Ranchi : झारखंड बिजली वितरण निगम बिजली बिल वसूली पर कड़ी कार्रवाई कर रही है. एक ओर जहां घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली काटी जा रही है. वहीं केंद्र सरकार के उपक्रमों पर भी कार्रवाई की तैयारी में है. निगम की ओर से ऐसे केंद्रीय उपक्रमों की सूची बनायी गयी है. जिन्हें अधिक बिजली बिल होने पर नोटिस भेजा जा रहा है. इन उपक्रमों से निगम जल्द से जल्द बिजली बिल भुगतान चाहती है. इस सूची में लगभग दो सौ ऐसे सरकारी उपक्रम हैं. जिनका बकाया लाखों में है और निगम की ओर से इन उपक्रमों को नोटिस थमायी जा रही है. इन उपक्रमों का बकाया निगम के पास करोड़ों में है. जिन पर निगम अब कारवाई के मूड में है.
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किन सरकारी उपक्रमों में कितना बकाया
बीसीसीएल झरिया के डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय का 75 लाख, डिवीजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ईस्टर्न रेलवे धनबाद का 589 करोड़ रूपये बकाया. इस डिवीजन के अंतर्गत लातेहार, डाल्टेनगंज और बरहवाडीह शामिल है. सीनियर डीईई रेलवे कार्यालय चास पर 16.95 लाख, जीएम रोपवे पर 15.66 लाख, भवनाथपुर असिस्टेंड सुपरिटेंडेंट लाइम स्टोन पर 183 करोड़, जादूगोड़ा स्थिति यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड 243 करोड़ और जादूगोड़ा स्थित ही एक अन्य शाखा का बकाया भी 57 करोड़ है.
यूसीआइएल जमशेदपुर जीएम कार्यालय का 406 करोड़, रामगढ़ कैंट के असिस्टेंट इंजीनियर कार्यालय का 8 करोड़ 74 लाख, डीआरएम ऑफिस ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे का दो करोड़ 73 लाख, स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया बरही कार्यालय का बकाया 2 करोड़ 44 लाख है. जिला कमांडेंट होम गार्ड कार्यालय डाल्टेनगंज का बकाया एक करोड़ 17 लाख है.
कोकर स्थिति गैरिसन इंजीनियर कार्यालय का बकाया 92 लाख है. इसीएल की अलग-अलग खदानों पर लगभग 15 लाख तक बिजली बिल बकाया है.
एचईसी की कटी बिजली
निगम ने एचईसी की बिजली बिल 129 करोड़ बकाया होने पर बिजली काटी. कारवाई पिछले सप्ताह की गयी. एचईसी के आश्वासन के बाद निगम ने देर रात बिजली बहाल की. छह सिंतबर को एचईसी ने निगम को एक करोड़ भुगतान किया. बता दें कि निगम की ओर से एचईसी को पिछले छह महीने से नोटिस भेजा जा रहा था. जहां बिजली बिल भुगतान की बात की जा रही थी. सात अगस्त के नोटिस के बाद एचईसी प्रबंधन ने निगम को जवाब नहीं दिया. जिसके बाद बिजली काटी गयी.
केंद्र ने की थी कटौती
राज्य में डीवीसी बकाया भुगतान का मामला हमेशा शीर्ष रहता है. पिछले दिनों राज्य सरकार ने कैबिनेट से 2800 करोड़ की मंजूरी करते हुए डीवीसी को भुगतान किया. भुगतान कैबिनेट की ओर से की गयी. इस साल के अगस्त तक डीवीसी का कुल बकाया 2800 करोड़ था. इसमें 1200 करोड़ विवादित राशि नहीं जोड़ी गयी है. बता दें कि पिछले साल से निगम डीवीसी से 250 करोड़ की बिजली हर महीने लेती थी. जो पिछले साल नवंबर के बाद से 155 करोड़ हो गया है. उर्जा विभाग ने डीवीसी कमांड के कुछ इलाकों में अपना संचरण लाइन बनने के बाद इस राशि में कमी आयी.
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