Dehradun : इस देश का नियंत्रण और इसके भविष्य का मार्गदर्शन भारत का संविधान करता है. हम संविधान और उसके कानूनों के परे नहीं जा सकते. भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां कानून का शासन है शास्त्रों का नहीं. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य के एडवोकेट जनरल की दलील को ठुकराते हुए यह टिप्पणी की.
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पूजा पाठ के लाइव प्रसारण को शास्त्र अनुमति नहीं देते
एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में दलील दी थी कि मंदिर में पूजा पाठ के लाइव प्रसारण को शास्त्र अनुमति नहीं देते. जान लें कि कुछ दिन पहले ही हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाते हुए वहां के पूजा अनुष्ठानों का लाइव प्रसारण करने को कहा था. एडवोकेट जनरल (एजी) की दलील पर कोर्ट ने दो टूक कहा, भारत लोकतांत्रिक राज्य है जहां कानून का शासन है शास्त्रों का नहीं.
कोई ऐसा आईटी ऐक्ट है तो कृपया हमें दिखायें
चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने एजी एसएन बाबुलकर से कहा कि वे धार्मिक तर्क नहीं दें क्योंकि उनका कोई कानूनी आधार नहीं है. इस क्रम में चीफ जस्टिस ने कहा, अगर कोई ऐसा आईटी ऐक्ट है तो कृपया हमें दिखायें, जो कहता हो कि मंदिर में होने वाले पूजा अनुष्ठान की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती.
एजी ने जवाब दिया था कि मंदिरों में पूजापाठ की लाइव स्ट्रीमिंग का फैसला लेने की अनुमति देवस्थानम बोर्ड को दी जाये. साथ ही कहा था कि कुछ पुजारियों का कहना है कि हिंदू शास्त्र इन विधि विधानों के लाइव प्रसारण को अनुमति नहीं देते हैं. इसी बात पर कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी की.