Akshay Kumar Jha
Ranchi : टीटीपीएस के ऑपरेशन हेड राजीव अग्रवाल में हाल के दिनों में टीटीपीएस में एक नोटिस चिपकाया है. नोटिस में कहा गया है कि किसी भी हाल में एक यूनिट से 140 मेगावाट से ज्यादा बिजली नहीं उत्पादन करना है. जब टीटीपीएस के पुख्ता सूत्रों का कहना है कि यूनिट वन से आराम से 190-200 मेगावाट तक बिजली उत्पादन हो सकता है. वहीं यूनिट टू से 180-190 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. यानि टीटीपीएस दोनों यूनिट को मिलाकर करीब 390-400 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा सकता है.
लेकिन टीटीपीएस प्रबंधन की ही तरफ से ऐसा करने से मना किया जा रहा है. टीटीपीएस 420 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता रखने वाला प्लांट है. लेकिन रख-रखाव के अभाव में प्लांट अपनी क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं कर पा रहा है. टीटीपीएस से बिजली उत्पादन कम होने पर राज्य सरकार प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद रही है. जिसके लिए सरकार या वितरण निगम को परचेजिंग कॉस्ट देना होता है.
जाहिर तौर पर इस खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में अधिकारियों को टेबल के नीचे वाला मुनाफा मिलता है. क्योंकि टीटीपीएस से बिजली आपूर्ति होने पर अधिकारी लाभ से वंचित होते हैं. निजी कंपनियों से बोर्ड बिजली खरीदने पर खर्च तो कर देती है, लेकिन टीटीपीएस प्लांट के मेंटनेंस पर खर्च करने से बोर्ड को गुरेज है.
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टीटीपीएस को घाटे वाला प्लांट साबित करने की हो रही साजिश
ऐसा आज से नहीं हो रहा है कि टीटीपीएस को क्षमता से कम बिजली उत्पादन करने को कहा जा रहा है. प्रबंधन की ओर से 2019 नंवबर से ही ऐसी कोशिश की जा रही है. तब एक पत्र जारी कर कम बिजली उत्पादन करने को कहा गया था. उसमें भी मेंटेनेस की कमी का हवाला देते हुए उत्पादन कम करने कहा गया था. फिर से वही दोहराया जा रहा है. प्लांट घाटे में नहीं है. इस लिए प्लांट की क्षमता के मुताबिक 75 फीसदी बिजली उत्पादन किया जाना चाहिए.
420 मेगावाट क्षमता के अनुसार, 75 फीसदी 350 मेगावाट होगा. जबकि वर्तमान में 280 मेगावाट से भी कम बिजली का उत्पादन होता है. ऐसे में टीटीपीएस को राज्य सरकार आसानी से घाटा में साबित करते हुए बंद कर सकती है. राज्य में निजी कंपनियों से बिजली खरीद बढ़ जायेगी. जेबीवीएनएल डीवीसी, इनलैंड पावर, आधुनिक पावर समेत सभी कंपनियों से लगभग 500 करोड़ की बिजली खरीदता है.
इसमें से सिर्फ 250 से 300 करेाड़ की बिजली डीवीसी से ली जाती है. जबकि 15 से 20 दिनों तक अगर टीटीपीएस से बिजली उत्पादन रोककर मेंटेनेस वर्क किया जाये, तो बिजली खरीद में राहत मिल सकती है. टीटीपीएस की सालाना उत्पादन की रिपोर्ट राज्य सरकार को दी जाती है. ऐसे में उत्पादन क्षमता का 75 फीसदी उत्पादन नहीं होने पर, सरकार प्लांट को अंडर परफॉर्मर मानते हुए बंद कर सकती है.
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इन कंपनियों से होती है बिजली आपूर्ति
फिलहाल जेबीवीएनएल इनलैंड पावर, आधुनिक पावर तथा पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, (पीटीसी) से बिजली लेता है. आधुनिक पावर की जमशेदपुर में 270 मेगावाट की दो यूनिट है. दोनों की कुल क्षमता 540 मेगावाट है. यहां से प्रति यूनिट दैनिक बिजली उत्पादन लगभग 189 मेगावाट होता है. जेबीवीएनएल ने आधुनिक पावर से पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) किया है. जिसका परचेजिंग कॉस्ट 3.10 पैसा प्रति यूनिट है.
इनलैंड पावर के लिए साल 2012 में दस साल के लिये एग्रीमेंट किया गया. यहां 63 मेगावाट की एक ही यूनिट है. प्रतिदिन लगभग 40 मेगावाट तक उत्पादन होता है. इसका परचेजिंग कॉस्ट चार रुपये यूनिट है. पीटीसी से सौ मेगावाट बिजली खरीदी जाती है. वहीं डीवीसी से 4.59 रुपये में बिजली खरीदी जाती है. राज्य में प्रतिदिन की मांग 1200 मेगावाट है. पीक आवर में यह 1600 से 1800 मेगावाट हो जाती है.
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