Ranchi : एक्शन एड एसोसिएशन इंडिया भारत के विभिन्न राज्यों में शहरी रोजगार गारंटी योजनाओं को लागू करने और चुनौतियों पर एक शोध कर रहा है. इसको लेकर रांची में कंसल्टेशन (परामर्श) का आयोजन किया गया. कंसल्टेशन मीटिंग को संबोधित करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रवीण झा ने कहा कि शहरी गरीबों को रोजगार मुहैया करवाना एक बड़ी चुनौती है. विभिन्न राज्यों में इसके लिए योजना तैयार की गई है. लेकिन इसमें पारदर्शिता नहीं है. रोजगार उपलब्ध कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करके ही उपलब्धि दिखाई जा रही है. कोविड-19 महामारी के बाद रोजगार के अवसर में कमी आई है. ऐसे में शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है. झारखंड सरकार ने भी शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए योजना शुरू की है. योजना के जो रुझान सामने आए, उससे यह मालूम होता है कि योजना का प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण व्यापक पैमाने पर शहरी गरीब इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार को ठोस रणनीति के साथ योजना को अमल में लाना होगा.
एक्शन एड एसोसिएशन इंडिया के रीजनल मैनेजर सौरभ कुमार ने कहा शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर राज्य सरकार को पारदर्शिता के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में तेजी लानी चाहिए. ताकि 100 दिन रोजगार के अवसर लोगों को मिले. इस योजना में सहयोगी के तौर पर सिविल सोसाइटी भी स्थानीय प्रशासन को सहयोग कर सकते हैं. जैसा कि नरेगा के मामले में हुआ था. कंसल्टेशन मीटिंग में जमशेदपुर के लक्खी दास, रांची से राजन कुमार, धनबाद, बोकारो, खूंटी, देवघर और पलामू से सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए. यह शोध अध्ययन रोजा लक्जमबर्ग स्टिफ्टंग साउथ एशिया के सहयोग से किया जा रहा है.
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