Girish Malviya
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम कम होने के बावजूद पेट्रोल डीजल नहीं घटाना सरकार की बदनीयती का सबसे बड़ा उदाहरण है. आपको याद होगा कि जब पिछली बार दाम बढ़े थे, तो पेट्रोलियम मंत्री ने ओपेक देशों पर इसका दोष डाला था कि वे दाम बढ़ा रहे हैं और अब जब दाम कम हो गए हैं, हमारा मीडिया हेडलाइन लगा रहा है कि “तेल कंपनियां दाम क्यों नहीं घटा रहीं! इसमें सरकार की कोई गलती नहीं है. सारी गलती तेल कंपनियों की है!
15 जुलाई के बाद कच्चे तेल का भाव 74.33 डॉलर प्रति बैरल से घटकर आज 69.72 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानी कच्चा तेल 4.61 डॉलर सस्ता हो चुका है. लेकिन उसके बाद भी एक पैसा दाम कम नहीं किया गया है.
इसके विपरीत पिछले महीने 1 जुलाई से लेकर 13 जुलाई तक कच्चे तेल की कीमतों में महज एक डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि हुई थी, तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 98.91 रुपए प्रति लीटर से बढ़ा कर 101.19 रुपए प्रति लीटर कर दी गई. यानी एक डॉलर बढ़ने पर लगभग सवा दो रुपये बढ़ाए गए, लेकिन जब कच्चा तेल 4.61 डॉलर कम हुआ है, तो जनता को एक नए पैसे की राहत नहीं दी गयी.
केंद्र की मोदी सरकार के पिछले सात सालों की कहानी यही रही है कि कभी भी जनता को कच्चे तेल की कीमत में आयी कमी का फायदा नहीं दिया गया. लेकिन जब दाम बढ़े तो मोदी सरकार ने अपना खजाना भरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
वर्ष 2020-21 में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले 17 वर्षों के निचले स्तर पर थी. पिछले साल औसतन 44.82 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चा तेल खरीदा गया था, जो वर्ष 2004-05 के औसत खरीद मूल्य (39.21 डॉलर प्रति बैरल) के बाद सबसे सस्ती दर है.
लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जनता को इसका फायदा देने के बजाए अपनी कमाई 62 प्रतिशत बढ़ा ली, सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में. जबकि वर्ष 2019-20 में औसतन 60.47 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा गया था. यह भी सोचने वाली बात है कि पेट्रोलियम की बिक्री वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना की वजह से 09 फीसदी घट गयी.
यानी बिक्री घटने के बाद भी मुनाफा बढ़ता गया. वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार की तरफ से वसूले जाने वाले टैक्स में 88 फीसदी का उछाल आया और यह राशि 3.35 लाख करोड़ रही. पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क 19.98 रुपए से बढ़कर 32.90 रुपए पर पहुंच गया. वहीं डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.83 से बढ़कर 31.80 रुपए पर पहुंच गया.
साफ है कि जबरदस्त लूट मची है, लेकिन कोई बोलता ही नहीं.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.