Ranchi: खादी के कपड़ों और गांव के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का गठन हुआ था, लेकिन पिछले कई सालों से बोर्ड सिर्फ कपड़े का प्रशिक्षण और प्रोडक्शन कर रहा है. डोकरा और टेराकोटा ज्वैलरी, बांस उत्पाद, मधु उत्पादन और लाह चूड़ी का प्रशिक्षण और उत्पादन बंद है. फिलहाल झारखंड में खादी बोर्ड के 22 प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं, लेकिन इनमें से एक भी केंद्र में ग्रामोद्योग उत्पादों को बनाने की ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है. सभी केंद्रों में सिर्फ सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. 2018 में राज्य में सिर्फ एक केंद्र खुला था जहां लाह चूड़ी, डोकरा और मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण शुरू हुआ था, लेकिन 6 महीने में प्रशिक्षण बंद हो गया. पढ़ें – लातेहार : नावागढ़ में धूमधाम से मनाया जायेगा दुर्गा पूजा, बैठक में पूजा समिति का गठन
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6 तरह के ग्रामोद्योग उत्पादों के लिए दिया जाना था प्रशिक्षण
खादी बोर्ड को 6 तरह के ग्रामोद्योग उत्पादों को तैयार करने का प्रशिक्षण 15 दिन से 3 महीने तक देना है, लेकिन ट्रेनिंग सेंटरों में इसके लिए कोई संसाधन और ट्रेनर नहीं हैं. बोर्ड ने अचार, मसाला, हर्बल उत्पाद, ब्लॉक एवं स्क्रीन प्रिंटिंग, जूट उत्पाद और सैनेटरी नेपकीन के प्रशिक्षण और उत्पादन की भी योजना बनाई थी, लेकिन इसपर अबतक काम शुरू नहीं हुआ.
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दूसरे विभागों के आने के बाद ग्रामोद्योग पर खादी बोर्ड ने ध्यान देना बंद किया
खादी बोर्ड का ग्रामोद्योग पर ध्यान नहीं देने का एक कारण यह भी है कि दूसरे कई विभाग भी ग्रामोद्योग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड के जरिये गांवों के उत्पादों को बाजार मिल रहा है. वहीं झारखंड माटी कला बोर्ड टेराकोटा के उत्पाद तैयार कर रहा है. हस्तशिल्प के उत्पाद का प्रशिक्षण और उत्पादन झारक्राफ्ट से हो रहा है. खादी बोर्ड जरूरत पड़ने पर इन विभागों से समन्वय स्थापित कर डिमांड को पूरा करता है.
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ग्रामीण उत्पादों की बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण और उत्पादन की तैयारी
खादी बोर्ड के सीईओ राखाल चंद्र बेसरा ने बताया कि बोर्ड ने ग्रामीण उत्पादों का बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण और उत्पादन करने की योजना तैयार की है. उन्होंने बताया कि सीताडीह का प्रशिक्षण केंद्र सुदूर इलाके में हैं इसलिए वहां प्रशिक्षण प्रभावित हुआ है. जल्द ही सीताडीह में मशीन से सखुआ के पत्तों का पत्तल और दोना बनाने का स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. वहां पत्तों की उपलब्धता काफी है. वहीं खूंटी, जमशेदपुर, दुमका समेत कई इलाकों के प्रशिक्षण केंद्रों में सिलाई के अलावा ग्रामोद्योग उत्पादों के निर्माण का भी प्रशिक्षण देने की योजना है.
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