राज्यपाल के ओएसडी ने विश्वविद्यालयों के विकास के लिए दी महत्वपूर्ण सलाह
शोध गुणवत्ता और शोध नैतिकता पर दिया जोर, जीवंत वेबसाइट और एप बनाने की कही बात
प्लेसमेंट और रोजगार के बिंदुओं को भी किया रेखांकित
Amarnath Pathak
Hazaribagh : विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के आर्यभट्ट सभागार में बुधवार को राज्यपाल के विशेष कार्य पदाधिकारी (सचिवालय) सह इंस्पेक्टर ऑफ यूनिवर्सिटीज डॉ. संजीव राय के साथ विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं स्ववित्तपोषित विभागों के निदेशकों की बैठक मानविकी संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ मिथिलेश सिंह की अध्यक्षता में हुई. अपने संबोधन में डॉ संजीव राय ने कहा कि भारत को ज्ञान का अर्थशास्त्र के रूप में विकसित करने के लिए हमें अपने विश्वविद्यालयों को रूपांतरित करने पड़ेंगे. इसके लिए विश्वविद्यालयों को लक्ष्य निर्धारित कर योजनाएं बनानी पड़ेंगी तथा निर्धारित समय में उन लक्ष्यों को प्राप्त भी करने पड़ेंगे. समय की मांग के अनुसार बदलाव होना चाहिए. विश्वविद्यालय के शिक्षकों के पास उनके अनुभव भी हैं. हमें यह देखना है कि उस अनुभव को हम विद्यार्थियों तक कैसे पहुंचाएं.
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विश्वविद्यालय के पुस्तकालय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत : डॉ संजीव राय
डॉ संजीव राय ने शोध गुणवत्ता और शोध नैतिकता पर विशेष बल दिया. विश्वविद्यालय के पुस्तकालय पर विशेष ध्यान देने की बात बताई तथा उन्हें आधुनिक प्रविधि से जोड़ने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पास एक जीवंत वेबसाइट होनी चाहिए और विश्वविद्यालय का अपना ऐप होना चाहिए, जिसमें विद्यार्थियों को सभी जानकारी उपलब्ध हो जाए. खेलकूद, कला-संस्कृति के साथ-साथ कैंपस जीवन को लेकर भी विश्वविद्यालय को काम करना है. उन्होंने सामुदायिक रेडियो एवं प्रदर्शन कला के महत्व पर बल दिया. अंत में उन्होंने प्लेसमेंट और रोजगार के बिंदुओं को भी रेखांकित किया.
विभावि की समस्याओं से कराया गया अवगत
शिक्षकों की ओर से समाज विज्ञान के संकायाध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र देवघरिया, इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विकास कुमार, केंद्रीय पुस्तकालय के निदेशक डॉ विनोद रंजन तथा जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र कुमार ने डॉ संजीव राय को विश्वविद्यालयों की वस्तु स्थिति से अवगत कराने का प्रयास किया. शिक्षक अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं को चिह्नित करके इनके निस्तारण के लिए समय आधारित योजना पर कार्य करने पड़ेंगे, तभी झारखंड के विश्वविद्यालय शेष भारत के विश्वविद्यालय के बराबरी में फिर से आ पाएंगे. यहां पर्याप्त संख्या में पद का सृजन नहीं हो रहा है, शिक्षक ही नहीं हैं, कर्मचारी नहीं हैं, वहां कैसे कोई नई योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकेगा.
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स्मारपत्र तैयार कर समर्पित करने का आग्रह
वक्ताओं को धैर्य पूर्वक सुनने के पश्चात डॉ संजीव राय ने विश्वविद्यालय के बिंदुओं पर एक स्मारपत्र तैयार कर समर्पित करने का आग्रह किया. विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र कुशवाहा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
विभागाध्यक्षों और शिक्षकों से की मुलाकात
इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ कौशलेंद्र कुमार ने अतिथि परिचय के साथ डॉ राय का स्वागत किया. डॉ संजीव राय के आगमन पर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में उनका स्वागत किया गया. फिर विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ उनका परिचय कराया गया. डॉ संजीव राय ने कुछ विभागों का दौरा भी किया और वहां के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षकों से मिले.