New Delhi : नाटकीयता भरे दिन में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवान मंगलवार को गंगा नदी में अपने ओलंपिक और विश्व पदक विसर्जित करने सैकड़ों समर्थकों के साथ यहां पहुंचे. लेकिन खाप और किसान नेताओं के मनाने पर ऐसा नहीं किया. हालांकि अपनी मांगें मानने के लिये पांच दिन का समय दिया है.
गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गये
प्रदर्शन कर रहे पहलवान जैसे अपने विश्व और ओलंपिक पदक गंगा नदी में बहाने को तैयार हुए वैसे ही हर की पौड़ी पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी. साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता सुबकती दिखायी दीं और उनके पति उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे. उनके समर्थकों ने उनके चारों ओर घेरा बनाया हुआ था. पहलवान ‘हर की पौड़ी’ पहुंचकर करीब 20 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे. फिर वे गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गये. बजरंग 40 मिनट बाद वहां पहुंचे . विनेश के पति सोमबीर राठी के पास एशियाई खेलों में विनेश के जीते पदक थे. साक्षी के हाथ में रियो ओलंपिक का कांस्य पदक था. इस पूरे मामले ने 1960 की एक घटना की यादें ताजा कर दी, जब महान मुक्केबाज मुहम्मद अली ने अमेरिका में नस्लीय पक्षपात के खिलाफ अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था. खाप और राजनेताओं के अनुरोध के बाद करीब पौने दो घंटे यहां बिताने के बाद पहलवान वापस लौट आये.
पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है
किसान नेता शाम सिंह मलिक और नरेश टिकैत ने मामले को सुलझाने के लिये पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है. पहलवान जितेंदर किन्हा ने कहा , खाप नेताओं ने हमारे सामने अपनी पगड़ी रख दी और कहा कि उम्मीद मत छोड़ो . पगड़ी की लाज रखो और लौट चलो . हमने इंतजार करने का फैसला किया है. हर की पौड़ी पर खाप और किसान नेताओं ने समर्थकों की मानव श्रृंखला तोड़ी और पहलवानों तक पहुंचे . गंगा दशहरे के मौके पर यहां पहुंचे हजारों श्रृद्धालु हैरत से यह सब देखते रहे. पहलवानों ने मीडिया से कोई बात नहीं की.
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