भारत सरकार और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देश पर चार सदस्यीय जांच टीम पगार पहुंची
पगार बिरहोर कॉलोनी, थाना, ब्लॉक- अंचल कार्यालय व स्वास्थ्य उपकेंद्र पहुंचकर टीम ने पूछताछ की
Gyan Paswan/ Pramod Upadhyay
Keredari (Hazaribagh):10 साल की बिरहोर बच्ची की मौत के मामले में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा मुख्य सचिव को मामले की जांच का निर्देश दिया गया था. साथ ही राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से मामले की पूरी जानकारी मांगी थी. 28 फरवरी को बिरहोर बच्ची की मौत का मामला जब तूल पकड़ने लगा तो जिला प्रशासन हरकत में आया. प्रशासन ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली. लेकिन मामले को लेकर लगातार सामाजिक कार्यकर्ता मंटू सोनी लगातार केंद्र से लेकर राज्य सरकार से पत्राचार करते रहे. मानवाधिकार आयोग को भी पत्र लिखकर बिरहोर परिवार को न्याय दिलाने की गुहार लगाते रहे. आखिरकार जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच टीम की नींद खुली. यानी जांच टीम को जिला मुख्यालय हजारीबाग से घटनास्थल तक की 44 किलोमीटर की दूरी तय करने में 22 दिन लग गए. जिला प्रशासन की टीम पहुंचीट टीम ने पगार बिरहोर कॉलोनी, थाना, ब्लॉक ऑफिस, अंचल कार्यालय, स्वास्थ्य उपकेंद्र पहुंचकर मामले की जांच की. जांच में टीम को क्या-क्या मिला, इसका खुलासा नहीं हो सका है.
डीसी के निर्देश पर जांच करने पहुंची टीम
एनटीपीसी और उसके एमडीओ ऋत्विक- एएमआर प्रबंधन द्वारा मामले को दबाने का पुरजोर प्रयास किया गया. नाबालिग किरणी बिरहोर की जान की कीमत 40 हजार लगा कर परिजनों को मुआवजा भुगतान कर मुंह बंद कराने का भी प्रयास किया गया. लेकिन शुभम संदेश और लगातार इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा. भारत सरकार के आदेश के बाद हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय ने 23 मार्च को चार सदस्यीय जांच टीम केरेडारी भेजा. जांच टीम में जिला प्रोटेक्नश पदाधिकारी दीपनारायण चौधरी, विधि सह परिवेक्षण पदाधिकारी राकेश कुमार, बाल कल्याण समिति के सदस्य मुन्ना पांडे और पायल सिन्हा शामिल थे.
टीम ने पता लगाया,आखिर बच्ची की मौत कैसे हुई
जांच टीम ने पगार गांव स्थित बिरहोर कॉलोनी पहुंचकर मृतक किरण बिरहोर के पिता बीरू बिरहोर और अन्य परिजनों से पूछताछ की. मौत के कारणों की के संबंध में विस्तार से जानकारी ली. साथ ही चट्टी बरियातू कोल माइंस खुलने के उपरांत आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों पर पड़ रहे प्रभाव की भी गंभीरतापूर्वक कई बिंदुओं पर जानकारी ली. इसके बाद केरेडारी थाना पहुंचकर मृतका किरण बिरहोर की कागजी कार्रवाई के संबंधमें जानकारी ली. लेकिन थाना में इस संबध में कुछ दर्ज नहीं किया गया था. टीम ने केरेडारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिक्रम से किरण बिरहोर की मौत के तथ्यों की लिखित जानकारी भी मांगी.
एनटीपीसी के जीएम फोन ही नहीं उठाया
केरेडारी प्रखंड सह अंचल कार्यालय पहुंचकर बीडीओ अमित कुमार और सीओ राम रतन कुमार वर्णवाल से माइंस खुलने के उपरांत आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों को लेकर सरकार द्वारा मिलनेवाली सुविधाओं समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी हासिल की. जांच के क्रम में टीम द्वारा एनटीपीसी के जीएम फैज तैयब से कई बार टेलीफोन से संपर्क करने का प्रयास किया गया. लेकिन तैयब ने फोन ही नहीं उठाया. चट्टी बरियातू कोल माइंस के अन्य अधिकारियों से संपर्क करने पर ही एनटीपीसी के वरीय अधिकारी से टीम की मुलाकात हो सकी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज हुआ है मामला
एनटीपीसी की चट्टी बरियातू कोल परियोजना में नाबालिग किरणी बिरहोर की मौत के मामले को लेकर मंटू सोनी ने जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार से शिकायतकी थी. भारत सरकार ने तत्काल एक्शन लेते हुए मुख्य सचिव और आदिवासी जाति/जनजाति आयोग को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा. वहीं एक और सामाजिक कार्यकर्ता बैद्यनाथ कुमार ने बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिख कर मामले की शिकायत की थी. इसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने भी अपने स्तर से कार्रवाई शुरू की है. वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी किरणी बिरहोर की मौत का मामले का केस दर्ज हो गया है.
किरणी बिरहोर की मौत के लिए कौन- कौन हैं जिम्मेवार ?
एनटीपीसी की चट्टी बरियातू कोल परियोजना से प्रभावित किरणी बिरहोर की मौत के जिम्मेवार लोगों को अब तक चिह्नित नहीं किया गया है. आखिर बिरहोर बस्ती को बिना बसाये खनन कैसे शुरू हुआ ? इसमें जिला प्रशासन की भी भूमिका संदेहास्पद है. आखिर प्रशासन ने कैसे खनन स्थल के नजदीक बिरहोर बस्ती के पुर्नवास किए बिना खनन करने की अनुमति दे दी ? और अब एनटीपीसी, उसका एमडीओ ऋत्विक-एएमआर मुआवजा देने के नाम पर और बिरहोर बस्ती को अन्य जगह बसाने की बात कहकर मामले की लीपापोती में लग गया है.