गोड्डा उपायुक्त से शिक्षिका की शिकायत करने पहुंचे सरकारी स्कूल के बच्चे
हमें पढ़ना है, आगे बढ़ना है, हम सिर्फ मिड डे मील का खाना खाने स्कूल ही आते हैं
Jitendra Dubey
Godda: स्कूल में शिक्षिका पढ़ाती ही नहीं हैं. दिनभर मोबाइल चलाती रहती हैं. हम बच्चों को मिड डी मील का भोजन कराकर वापस भेज दिया जाता है. ऐसी ही कई शिकायतों का पुलिंदा लेकर सदर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय, अमलो के बच्चे- बच्चियां मंगलवार को उपायुक्त से मिलने समाहरणालय पहुंचे. दो दर्जन से अधिक बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी डीसी से मिलने पहुंचे थे. लेकिन उपायुक्त से मुलाकात नहीं हो सकी. उपायुक्त के प्रभार में रहे अधिकारी से बच्चों ने मुलाकात की. कहा-अंकल हम मध्याह्न भोजन करने स्कूल नहीं जाते हैं, पढ़ाई करने जाते हैं. हमें पढ़ना है, आगे बढ़ना है. भविष्य गढ़ना है. लेकिन स्कूल की शिक्षिका पढ़ाती नहीं हैं. अधिकारी ने बच्चों से शिकायती आवेदन लिया. बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भरोसा दिलाया- हर हाल में बच्चों की पढ़ाई होगी. शिक्षिका बच्चों को पढ़ाएंगी. जरूरत पड़ी तो और भी शिक्षिक की व्यवस्था की जाएगी, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो. शिक्षकों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
स्कूल में 85 बच्चे, एकमात्र शिक्षिका, लेकिन पढ़ाई पर ध्यान नहीं
बच्चों के साथ आए अभिभावकों ने शुभम संदेश संवाददाता को बताया कि प्राथमिक विद्यालय में 85 बच्चों का नामांकन हुआ है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षिका नीलिमा कुमारी ही पदस्थापित हैं. शिक्षिका भी इसी गांव की रहनेवाली हैं. उनका बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान ही नहीं है. कभी समय से स्कूल नहीं आती हैं. चूंकि इसी गांव की रहनेवाली हैं, इसलिए बायोमिट्रिक सिस्टम से घर बैठे ही हाजिरी बना लेती हैं. दोपहर बाद मन किया तो घूमते -टहलते स्कूल पहुंचती हैं. थोड़ी देर रुकती हैं, फिर चल देती हैं. तबतक बच्चे या तो स्कूल में ही खेलते रहते हैं या घर लौट जाते हैं. कोई उन्हें रोकने-टोकनेवाली भी नहीं. बच्चे भी स्कूल में तबतक रुकते हैं, जब तक मिड डे मील तैयार नहीं हो जाता. बच्चे मिड डे मील का भोजन कर लौट जाते हैं.
जमींदार परिवार की हैं शिक्षिका, करती है दबंगई
अभिभावकों का आरोप है कि गांव के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाली शिक्षिका दबंगई करती हैं. न तो समय पर स्कूल आती हैं, न बच्चों को पढ़ाती हैं. घूमते-टहलते स्कूल पहुंचती हैं, कुछ देर मोबाइल चलाती हैं. तबतक मध्याह्न भोजन तैयार हो जाता है. बच्चों को खाना खिलाकर वापस घर भेज दिया जाता है. बच्चे समय पर स्कूल तो पहुंच जाते हैं, लेकिन उनपर किसी कोई नियंत्रण नहीं रहने की वजह से इधर-उधर खेलते रहते हैं. कई बार बच्चे दुर्घटना के भी शिकार हो जाते हैं.
गांव की शिक्षिका का तबादला दूसरी जगह किया जाए
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए. गांव की शिक्षिका का स्थानांतरण दूसरी जगह किया जाए. शिक्षिका की वजह से गांव के स्कूल का माहौल खराब हो रहा है. समाहरणालय में उपायुक्त के नहीं रहने से प्रभारी उपायुक्त से मिलकर शिकायती आवेदन दिया गया है.