Rishi Yoga ( RYT 200, PGDY, IYEC, Masters in Yogic Science )
LagatarDesk : शीर्षासन संस्कृत के दो शब्दों शीर्ष और आसन से मिलकर बना है. जहां शीर्ष का अर्थ सिर (Head) और आसन का अर्थ मुद्रा (Pose) है. शीर्षासन का अभ्यास सिर नीचे और पैर ऊपर उठाकर किया जाता है. इसलिए इसे अंग्रेजी में हेड स्टैंड पोज (Headstand Pose) कहा जाता है.
आसन करने से मस्तिष्क में खून का बेहतर तरीके से होता है प्रवाह
आमतौर पर सभी लोगों को पता है कि सिरदर्द में शीर्षासन बहुत फायदेमंद होता है. यही कारण है कि अक्सर हम एक दूसरे को शीर्षासन करने की सलाह देते हैं. क्योंकि इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर को उल्टा करना पड़ता है. यानी सिर को जमीन पर टिकाकर बैलेंस बनाना होता है. इस क्रिया में मस्तिष्क में खून का बेहतर तरीके से प्रवाह (blood flow) होता है. जिससे यह मस्तिष्क से जुड़ी सभी बीमारियों (mental issues) के लिए फायदेमंद होता है.
शीर्षासन करने का सही तरीका
शीर्षासन को बहुत सामान्य और बेहद आसान आसन माना जाता है. लेकिन यह उतना ही कठिन होता है. इस आसन का अभ्यास करने के लिए जमीन पर सिर टिकाकर पूरे शरीर का संतुलन बनाने आना चाहिए. अन्यथा आप इसका अभ्यास नहीं कर पायेंगे.
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आइये इसको करने का करमबद्ध तरीके को जानें
- सबसे पहले वज्रासन मुद्रा में घुटनों पर बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को इंटरलॉक कर लें. फिर उन्हें जमीन पर बिछी मैट पर रखें.
- अंगुलियों को इंटरलॉक करने के बाद हथेली को कटोरी के आकार में मोई और धीरे (slowly) से अपने सिर को झुकाकर हथेली (palm) पर रखें.
- इसके बाद धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाए और एकदम सीधा रखे. पैरों को ऊपर उठाने के लिए आप शुरुआत में दीवार या किसी व्यक्ति का सहारा ले सकते हैं.
- इस दौरान नीचे से ऊपर तक पूरा शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए. शरीर का संतुलन अच्छी तरह से बनाए रखें.
- इस मुद्रा में आने के बाद 15 से 20 सेकेंड तक गहरी सांस लें और कुछ देर तक इसी मुद्रा में बने रहें.
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पैरों को नीचे जमीन पर वापस लाएं.
- इस आसन को तीन से चार बार दोहराएं.
शुरुआती लोगों के लिए शीर्षासन करने के टिप्स :
जो लोग पहली बार इस आसन को कर रहे हैं. उनको कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है. ऐसे लोगों के लिए हम कुछ काम की बातें बता रहे हैं.
- अगर इस आसन को आप पहली बार कर रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें.
- इस आसान की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है. इसलिए दीवार का सहारा लेना बेहतर होगा.
- इस आसन को सुबह खली पेट करना उचित होगा.
- शरीर का पूरा भार सिर्फ सिर पर न डालें, बल्कि बाहों और कंधों पर भी रखें.
- ध्यान रहे गले में झटका न लगे.
शीर्षासन कितने समय तक करना चाहिए?
शुरुआत में इसका अभ्यास 15 सेकंड के लिए करें और धीरे-धीरे आप इसे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं. यदि आप शीर्षासन लंबे समय तक अभ्यास करना चाहते हैं तो आपको इसे विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए. सामान्य परिस्थितियों में इसे 5 से 10 मिनट करना पर्याप्त है. नियमित इतने समय के लिए करने से आपको बहुत फायदा होगा.
शीर्षासन करने के फायदे :
शरीर के ऊपरी हिस्सों को बनाता है मजबूत
शीर्षासन आपके शरीर के ऊपरी हिस्से को मजबूत बनाता है. शीर्षासन करने में आपको अपने कंधों, बाहों और ऊपरी पीछे वाले हिस्से से बैलेंस बनाना पड़ता है. जिससे उनकी मजबूती बढ़ती जाती है.
संतुलन बढ़ाने में मददगार
शीर्षासन आपके शरीर को मजबूत बनाने के अलावा बैलेंस करने की क्षमता को भी बढ़ाता है. बार-बार गिरने से जब आप खुद को बचाते हैं तो इससे बैलेंस करने की क्षमता का विकास होता है.
मूड को सही करता है शीर्षासन
शीर्षासन करने से आपके मस्तिष्क में ब्लड फ्लो काफी बढ़ जाता है. जिससे आपको काफी शांति मिलती है और आपका तनाव भी दूर होता है. इस आसन को करने से कोर्टिसोल (cortisol) हार्मोन के बनने में काफी कमी आती है. जिससे आपको एंग्जायटी जैसी समस्या से आराम मिलता है.
शक्ति प्रदान करता है योगासन
शीर्षासन करने से आपकी स्ट्रेंथ बढ़ती है और इससे आप मनचाहे एब्स भी पा सकते हैं. उलटी दिशा में खड़े होने के कारण यह आपके लोअर बैंक और इनर थाई को और मजबूत बनाता है.
हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद
शीर्षासन करने से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं. जिससे आप ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से दूर रहते हैं. इसलिए यंग एज में अगर आप शीर्षासन करते हैं तो बुढ़ापे में ओस्टियोपोरोसिस से बचाने में मदद करता है.
वजन कम करने के लिए लाभदायक
इस आसन के नियमित अभ्यास से आप वजन घटा सकते हैं और अपने मोटापे पर काबू पा सकते हैं. इस आसन के अभ्यास से पिट्यूटरी ग्रन्थि पर भी प्रभाव पड़ता है. जो दूसरे अंत: स्रावी ग्रंथियों को सही मात्रा में हॉर्मोन स्राव करने में मदद करता है. यह थायराइड ग्रंथि को भी प्रभावित करता है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को बहुत हद तक कंट्रोल करता है.
बाल झड़ने से रोकता है ये योग
अगर शीर्षासन को नियमित रूप बहुत दिनों तक किया जाए तो बाल झड़ना कम हो सकता है. इस आसन के अभ्यास से ब्रेन वाले हिस्से में खून का प्रवाह बहुत आसान हो जाता है. यह खोपड़ी को भी मजबूत एवं स्वस्थ बनाता है. जिसके कारण बाल से संबंधित परेशानियां जैसे बाल का झड़ना, बाल का सफेद होना, डैंड्रफ इत्यादि से आप को छुटकारा दिलाता है. यह बाल को घने और लंबे करने में भी सहायक है.
चेहरे की चमक को बढ़ाता है ये योग
शीर्षासन चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने में बहुत फायदेमंद है. इसके अभ्यास से आपके चेहरे में खून की आपूर्ति सही तरीके से होने लगती है और साथ ही पोषण तत्व एवं खनिज लवण का प्रवाह भी सही होने लगता है. जिसके कारण यह आपको पिंपल्स, रिंकल और चेहरे की दूसरी परेशानियों से बचाता है.
डायबिटीज के लिए अहम भूमिका निभाता है शीर्षासन
यह आसन डायबिटीज को रोकने में एक अहम भूमिका निभाता है. यह पैंक्रियास को उत्तेजित करते हुए इन्सुलिन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से डायबिटीज के प्रबंधन में सहायक है.
ब्रेन के लिए उम्दा योगाभ्यास है शीर्षासन
शीर्षासन ब्रेन के लिए निहायत ही एक उम्दा योगाभ्यास है. इस आसन से ब्रेन की करोड़ों कोशिकाओं में एक नई जान आ जाती है. क्योंकि हर कोशिका में रक्त का सही प्रवाह के साथ उपयुक्त पोषण एवं खनिज लवण मिलता है. इस तरीके से इन कोशिकाओं और ऊतक का ठीक तरह से देखभाल होती है.
सिर दर्द और माइग्रेन रोकने में पा सकते हैं निजात
इस आसन के करने से आप सिरदर्द और माइग्रेन से हमेशा के लिए निजात पा सकते हैं. सिरदर्द और माइग्रेन प्रायः सिर की कोशिकाओं का दबाब एवं संकोचन से होता है. यह आसन करके आपको माइग्रेन से राहत दिलाता है.
आंख की बीमारियों से मिलेगी राहत
इस आसन को करने से आंख और आंख वाले हिस्से में सही मात्रा में रक्त एवं पोषण तत्व का प्रवाह होता है. जिससे बहुत सारी आंख की परेशानियों से आप को राहत मिल सकती है.
पाचन के लिए भी है लाभदायक
यह आपके पाचन क्रिया को स्वस्थ करते हुए कब्ज और इससे संबंधित परेशनियों से बचाता है.
सेक्सुअल समस्याओं का समाधान
इस आसन से अधिकतर सेक्सुअल प्रोब्लम्स को रोका जा सकता है. इसे सिर्फ रोका ही नहीं जा सकता, बल्कि इन प्रोब्लम्स का इनमें सटीक समाधान भी है.
चक्र पर प्रभाव
शीर्षासन करने से सहस्रार चक्र सक्रिय होता है और इससे व्यक्ति अध्यात्म से संलग्न होता है.
शीर्षासन करने में क्या सावधानी बरती जाये
- यदि आपको उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सेरेब्रल या कोरोनरी थ्रॉम्बोसिस एवं ग्लूकोमा (glaucoma) की समस्या है तो शीर्षासन का अभ्यास न करें.
- सिर में ब्लड हेमरेज की समस्या, किडनी का रोग और स्लिप डिस्क की समस्या हो तो इस आसन का अभ्यास (practice) करने से बचें.
- यदि आपका पेट पूरी तरह से भरा (full stomach) हो, शरीर में थकान हो, सिर दर्द या माइग्रेन की समस्या हो तो इस आसन का अभ्यास न करें.
- महिलाओं को मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
- यदि आपको चक्कर आ रहा हो, सिर में चोट लगी हो या तेज सिर दर्द हो रहा हो तो शीर्षासन का अभ्यास न करें.
- यदि गर्दन में चोट लगी हो, तो शीर्षासन का अभ्यास न करें. इसके अलावा हार्निया (hernia) से पीड़ित व्यक्तियों को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करें शीर्षासन का अभ्यास
आप शीर्षासन करने के चमत्कारी लाभ तो पढ़ने के बाद जान गये होंगे. इसलिए आप बिना देरी किए आज से ही इसे करने का अभ्यास शुरू कर दें. साथ ही ध्यान रखें कि इसे प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही करें. वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है. साथ ही योग करने का लाभ तभी मिलेगा जब आप इसे नियमित रूप से करेंगे. उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी.