Ramgarh : सीबीएसई के तत्वावधान में डीएवी बरकाकानाना में “विद्यालय स्वास्थ्य एवं समृद्धि” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला (वर्कशॉप) का आयोजन किया गया. इस वर्कशॉप में 62 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया. संसाधक के रूप में सेंट जोसेफ स्कूल सिवान (बिहार) के डॉ पुष्कर गिरी और एसडीएसएम स्कूल फॉर एक्सीलेंस, जमशेदपुर की प्रिसिंपल मौसमी दास मौजूद रही. दोनों संसाधकों ने शिक्षक-शिक्षिकाओं के ज्ञान को परिमार्जित करने का काम किया.
11 चीजों पर शिक्षक-शिक्षिकाओं का ध्यान किया गया आकृष्ट
भारत सरकार बच्चों के स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए उसके विनियोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती है. इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल ने स्वास्थ्य एवं समृद्धि विषय पर कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया. पूरे भारत में रहने वाले बच्चों का एक बड़ा वर्ग स्कूल में शिक्षा अर्जित करने जाता है. अगर स्कूल इन बच्चों को व्यायाम करने व स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित करे तो काफी हद तक बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है. सीबीएसई के संसाधकों ने 11 चीजों पर विशेष रूप से जोर दिया. इसमें बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार, भावनात्मक एवं मानसिक स्वास्थ्य, परस्पर संबंध, नैतिक मूल्य एवं नागरिकता, लैंगिक समानता, पोषण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, तत्वों के अनुचित दुरुपयोग, रोकथाम एवं व्यवस्थापन, स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहन, प्रजननात्मक स्वास्थ्य व एचआईवी के रोकथाम के उपाय ,चोट एवं हिंसा से सुरक्षा, इंटरनेट व सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग शामिल है.
बच्चों को समझाने से ज्यादा उन्हें समझने की जरुरत
मौसमी दास ने कहा कि इस ब्रह्मांड में ऊर्जा व्याप्त है. बच्चे तकनीक के मामले में बहुत आगे हैं. बच्चों को सिर्फ मार्गदर्शन की जरुरत है कि उन्हें कहां अपनी उर्जा लगानी है और कहां नहीं. शिक्षक धन्यवाद के पात्र हैं. क्योंकि वो बच्चों को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाते हैं कि उन्हें अपनी क्षमता को नकारात्मक से सकारात्मक ऊर्जा की ओर कैसे आगे बढ़ाना है. ज शिक्षक उच्च कक्षाओं में पढ़ाते हैं, वह भी धन्यवाद के पात्र है. क्योंकि वह कार्य क्षेत्र में जाने से पहले बच्चों को तैयार करते हैं. माध्यमिक कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक सबसे ज्यादा धन्यवाद के पात्र हैं, क्योंकि वो बच्चों क नैतिक मूल्य सिखाते हैं. इस उम्र में बच्चों को समझाने से ज्यादा उनको समझने की आवश्यकता होती है.