Ranchi: अर्द्ध शुष्क उष्ण कटिबंध संबंधी अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट), हैदराबाद के डिप्टी डायरेक्टर (शोध) डॉ. अरविन्द कुमार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जेनिटिक एंड प्लांड ब्रिडिंग विभाग में उपज, पोषक तत्व और जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए जिनोमिक्स एसिस्टेड ब्रीडिंग विषय पर शोधपूर्ण की. उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में कृषि के लिए पानी और भूमि की उपलब्धता घटेगी, मिट्टी का डिग्रेडेशन, शहरीकरण और उद्योगीकरण बढ़ेगा और बाढ़-सुखाड़ के मामलों में वृद्धि, परिवर्तनशील मौसम, प्रकाश की गहनता में कमी, फसल रोगों में वृद्धि, कीट गतिशीलता में बदलाव और पोषक तत्वों में कमी जैसी मौसम परिवर्तन की चुनौतियां उभरेंगी. ऐसे परिदृश्य में हो सकता है पिछले 60 वर्षों से चल रहा फसल सुधार संबंधी कार्य अप्रासंगिक हो जाये और हमें नई रणनीतियों पर काम करना पड़े. व्याख्यान का आयोजन इंडियन सोसाइटी ऑफ प्लांट जेनेटिक्स एंड ब्रीडिंग की रांची शाखा ने किया था.
इसे पढ़ें- राजेश वर्मा बॉबी ने जीता #JSCA सीसीसी अध्यक्ष पद का चुनाव
डॉ अरविंद ने कहा कि हरित क्रांति के दौर में उन्नत प्रभेदों के इस्तेमाल और ज्यादा उर्वरकों के उपयोग से उत्पादकता तो बढ़ी लेकिन फसलों में विपरित मौसम,सुखाड़ आदि सहने की जो स्वाभाविक क्षमता थी वह समाप्त हो गई. प्लांट ब्रीडिंग पौधों के जेनेटिक आर्किटेक्चर में सुधार करने की कला और विज्ञान है. अब वैज्ञानिकों को रोगों, डूबाव, सुखाड़ और तृणनाशकों के प्रति सहिष्णुता प्रभेदों के विकास पर ज्यादा ध्यान देना होगा और चावल की सीधी बुवाई की तकनीक अपनानी होगी. डॉ कुमार ने धान के 65 उन्नत प्रभेद विकसित किए हैं, जो एशिया और अफ्रीका के 10 देशों के शोध संस्थानों, उद्योगों एवं उत्पादकों द्वारा उपयोग में लाये जा रहे हैं.
इस अवसर पर बीएयू के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग की अध्यक्ष डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती, डॉ नीरज कुमार एवं डॉ सीएस महतो ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम में निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह, डीन पीजी डॉ एमके गुप्त, निदेशक प्रक्षेत्र डॉ शंभूनाथ कर्मकार और प्रो राकेश कुमार सहित शिक्षक एवं वैज्ञानिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
——-
खबर नंबर- 02
दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में प्रथम स्थान रखता है: डॉ सुशील प्रसाद
Ranchi: दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में प्रथम स्थान रखता है. विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन का 24 प्रतिशत भारत में होता है. दूध उपलब्धता का प्रति व्यक्ति वैश्विक औसत 322 ग्राम है. जबकि भारत में प्रति व्यक्ति 427 ग्राम दूध उपलब्ध है. ये बातें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ. सुशील प्रसाद ने हंसडीहा, दुमका स्थित बीएयू के फूलो जानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर कहा. उन्होंने आगे कहा कि दूध कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन भरपूर मात्रा में होता है. दुग्ध उत्पादों के नियमित उपयोग से हड्डी और इम्यूनिटी मजबूत होती है. हृदय व ब्लड प्रेशर संबंधी स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है. भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीज कुरियन के जन्मदिवस पर वर्ष 2014 से हर साल 26 नवम्बर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. विशिष्ट अतिथि रविंद्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ. असीम कुमार मंडल ने कहा कि दूध का प्रतिदिन सेवन करने से मनुष्य के संज्ञानात्मक गिरावट में भी कमी आती है. वर्ष 2022-23 में देश में 221 मिलियन मिट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ जो किसी भी देश से अधिक है.
इसे भी पढ़ें- सीएम स्मार्ट ग्राम योजनाः काम पूरा करने के लिए अफसरों ने मांगा मार्च 2024 तक का समय
डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि यह दिवस बनाने का उद्देश्य आम लोगों को दूध के फायदों के प्रति जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित झारखंड मिल्क फेडरेशन द्वारा 48000 किसानों से लगभग 1.8 लाख लीटर दूध प्रतिदिन एकत्र किया जाता है, और मेधा ब्रांड का वार्षिक टर्न ओवर लगभग 350 करोड रुपये का है. वर्ष 2016-17 में स्थापित बीएयू के डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज से अब तक 63 डेयरी स्नातक डिग्री लेकर निकल चुके हैं जो विभिन्न डेयरी प्लांट्स और मिल्क फेडरेशन में सेवा दे रहे हैं.
इस अवसर पर डॉ एनोस केरकेट्टा और डॉ अमित झा भी उपस्थित थे. मंच संचालन द्वितीय वर्ष के छात्र तुषार कुमार और रिया ने किया. तृतीय वर्ष की छात्रा अर्शिया नाज तथा द्वितीय वर्ष के छात्र दिव्यांशु कुमार ने भी मिल्क डे पर अपने विचार रखे. छात्र-छात्राओं ने नागपुरी डांस भी प्रस्तुत किया.