– वित्त विभाग ने फिर अधिकारियों को एक ही वाहन उपयोग के पालन का दिया निर्देश
Ranchi: राज्य में विभिन्न विभागों के अधिकारियों द्वारा एक से अधिक सरकारी वाहन उपयोग का मामला कई बार सामने आता है. इस पर अब सख्ती बरती जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वित्त विभाग को खर्च कम करने और राजस्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है. इसी के तहत वित्त विभाग ने एक बार फिर अधिकारियों को एक ही वाहन उपलब्ध कराने और एक ही वाहन उपयोग करने का निर्देश दिया है.
हालांकि जानकारों का कहना है कि इससे व्यवस्था में बदलाव कुछ ही समय के लिए आ पायेगा. सरकार को इसके लिए नयी व्यवस्था बनानी होगी. सरकार को अधिकारियों को वाहन उपलब्ध कराने के लिए वाहन कोषांग का गठन करना चाहिए.
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अधिकारी कई वाहनों का करते हैं इस्तेमाल
राज्य में आईएएस समेत राज्य सेवा के अधिकारियों की घोर कमी है. कई आइएएस के जिम्मे दो-तीन विभाग है. सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी विभिन्न विभागों के जरिए एक से अधिक वाहनों का उपयोग करते हैं. इन गाड़ियों के मेंटेनेंस और पेट्रोल का खर्च विभाग को उठाना पड़ता है. हालांकि नियम के तहत अधिकारी को अपने मूल विभाग के केवल एक गाड़ी का उपयोग करना चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है.
वेहिकल मेनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जायेगा
सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग ने अधिकारियों द्वारा एक से अधिक वाहन इस्तमाल करने पर सख्ती की है. विभाग ने निर्देश दिया है कि अधिकारी एक से अधिक वाहन का उपयोग नहीं करें. विभाग ने वेहिकल मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करने की योजना बनायी है. जिसके तहत वाहनों पर होने वाले खर्च को कम करने का प्रयास किया जायेगा.
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वाहन कोषांग बनने से होगी सहूलियत
जानकारों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा वाहन के दुरुपयोग और एक से अधिक वाहन के उपयोग पर रोक लगाने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन की जरूरत है. केवल आदेश निर्गत करने से व्यवस्था कुछ दिनों तक ही सुधरी रह सकती है. जानकार कहते हैं जिस तरह राज्य के मंत्रियों को एक ही जगह मंत्रिमंडल सचिवालय से वाहन उपलब्ध कराया जाता है.
पुलिस में एक ही जगह से वाहन उपलब्ध होता है. वैसे ही राज्य के अधिकारियों को वाहन देने के लिए होना चाहिए. अधिकारियों को वाहन देने के लिए हर विभाग की जिम्मेदारी समाप्त कर सचिवालय स्तर पर एक वाहन कोषांग बनाना चाहिए. यह कोषांग सभी विभागों को अधिकारियों को एक-एक वाहन उपलब्ध कराये. वाहनों के रखरखाव, पेट्रोल आदि का खर्च भी वाहन कोषांग की ही जिम्मेदारी होनी चाहिए. इससे अवश्य ही सालाना हर विभाग द्वारा अलग-अलग खर्च की गयी राशि से कम खर्च का वहन करना होगा. साथ ही वाहनों का दुरुपयोग भी रूकेगा.
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