तुम बहोत याद आते हो….
रफी की आवाज में करते है आरकेस्टा प्रोग्राम, अबतक 5000 गाने गा चुके हैं
हम भी और लोग भी रफी साहब की आवाज में गाते तो हैं, पर उनकी छाया व फिलिंग तक ला नहीं सकते
Rehan Ahamad
Ranchi: रांची के मंजीत सिंह सहानी को कुदरत ने किस्मत विश्व के प्रसिद्ध गायक मो रफी की आवाज दी है. मंजीत उनके गाये गाने को कई ऑर्केस्ट्रा प्रोग्राम समेत 5000 हजार से अधिक संगीत कार्यक्रम में अपने जलवे बिखेर चुके हैं. उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर 1924 को विश्व प्रसिद्ध गायक मो रफी कर जन्म अमृतसर के कोरला सुल्तान सिंह गांव में हाजी अली मोहम्मद के घर छठे पुत्र के रूप में हुआ था. उनके अंदर कुदरत ने संगीत के एक अलग की गुण दिये थे, जाे किसी दूजे में नहीं. लोग उनकी आवाज का नकल जरूर कर लेते हैं, मैं भी उनकी आवाज के गाये गाने दोहरा लेता हूं. लेकिन उनके गाने की जो क्वालीटी थी, गाने में जो दम थे, जो फन उसकी छाया की भी कोई दूजा नकल नहीं कर सकता है. वह फिलिंग तक नहीं ला पाते हैं, दूसरे गायक. मंजीत ने कहा कि रफी साहब संगीत के पुस्तकालय थे. उनकी जगह दुनिया में कोई ले नहीं सकता है. वह जिस फिल्म, संगीत हीरो के लिये गाते थे वह फिल्म, हीरो हिट हो जाते थे.
रफी के चुनिंदा गाने
रफी साहब ने शेरावाली, साई बाबा के लिए भी गाने गये. इन्होंने दुनिया के रखवाले, बैजूबावरा, खोया खोया चांद, जाने बहार हुस्न तेरा बेमिसाल, एहसान तेरा होगा मुझ पर, तूने पुकारा, ये चांद सा रौशन चेहरा, ओ मेरे सोना रे, ओ हसीना जुल्फो वाली, तुमने मुझे देखा, बहारो फूल बरसाओ, लिखे जो खत तुझे आदि शामिल हैं.वह जिसके लिये गाते थे लगता था फिल्म में वही हीराे गाना गा रहा हो, गाने में माहौल भी वैसा ही बनाते थे. उनकी आवाज जब जब सुनी जाएगी हमेशा नई ही लगेगी. रफी की आवाज कभी पुरानी नहीं हो सकती है.
25 साल से रफी साहब का जन्म दिन मना रहे मंजीत
मंजीत सिंह पिछले 25 वर्षों से मो रफी का जन्म दिन मना रहे हैं. उनकी तस्वीर रख कर केक काटते हैं. अपने साथियों एवं आस पास के लोगों को केक खिला कर रफी साहब के जन्म दिन की खुशियां मनाते हैं. मंजीत गो टारलेंटस में संगीत की तार छेंड़ने कोलकाता गये थे. इसके साथ वे आईपीएस, मिलिट्री, समेत वीआईपी कार्यक्रम में रफी साहब के गाये गाने को सुर देते हैं. जिसे लोग खूब सराहते हैं.
30 हजार गाने गाये, 6 फिल्म फेयर, पद्मश्री, राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं
रफी साहब ने हिंदी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, मराठी, भोजपुरी, फारसी, अंग्रेजी, तेलुगू आदि में करीब 30,000 गाने गाये. इसके लिये 6 फिल्म फेयर अवार्ड, पद्माश्री सम्मान, राष्ट्रीय गायन पुरस्कार मिल चुके हैं.
31.7.1980 को हुआ निधन
31 जुलाई 1980 को हृदयाघात होने के कारण अस्पताल में भर्ती हुए. इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. 56 वर्ष की आयु में दुनिया से रुखसत हो गये. पूरी दुनिया शोक में डूब गई. रविवार को उनकी जन्म तिथि पर उनकी कमी का एहसास करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं. उनकी कमी हमेशा खलेगी, बहुत याद आते हैं मो रफी. उन जैसा फनकार ना हुआ ना होगा दूजा.