Jamshedpur : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम 1989 से देश में लागू है. इस अधिनियम में 1995 और बाद में 2016 में संशोधन भी किया गया. तब से यह प्रभावी है. इसके तहत सरकार की ओर से एससी-एसटी जाति वालों पर गैर जातियों द्वारा अत्याचार करने पर मुआवजा और भरण पोषण का खर्च देने का प्रावधान है. लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले में उपरोक्त जाति के पीड़ितों अथवा उनके आश्रितों को आवंटन के अभाव में मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. इस अधिनियम के तहत उत्तरदायी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग है. जिले में इसके उत्तरदायी विभाग आईटीडीए (इंटीग्रेटेड ट्राईबल डेवलपमेंट ऑथोरिटी) है. उपरोक्त जातियों पर हुए अत्याचार एवं प्रताड़ना के मामलों की निगरानी के लिए जिला स्तरीय सतर्कता समिति है. इसके चेयरमैन जिले के उपायुक्त और सदस्य सचिव आईटीडीए के परियोजना निदेशक हैं. सदस्य के रुप में एसएसपी, जीपी, पीपी, डीडब्ल्यूओ, विधि शाखा एवं जिला लेखा शाखा के प्रभारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, सांसद, सभी विधायक, जिला परिषद के सदस्य क्रमशः सत्यवान नायक, सातरी ताते, एलिस मार्डी, हीरामनी मुर्मू, एनजीओ से अंजलि बोस और प्रभा जायसवाल शामिल हैं.
तीन श्रेणी में मिलता है मुआवजा
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत पीड़ित व्यक्ति या आश्रित को तीन चरणों में मुआवजा के भुगतान का प्रावधान किया गया है. पहला मुआवजा राशि पीड़ित की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद दी जाती है. इसके तहत मुआवजा राशि का 25 प्रतिशत हिस्सा तत्काल भुगतान किया जाता है. दूसरी किस्त न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने पर दी जाती है. जो मुआवजा राशि का 50 प्रतिशत होगी. बची हुई 25 प्रतिशत राशि निचली अदालत द्वारा अभियुक्त को दोषी ठहराए जाने पर भुगतान की जाती है. अलग-अलग प्रकृति की प्रताड़ना या अत्याचार की श्रेणी के हिसाब से मुआवजे तय किए गए हैं. सामूहिक बलात्कार अथवा हत्या की स्थिति में पीड़ित या आश्रित को सर्वाधिक 8.75 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है.
126 मामले अनुसंधान या प्रक्रियाधीन हैं
उक्त अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय पर पूर्वी सिंहभूम जिले में वर्ष 2017 से 2021 (अब तक) कुल 196 मामले थानों अथवा अन्य फोरम में दर्ज हुए हैं. इनमें 70 मामलों में ही पुलिस की ओर से न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया जा सका है. बाकी मामले अनुसंधान या प्रक्रियाधीन हैं.
इस वर्ष नहीं आया है आवंटन, 14 को बैठक
आईटीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर परमेश्वर भगत ने बताया कि इस वर्ष सरकार की ओर से आवंटन उपलब्ध नहीं कराया गया है. इसके कारण मुआवजा का भुगतान लंबित है. पूर्व की बची हुई राशि से इस वित्तीय वर्ष में अब तक पांच मामलों में 2.75 लाख रुपए का भुगतान किया गया है. जिले में उक्त अधिनियम के तहत पिछले पांच वर्षों में दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए 14 दिसंबर को जिलास्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की एक बैठक बुलायी गई है. इसमें सभी मामलों की समीक्षा होगी. साथ ही सरकार को आवंटन के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा.