Ukraine : खबर है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नॉर्थ अटलांटिक महासागर में अपने परमाणु पनडुब्बियों को रवाना कर दिया है. ये सबमेरिन16 बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने में सक्षम हैं, उत्तर अटलांटिक महासागर के आस-पास ही यूरोप के कई देश मौजूद हैं. यूक्रेन-रूस वॉर में सीजफायर जैसे हालात बनते नहीं दिख रहे हैं. स्थिति और भी बिगड़ती नजर आ रही है.
पश्चिम देशों की खुफिया एजेंसियों की पुतिन के न्यूक्लियर हथियारों पर नजर
रिपोर्ट्स के अनुसार व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को अंजाम भुगतने की धमकी देने के एक दिन बाद परमाणु पनडुब्बियों को उत्तरी अटलांटिक में भेज दिया है. जान लें कि पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण के कुछ समय बाद ही अपने न्यूक्लियर डिटरेंट फोर्सेज को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया था. पश्चिम देशों की खुफिया एजेंसियां पुतिन के न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे पर पैनी नजर रखे हुए है.
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परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा रूस के पास
जानकारी के अनुसार रूस की सीमाओं को लेकर महात्वाकांक्षी माने जा रहे पुतिन के पास 4,447 परमाणु हथियारों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु जखीरा है. रूस के पास ऐसे न्यूक्लियर हथियार हैं, जो शत्रु के खास ठिकानों को पूरी तरह से तहत-नहस कर सकते हैं. हालांकि इससे व्यापक विनाश नहीं होता है. सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि इन हथियारों का इस्तेमाल इतना आसान नहीं है, लेकिन रूस के वैज्ञानिक बमों और मिसाइलों को लेकर खासे निपुण हैं.
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मिसाइलों में परमाणु हथियार लाये जाने के सबूत नहीं
पश्चिम के एक अधिकारी के अनुसार, इस युद्ध में अब तक यूक्रेन को टारगेट कर दागी गयी मिसाइलों में परमाणु हथियारों को लोड करने का कोई सबूत नहीं मिला है. अटलांटिक काउंसिल में स्कोक्रॉफ्ट स्ट्रैटेजी इनिशिएटिव के निदेशक डॉ मैथ्यू क्रोनिग ने एजेंसी को बताया कि पुतिन ने दो कारणों से अपने परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखता है.
अधिकारी ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे रूस के परमाणु हमले के चपेट में आने की आशंका कम हो जायेगी क्योंकि रूस का ही सारा हथियार एक स्थान पर होगा. और दुश्मन को जोरदार पलटवार का डर सतायेगा. दूसरे स्ट्रेटेजिक लोकेशन पर होने की वजह से जरूरत पड़ने पर उन्हें आसानी से लॉन्च किया जा सकता है. इसलिए रूस अपने न्यूक्लियर डेटरेंट को अलर्ट पर रखता है.
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पुतिन युद्ध में खतरनाक दिखने की कोशिश कर रहे हैं
पश्चिमी विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन युद्ध में खतरनाक दिखने की कोशिश कर रहे हैं. दरअसल पुतिन पश्चिम को संदेश देना चाहते हैं कि पश्चिमी देश इस युद्ध से बाहर रहे. डॉ क्रोनिग ने कहा कि पुतिन ने 2014 में क्रीमिया के विलय के दौरान भी इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा, यह घटनाक्रम चीजों को और अधिक खतरनाक बना देता है, लेकिन रूस ने 2014 में ऐसा किया था, और वे एक आक्रामक रणनीति के रूप में परमाणु डेटरेंट का उपयोग करते हैं.
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