Washington : अमेरिका की एक अदालत ने देश के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन की अपील खारिज करते हुए पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने का आदेश दिया है. राणा मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले में शामिल होने के मामले में भारत में मुकदमे का सामना कर रहा है.नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
राणा ने अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश के खिलाफ नाइंथ सर्किट कोर्ट में अपील की
राणा (62) ने कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ नाइंथ सर्किट कोर्ट में अपील की है, जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था. सेंट्रल कैलिफोर्निया में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जिला न्यायाधीश डेल एस फिशर ने अपने हालिया आदेश में कहा कि राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के अनुरोध वाले उसके एक पक्षीय आवेदन को मंजूरी दी जाती है.
राणा मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोपी
न्यायाधीश फिशर ने 18 अगस्त को जारी आदेश में कहा, यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइन्थ सर्किट के समक्ष लंबित राणा की याचिका पर फैसला आने तक उसके भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाती है. इस तरह न्यायाधीश ने सरकार की इन सिफारिशों को खारिज कर दिया कि राणा के प्रत्यर्पण पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए. राणा मुंबई हमलों में अपनी भूमिका को लेकर आरोपों का सामना कर रहा है.
आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के संपर्क में था राणा
माना जाता है कि 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से उसके संपर्क थे. न्यायाधीश ने कहा, प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 6 (1) में अपराध का उचित अर्थ स्पष्ट नहीं है और विभिन्न न्यायविद अलग-अलग निष्कर्ष निकाल सकते हैं. राणा की स्थिति निश्चित रूप से विचारणीय है और अपील पर सुनवाई में इसे सही पाया जा सकता है.
अमेरिका सरकार को आठ नवंबर तक दलीलें रखने का आदेश
न्यायाधीश ने लिखा, भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध का अनुपालन मूल्यवान है, लेकिन राणा के प्रत्यर्पण की कार्यवाही तीन साल से अधिक समय से जारी है, जिससे पता चलता है कि इस प्रक्रिया में अब तक कोई जल्दबाजी नहीं की गयी है. यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइन्थ सर्किट ने राणा से 10 अक्टूबर से पहले अपनी दलीलें पेश करने को कहा है और अमेरिका सरकार को आठ नवंबर तक दलीलें रखने को कहा है.