राजेश ठाकुर ने कहा :
– हम महात्मा गांधी को मानने वाले हैं न कि गोडसे को
– पार्टी छोड़कर वहीं जा रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस के अंदर अवसर नहीं दिखता
– चुनी हुई सरकार को कोई अस्थिर करेगा, तो आक्रोशित भाषा सामने आएगी ही
– राज्यपाल अगर लिफाफा नहीं खोल रहे हैं, तो जरूरी लगे तो वे मुझे बुला लें
– राज्य में 6 से 18 में आ गए हैं, तो कल 36 सीट पर भी पहुंचेंगे
– मंत्री पद की चाहत नहीं, मेरा केवल एक ही काम संगठन मजबूत करना है
– 1932 के खतियान को लेकर कोई भी विसंगति नहीं रहेगी
– लोकसभा चुनाव में हमारा लक्ष्य गठबंधन में रहकर सभी 14 सीटें जीतने का होगा
Nitesh Ojha
Ranchi: झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि आज चुनी हुई हेमंत सोरेन सरकार को राज्यपाल और विपक्ष द्वारा सिलसिलेदार ढंग से परेशान किया जा रहा है. ऐसे में अगर मुख्यमंत्री या गठबंधन दल के नेता भाजपा कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर सबक सीखाने की बात करते हैं, तो उनका आक्रोश सही ही होगा. राजेश ठाकुर लाइव लगातार.इन के कार्यक्रम ‘न्यूज रूम में न्यूजमेकर’ में सवालों का जवाब दे रहे थे. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार संतोष मानव ने किया. कार्यक्रम में अपने करीबी आरपीएन सिंह की तरह कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, पार्टी छोड़कर वहीं जाते हैं, जिन्हें कांग्रेस में कोई अवसर नहीं दिखता है. राजेश ठाकुर ने कार्यक्रम में पूछे गए सभी सवालों का कभी खुलकर तो कभी बचते-बचाते जवाब भी दिया.
सवाल : मुख्यमंत्री कहते हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पहचान करो और उन्हें सबक सिखाओ. आपके कार्यकारी अध्यक्ष कहते हैं कि भाजपा वालों को पटक-पटक कर मारो. मंत्री मिथिलेश ठाकुर कहते हैं कि भाजपा वालों की टांग तोड़ दो. तो क्या आप लोग बाहुबली हैं ?
जवाब : देखिए, आक्रोश का लोगों का अपना-अपना तरीका होता है. व्यक्तिगत तरीके से वे इसे सही नहीं मानते हैं. लेकिन जब कोई किसी को सिलसिलेवार तरीके से परेशान करेगा. तो निश्चित रूप से ऐसी बातें या यूं कहें कि लोगों की प्रतिक्रिया सामने आएगी ही. राज्यपाल कहते हैं कि एटम बम फूटेगा. फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुख्यमंत्री को समन भेजती है. उसके तीन दिन बाद हमारे विधायकों के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ता है. यह सुनियोजित षड़यंत्र नहीं तो क्या है. चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को कोई अगर अस्थिर करने का काम करेगा, तो इस तरह की भाषा स्वाभाविक तरीके से सामने आ ही जाएगी. राजेश ठाकुर ने कहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता पुल हादसे को एक्ट ऑफ फ्रॉड बताते हैं. राज्यपाल विध्वंस की बात करते हैं, तो उसकी तो भाजपा वालों ने कभी भी आलोचना नहीं की. आज भाजपा विपक्ष है. उन्हें धरना प्रदर्शन करते रहना चाहिए. वे कब तक ईडी, सीबीआई आदि का सहारा लेकर सरकार गिराने का काम प्रयास करेंगे. अगर भाजपा वाले हमारे चरित्र पर सवाल उठाते हैं, तो मैं कह दूं कि हम महात्मा गांधी को मानने वाले हैं न कि गोडसे को.
सवाल : राज्यपाल कहते हैं लिफाफा खुल नहीं रहा है, चिपका गया है. फिर वे निर्वाचन आयोग से दूसरे ओपिनियन मांगे जाने की बात करते हैं. अब जानकारी है कि सेंकेड ओपिनियन मांगा ही नहीं गया. क्या खेल चल रहा है ?
जवाब : राज्यपाल अगर लिफाफा नहीं खोल रहे हैं, तो जरूरी लगे तो वे मुझे बुला लें. मैं भी राजभवन में रहा हूं. जब भी कोई राज्यपाल के पद पर बैठता है, तो उसे हर निर्णय निष्पक्ष होकर करना चाहिए. जहां तक सेंकेड ओपनियन नहीं मांगने की बात है, तो निर्वाचन आयोग ने यह बताया है. राज्यपाल अभी तक चुप हैं. हम तो पूछ रहे हैं कि पहला ओपिनियन क्या था. आज तो संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा नहीं रह गया है.
सवाल : पारा शिक्षकों को वेतनमान देने का गठबंधन के तीनों सहयोगियों का वादा था. लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ?
जवाब : पारा शिक्षकों के विगत आंदोलन को देख मुख्यमंत्री ने स्वयं उनके साथ बैठकर वार्ता की. वार्ता सकारात्मक रही. उनकी मांगों को माना गया. फिर वे आंदोलन से हट गए. अब फिर से उनकी नाराजगी की बात सामने आ रही है, तो उनसे तो पारा शिक्षकों का कोई प्रतिनिधिमंडल नहीं मिला है. समस्या तो भाजपा वालों ने छोड़कर गयी थी. हमारी सरकार तो धीरे-धीरे सभी समस्या को अंत कर रही है.
सवाल : आपके कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में क्या बदलाव आया है ?
जवाब : बड़ा बदलाव यह आया है कि पार्टी के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को बीस सूत्री कमेटी में जगह दी. उन्हें टास्क दिया गया कि वे निचले स्तर तक लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाएं. ऐतिहासिक सदस्यता अभियान चलाया गया. साढ़े आठ लाख से ज्यादा सदस्य बनाए गए. सभी प्रखंड में अध्यक्षों की नियुक्ति हुई. एक-एक प्रखंड को मजबूत करने का काम शुरू हुआ.
सवाल : प्रदेश अध्यक्ष जब आप बने, तो आरपीएन सिंह प्रदेश प्रभारी थे. आज वे भाजपा में हैं. क्या आपको भी वे फोन करके भाजपा में आने को कहते हैं?
जवाब : पार्टी छोड़ने के दिन ही आरपीएन सिंह से आखिर बार बात हुई थी. तब उन्होंने कहा था कि तुम कांग्रेस के अध्यक्ष हो. पूरी शिद्दत के साथ कांग्रेस के लिए काम करना. पार्टी के अंदर तुम्हारी असीम संभावनाएं हैं. मुझसे बात करने की कोई जरूरत नहीं. जहां तक भाजपा में जाने की बात हो, तो जाते तो वे हैं, जिन्हें कांग्रेस में अवसर नहीं दिखता है. मैं तो संगठन का कार्यकर्ता हूं. मुझे पार्टी ने अध्यक्ष बनाया है, तो मैं कह दूं कि मेरा काम चुनाव लड़ना नहीं है. मुझे मंत्री पद की चाहत नहीं है. मेरा केवल एक ही काम संगठन को मजबूत करना है.
सवाल : बन्ना गुप्ता कहते हैं कि मुख्यमंत्री का हर कदम कांग्रेस को खत्म करना है. आप सहमत हैं ?
जवाब : बन्ना गुप्ता मंत्रिमंडल का एक पार्ट हैं. उन्हें कुछ प्रणाली अच्छी नहीं लगी होगी, तो ही उन्होंने यह बयान दिया होगा. हो सकता है कि मुख्यमंत्री भी इस बात से सहमत होंगे. मैं इस बात से बिलकुल भी सहमत नहीं हूं. हर व्यक्ति अपने संगठन को मजबूत कर रहे हैं, हम भी कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं, तो क्या गलत बात है.
सवाल : इतनी पुरानी पार्टी कांग्रेस आज झारखंड में हाशिये पर है. ?
जवाब : चिंता जायज है. लेकिन यह भी देखना चाहिए कि दादा-परदादाओं की पार्टी तो कांग्रेस ही है. भाजपा वाले भी इससे इनकार नहीं कर सकते कि उनके पूर्वज कांग्रेस में थे. जिन्हें कांग्रेस की चिंता है, तो उन्हें गांव-गांव जाकर कांग्रेस की उपलब्धि को बताना चाहिए.
सवाल : कांग्रेस विधायकों को लेकर पिछले दिनों अरगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज करनी पड़ी. क्या परिस्थिति थी?
जवाब : एफआईआर तो बाद में दर्ज हुई. पहले कोलकाता में हमारे विधायक कैशकांड को लेकर गिरफ्तार हुए. फिर विधायक अनूप सिंह ने एफआईआर कराई. मामला अभी कोर्ट में है. बेहतर जवाब तो अनूप सिंह ही दे पाएंगे.
सवाल : झारखंड गठन के बाद कांग्रेस का कभी जनाधार नहीं बना. हमेशा गठबंधन के साथ ही पार्टी सत्ता में रही ?
जवाब : कुछ न कुछ तो कमजोरी रही ही होगी. लेकिन हाल के दिनों में देखेंगे, तो राज्य बनने के बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या 18 है. अगर 6 से 18 में आ गए हैं, तो कल 36 पर भी पहुंचेंगे. इस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं.
सवाल : 1932 का खतियान एक ज्वंलत मुद्दा है. तो 1932 के बाद वालों को झारखंड छोड़कर चले जाना चाहिए?
जवाब : भाजपा वालों को यह पच नहीं रहा है कि यहां के लोगों को उनका अधिकार नहीं मिले. किसी को कोई चिंता नहीं करने की जरूरत. सरकार को सभी की चिंता है. यह भी जरूरी है कि खतियान जिसके पास होगा, उन्हें उनका अधिकारी मिलेगा. किसी को राज्य में काम करने से आने के लिए रोका नहीं गया है.
सवाल : सरकार में रहते कांग्रेस को महत्व नहीं मिल रहा है. क्या सही है?
जवाब : एकदम नहीं. हमारा उद्देश्य आम लोगों के लिए काम करना है. आज सरकार आपके द्वार कार्यक्रम से लोगों को अधिकार मिल रहा है. कार्यक्रम को लेकर हमारे विधायक दल के नेता आलमगीर आलम मुख्यमंत्री के जिलों का दौरा कर रहे हैं. तो हम कैसे कहेंगे कि कांग्रेस को महत्व नहीं मिल रहा है.
सवाल : कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को समर्थन करने की क्या मजबूरी है.?
जवाब : 1932 लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. भावनाओं के हित में कदम उठाना चाहिए. जरूरी है कि अब इसे नियोजन से भी जोड़ें. इस बाबत हमने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की है. अगर ऐसा होता है,तभी हर व्यक्ति की भावना का ख्याल रखा जा पाएगा. पिछले दिनों कांग्रेस और झामुमो नेताओं के साथ चर्चा हुई है. इस पर कोई भी विसंगति नहीं रहेगी.
सवाल : 74 प्रतिशत आरक्षण प्रस्ताव को विधानसभा से पास कराया जाना है. आपने तो केंद्र के पाले में गेंद डाल दिया है. क्या प्रस्ताव पास हो पाएगा ?
जवाब : सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है.
सवाल : मुख्यमंत्री रामगढ़ जाते हैं, लेकिन कांग्रेस के जिला अध्यक्ष को बुलाया तक नहीं गया?
जवाब : मंच पर विधायक अंबा प्रसाद, ममता देवी, कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर उपस्थित थे. अब अगर जिला अध्यक्ष के समर्थक को दिक्कत है, तो अगली बार हम कोशिश करेंगे कि जिला अध्यक्ष भी मंच पर बैठे.
सवाल : 2024 में कांग्रेस क्या फिर से गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी. अगर लड़ेगी तो लोकसभा में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी ?
जवाब : कांग्रेस तो यही चाहेगी तो पार्टी सभी 14 सीटों पर लड़े. लेकिन अगर राहुल गांधी को 2024 में प्रधानमंत्री बनाना है, तो यह नहीं देखना होगा कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी. हमारा लक्ष्य गठबंधन में रहकर सभी 14 सीटें जीतना होगा.
सवाल : रघुवर दास सरकार में सेवानिवृत्ति पत्रकारों को पेंशन मिलने की बात आयी थी. पहल भी हुई. आपकी सरकार आज सत्ता में है. लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है. क्या उम्मीदें हैं?
जवाब : सभी लोगों की उम्मीदों को हम पूरा करेंगे. थोड़ा समय दीजिए.