Hazaribagh: पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को उत्तम आर्जव धर्म मनाया गया. इस दौरान आर्यिका रत्न 105 प्रतिभामति माताजी और आर्यिका 105 सुयोगमति माताजी ने कहा कि उत्तम आर्जव धर्म जीवन में सरलता लाना सिखाता है. आर्जव का अर्थ होता है ऋजुता या सरलता अर्थात बाहर भीतर एक होना. मन में कुछ, वचन में कुछ और प्रकट में कुछ, यह प्रवृत्ति कुटिलता या मायाचारी है.
माताजी ने कहा कि इसी माया कषाय को जीत कर मन और काय की क्रिया में एकरूपता लाना उत्तम आर्जव धर्म है. जिस व्यक्ति के हृदय में कपट और कुटिलता होती है, उसकी दृष्टि मलिन होती है. उसका जीवन असामाजिक हो जाता है. सरलता से अपने दोषों की आलोचना करने वाला व्यक्ति माया व मद से मुक्त होता है. इससे पहले बड़ा बाजार और बाडम बाजार दोनों जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा और नित्य पूजा हुई. बड़ा बाजार जैन मंदिर में आर्यिका रत्न 105 प्रतिभामति माताजी और आर्यिका 105 सुयोगमति माताजी के सानिध्य में अभिषेक शांतिधारा पूजन विधान हुआ.
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज व आर्जव सागर महाराज का चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन पूजन विभाग के संयोजक नितिन पाटोदी, निकेश विनायका और उनके सहयोगी जैन युवा परिषद सदस्यों ने किया. दोपहर में माताजी का प्रवचन बाडम बाजार जैन मंदिर में हुआ. रात्रि में दोनों मंदिरों में महाआरती हुई. पंडित दीपक ने प्रवचन और पाठशाला के बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. पावन वर्षा योग कमेटी के मुख्य संयोजक निर्मल जैन गंगवाल ने सभी कार्यक्रमों में भाग लेने वाले के प्रति आभार प्रकट किया. समाज के सभी वर्ग के लोग काफी उत्साह के साथ कार्यक्रम में भाग लिये.
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