो धनबाद जिले के सबसे बड़े अस्पताल एएनएमएमसीएच के इमरजेंसी में विगत 10 माह के अंदर लगभग 2701 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 327 मामले ब्रॉड डेथ (मृत अवस्था में अस्पताल लाये गेए) के हैं. एसएनएमएमसीएच के इमरजेंसी में हर रोज दो दर्जन से भी अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते है. इनमें सबसे ज्यादा मामले सड़क दुर्घटना, प्वाइजनिंग, फांसी और बर्न (जलने) के होते है. इलाज के बाद लगभग 56 से 70 प्रतिशत लोग स्वस्थ होकर अपने घर चले जाते हैं. परंतु कुछ लोगों को मौत खींच ले जाती है. कुछ जख्मी अथवा अन्य जानलेवा बीमारी से ग्रस्त लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही काल के गाल में समा जाते हैं. विगत दस माह में ऐसे 327 मामले एसएनएमएमसीएच में आ चुके हैं.
हर दिन 25 से 30 मामले
इमरजेंसी मैं मौजूद कर्मियों के अनुसार प्रतिदिन जिले के विभिन्न क्षेत्र से 25 से 30 मामले सड़क दुर्घटनाओं, प्वाइजनिंग, फांसी, बर्न और आपसी विवाद में जख्मी पीड़ितों के होते हैं. साधारण जख्मी 12 से 15 मरीज इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं, जबकि गंभीर चोट के 5 से 6 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो जाती है. इनमें 2 या 3 और कभी कभी 5 से 7 मरीज अस्पताल की दहलीज पर पहुंचने के पहले ही दम तोड़ चुके होते हैं.
इन इलाकों से आते हैं अधिक मरीज
धनबाद जिले के झरिया, सिंदरी, पाथरडीह, कतरास, केन्दुआ, पुटकी, मुनीडीह, बाघमारा, सोनारडीह, तेतुलमारी, तोपचांची, निमिया घाट, बरवाअड्डा, गोविंपुर, टुंडी, पूर्वी टुंडी, बलियापुर, निरसा समेत शहर के कई इलाके से हर रोज दो दर्जन से भी अधिक मरीज इलाज के लिए इमरजेंसी पहुचते हैं.
जनवरी से अक्टूबर तक इमरजेंसी में मौत
जनवरी -235
फरवरी – 245
मार्च – 260
अप्रैल – 220
मई – 265
जून – 210
जुलाई – 230
अगस्त – 216
सितंबर – 238
अक्टूबर – 255
जनवरी से अक्टूबर तक ब्रॉड डेथ
जनवरी – 35
फरवरी – 33
मार्च – 27
अप्रैल – 40
मई – 29
जून – 38
जुलाई – 31
अगस्त – 40
सितंबर – – 20
अक्टूबर – 37
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