Ranchi: सूबे में सामाजिक संगठनों ने जातीय जनगणना एवं स्थानीय व नियोजन नीति लागू करने की मांग तेज कर दी है. इसे लेकर राजधानी रांची स्थित बिहार क्लब में सामाजिक संगठनों की बैठक हुई. बैठक में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा- झारखंड बनने के 21 वर्ष के बाद भी राज्य में डोमेसाइल और स्थानीय नीति नहीं बनायी गयी है. यह राज्य के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है. अपनी मांग को लेकर आदिवासी-मूलवासी सामाजिक संगठन व युवा संगठनों की संयुक्त प्रतिनिधि सभा की बैठक डॉ करमा उरांव अध्यक्षता में हुई.
बैठक में 35 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में सर्वसम्मति से 15 नवंबर 2021 तक स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति पर सकारात्मक कदम उठाने की राज्य सरकार से मांग की गयी. वक्ताओं ने बैठक में कहा- राज्य में स्थानीय नीति के अभाव में राज्य के उधोग-धंधे व्यवसाय, कारोबार, राजकीय सेवा, विभिन्न संवर्गीय पदों और शिक्षकों पदों की नियुक्ति में बाहरी लोगों का हो रहे कब्जा पर नाराजगी व्यक्त की गयी. बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ करमा उरांव ने कहा कि राज्य के सभी राजनीतिक दलों को स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
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आदिवासी एवं मूलवासी सामाजिक संगठनों का संयुक्त प्रतिनिधि सभा करेगा परिसंवाद
बैठक में अपनी मांगों को लेकर छह नवंबर 2021 को राज्य के विभिन्न दलों के अध्यक्ष और विधायकों के साथ सामाजिक संगठनों का परिसंवाद का आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इसमें विभिन्न दलों के नेता स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे. उपरोक्त मामलों पर नीति निर्धारण के लिए कोर कमिटी का गठन किया गया है.
बैठक में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि के तौर पर लाल प्रवीर नाथ शाहदेव, दयामणी बारला, पीसी मुर्मू, अरूण कश्यप, राजू महतो, एस अली, धर्मदयाल साहू, सुशील उरांव, प्रेम शाही मुंडा, आजम अहमद, प्रो जलेशवर भगत, एलएम उरांव, अधिवक्ता अबदुल कलाम रसीदी, सर्जन हांसदा, भुवनेश्वर लोहरा, रंजीत टोप्पो, जियाउद्दीन अंसारी, अजय कच्छप, मो फुरकान, शिव शंकर महतो, चरण केवट, अभय भुटकुंवर, देवेन्द्र महतो, इशरत आलम, अंतु तिर्की ने भी स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति पर विचार व्यक्त किया.