Sonia Jashmin
Ranchi: जेटीडीएस (झारखंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी) के माध्यम से गरमा फसल योजना के तहत आदिवासी किसानों को मदद की जा रही है. कोरोना महामारी के समय इस खेती से किसानों की आमदनी अच्छी हुई है. इस योजना के अंतर्गत तरबूज, खरबूज के अलावा लत्तर वाले सब्जी का उत्पादन कराया जा रहा हैं. साथ ही जेटीडीएस द्वारा खेती के लिए बीज और तकनीकी शिक्षा भी उपलब्ध करायी जा रही है.
14 जिलों में चल रही जेटीडीएस की योजना
जेटीडीएस का यह कार्यक्रम राज्य के 14 जिलों में चलाया जा रहा है. इससे 1779 गावों के 36 हजार 700 किसान जुड़े हैं. जिसमें रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, सरायकेला, गोड्डा, खरसावां, जामताड़ा, इस्ट सिंहभूम, दुमका, पाकुड़ और वेस्ट सिंहभूम शामिल हैं.
जेटीडीएस के अनुसार,रांची के अनगड़ा प्रखंड का गांव जहां पहली बार तरबूज की खेती की गई. वहां प्रतिदिन 120-150 टन खरबूज की बिक्री जेटीडीएस से की जा रही हैं. इससे अब तक किसानों को 33000 से ज्यादा की आमदनी हुई है. इसके अलावा तमाड़ से प्रतिदिन भिंडी 500-750 Kg रांची के बाजारों में भेजा जाता है. इसके अलावा कद्दू, करेला व अन्य सब्जियां भी करीब 5 से 7 टन प्रतिदिन बाजारों में भेजा जा रहा है.
जेटीडीसी के किसान जुड़ रहे हैं तरबूज की खेती और व्यापार से
रांची के नागड़ाबड़ा गांव, अनगड़ा प्रखंड में जेटीडीएस द्वारा तरबूज की खेती के लिए बीज उपलब्ध कराई गई थी. टीएसए द्वारा तकनीक व बाजार व्यवस्था, व्यापार का प्रशिक्षण दिया गया. इसी के तहत अनगड़ा गांव में कुल 8 किसानों ने 12.5 एकड़ जमीन पर तरबूज की खेती की है. इस लॉकडाउन के समय में भी जेटीडीएस द्वारा प्रशिक्षित ग्रामीण कार्यकर्ता किसानों को व्यापार से जोड़कर फसल की बिक्री में मदद कर रहे हैं. साथ ही गरमा फसल की ओर से खेतों की सिंचाई के लिए कुआं का भी निर्माण कराया जा रहा है जिससे किसानों को काफी मदद मिल रही है.
किसान महेश बंदिया का कहना है कि उन्होंने पहली बार तरबूज की खेती की है. अब तक कुल 9 टन की बिक्री रांची और रामगढ़ के व्यापारियों को कर चुके हैं. 8 किसानों में से 6 ने करीब 33,500 किलो तरबूज की बिक्री निकटवर्ती व्यापारियों को किया है और मुनाफा कमा रहे हैं.
जेटीडीएस, परियोजना उपनिदेशक, आशीष आनंद ने कहा कि हमलोगों के लिए जीवन और जीविका दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, ऐसी स्थिति में जीविका को बचाए रखने के लिए इस तरह का कार्यक्रम काफी मददगार साबित होता है.
जेटीडीएस के परियोजना निदेशक, भीष्म कुमार ने कहा कि जेटीडीएस का हमेशा से उद्देश्य रहा है कि आदिवासियों के जीवन में खुशियां लायी जाएं, कोरोना काल गरमा फसल का कार्यक्रम आदिवासी किसानों को सबलता प्रदान करता है.