Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) झारखंड राज्य अलग होने के बाद से ही धनबाद में रियल स्टेट का कारोबार तेजी से बढ़ा. देखते ही देखते पिछले 22 साल में पूरा शहर गगनचुंबी अट्टालिकाओं से भर गया. आधुनिक व्यंग्य की भाषा में लोग इसे कंक्रीट का जंगल कहते हैं. मुख्य सड़क से लेकर गल्ली मुहल्लों में बहुमंजिली इमारतें खड़ी हो गई. भवन बनते गए, मगर कानून-नियमों को ठेंगा भी दिखाया जाता रहा. म्युनिसिपल एक्ट, झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) आदि नियमों की अनदेखी य़ा अपने अनुकूल तोड़ मरोड़ कर ऐसा मायाजाल रचा गया कि अब उससे निकलने की छटपटाहट भी काम नहीं आ रही.
नियमों की उपेक्षा के साथ प्रकृति से भी खिलवाड़
धनबाद नगरपालिका, झमाडा और अब निगम निगम के अधिकारी बिल्डरों को एनओसी देने से लेकर नक्शा पास करने का काम करते रहे. क्यों और कैसे, इन सवालों के जवाब में जैसे-तैसे भवन बनते रहे. उन भवनों में सुख-सुविधाएं भी पहुंच गई. परंतु प्रकृति की उपेक्षा कर कौन सुखी रह सकता है. आग, पानी, बिजली आदि का संकट वैसे भी परेशान कर रहा है. यह संकट कभी विपदा बन कर सामने खड़ा होता है तो शहर में अगलगी, शार्ट सर्किट व जल प्लावन की घटना सामने आती है. मगर नियमों की उपेक्षा करने के कारण सारे उपाय धरे के धरे रह जाते हैं. लोग काल के गाल में समा रहे हैं. इधर उन्हें बचाने में सरकारी मिशनरियां भी फेल साबित हो रही हैं..
आशीर्वाद टावर की बिल्डिंग में अगलगी ने खोली आंख
मंगलवार 31 जनवरी की शाम जोड़ाफाटक रोड स्थित आशीर्वाद टावर में अगलगी की घटना कई सवाल छोड़ गई. निगम के जानकारों की मानें तो इस बिल्डिंग का नक्शा झमाडा ने 2012 में पास किया व 2015 में रिन्युअल किया. उस समय रेरा कानून नहीं आया था. 20 फीट सड़क पर अधिकतम 9 फ्लोर तक बिल्डिंग का निर्माण किया जा सकता था, लेकिन बिल्डिंग के चारों और 16.4 फीट खाली जगह छोड़ना अनिवार्य था. साथ ही सभी फ्लोर पर सीढ़ी के पास आग बुझाने की सामग्री, पाइप, पानी की व्यवस्था जरुरी थी. लेकिन अगलगी के समय सिर्फ तीन फ्लोर पर ही आग बुझाने की सामग्री मिली. बिल्डिंग का निर्माण भी उस वक्त के नियम के खिलाफ था. 11 फ्लोर तक बिल्डिंग का निर्माण हुआ था. बिल्डिंग के चारों और खाली जगह भी नियम के मुताबिक नहीं थी.
2016 से नियमों में हुआ है बदलाव
वर्ष 2016 में झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) कानून बना. तब से अब तक शहर में बहुमंजिली इमारतों का नक्शा सड़कों की चौड़ाई के हिसाब से पास होता है. नक्शे की स्वीकृति नगर प्रशासक देते हैं. रेरा कानून के अनुसार 40 फीट सड़क पर बीजी 9, 20 फीट सड़क पर बीजी 4, 22 फीट सड़क पर बीजी 4 तक इमारत का निर्माण किया जा सकता है. बिल्डिंग के चारों ओर 20 -20 फीट खाली जगह छोड़ना अनिवार्य है. साथ ही पार्किंग, पार्क के अलावा हर फ्लोर पर आग बुझाने की सामग्री, पानी की व्यवस्था, फायर वायर, आपात कालीन रास्ते का होना भी जरूरी है. लेकिन इन नियमों का पालन ठीक ढंग से नहीं होता है. निगम के अधिकारी नियमों की अनदेखी कर नक्शा की अनुमति प्रदान कर देते हैं. इतना ही नहीं, किसी इमारत की रूटीन जांच भी नहीं होती है. पहले से नियम के विरुद्ध बने भवनों की जांच करना भी निगम के अधिकारी जरुरी नहीं समझते है. फायर मॉक ड्रिल भी नहीं होता है.
झमाडा एमडी अवर निबंधक की कार्य शैली पर उठा चुके हैं सवाल
वर्ष 2010 में झमाडा एमडी ने महानिरीक्षक निबंधन को पत्र देकर अपार्टमेंट के निर्माण पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि झारखंड अपार्टमेंट अधिनियम 2005 के नियमो का पालन नहीं हो रहा है. अपार्टमेंट के बिक्री निबंधन से पूर्व सक्षम पदाधिकारी से एनओसी नहीं लिया जा रहा है. जिला अवर निबंधक द्वारा नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा है. ऐसे में झमाडा के साथ राज्य सरकार को राजस्व की हानि हो रही है. इसके बाद 2013 में डीसी की अध्यक्षता में बैठक हुई. डीसी ने जिला अवर निरीक्षक को अपार्टमेंट की जाँच के बाद ही बिक्री के लिये एनओसी प्रदान करने का निर्देश दिया था. लेकिन तब से आज तक पदाधिकारियों के घालमेल के कारण किसी भी अपार्टमेंट के बिक्री की अनुमति आसानी से दे दी जाती है.
सवालों से बचते दिखे निगम के अधिकारी
आवासीय नक्शे से जुड़े मामले की जानकारी लेने के लिये जब नगर आयुक्त सतेंद्र कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने व्यवस्था का हवाला देते हुए मिलने से ही इंकार कर दिया. बाद में फोन पर संपर्क करने पर फोन उठाना जरूरी नहीं समझा.
डीसी ने निगम के अधिकारियों को दिए जांच के आदेश
डीसी संदीप सिंह ने कहा कि आशीर्वाद टावर की घटना बहुत दुखद है. 14 लोगों की जान चली गई. बचाये गए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. आज बिल्डिंग को लेकर नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है. उनका कहना है कि नक्शा 2012 में झमाडा से पास हुआ था, उसे 2015 में रिन्यूवल किया गया. इसके बाद भी निगम के अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि बिल्डिंग तय मानकों के अनुरुप बना है या नहीं, इसकी जांच करे. आग लगने के बाद दो फ्लोर की क्या स्थिति है, इससे भी अवगत कराये, शहर के अन्य स्थानों पर भी बनी बहुमंजिली इमारतों की जांच के आदेश दिए गए हैं.