कुलाधिपति और पूर्व कुलपति के पोस्टर को हटाया, उसी पर चिपकाया प्रभारी वीसी का वेलकम बैनर
थोप रहे एक-दूसरे पर जिम्मेदारी, किसने की थी ऐसी स्वागत की तैयारी
Hazaribagh : नए वीसी के प्रभार लेते ही विनोबाभावे विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. चर्चा नए वीसी प्रोफेसर डॉ अजीत कुमार सिन्हा के वेलकम बैनर को लेकर है. आनन-फानन में लगाए गए बैनर में चांसलर का स्पेलिंग भी सही नहीं लिखी गई. वहीं इस बात पर भी खूब कानाफूसी हो रही कि पहले के बैनर पर कुलाधिपति के साथ पूर्व कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव की तस्वीर को हटाकर उसी पोस्टर पर प्रभारी वीसी का फोटो चिपका दिया गया. जब यह मामला सुर्खियों में आने लगा, तो अब विश्वविद्यालय के पदाधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने लगे. इन बातों के खुलासे के बाद नए प्रभारी वीसी के स्वागत की तैयारी किसने की, तो सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से भागने लगे.
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पूर्व वीसी का बंगला खाली कराने की तैयारी
अभी विभावि में नए वीसी आए भी नहीं हैं. रांची विवि के कुलपति को प्रभारी वीसी बनाए 48 घंटे नहीं गुजरे हैं कि पूर्व वीसी ने जिन लोगों पर विभावि कैंपस में नकेल कसी थी, नए कुलपति के आते ही वही सिर उठाने लगे हैं. जो कल तक वीसी डॉ मुकुल नारायण देव के अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी थे, उनमें से ही कुछ के तेवर अचानक बदल गए हैं. मौखिक रूप से पुराने वीसी का बंगला खाली कराने का हुक्म भी दिया गया है. हालांकि पद से हटने के बाद भी नियमत: तीन माह तक वीसी बंगले में रहने के अधिकारी हैं. बताया जा रहा है कि आरंभ से विभावि में एक लॉबी काम करता रहा है. विभावि के ही कुछ लोगों का कहना है कि अगर ऐसा नहीं रहता, तो फिर पूर्व वीसी को पुलिस विभाग से सुरक्षा बल मांगने की क्या जरूरत पड़ती. कहीं न कहीं पूर्व वीसी को असुरक्षा का अंदेशा बताया जा रहा है.
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पूर्व वीसी के लगाए सीसीटीवी को डिकोड करने की कोशिश
यह भी बताया जा रहा है कि विभावि के वीसी चैंबर में पूर्व वीसी के लगाए गए सीसीटीवी के पुराने फुटेज को खंगालने का प्रयास किया जा रहा है. उसे डिकोड करने की कोशिश भी की गई है. हालांकि उसमें पूर्व वीसी के लगाए गए पासवर्ड होने की वजह से यह कुछ संभव नहीं हो पाया है. बताया जाता है कि डॉ मुकुल नारायण देव के खिलाफ काम करनेवाली लॉबी से जुड़े लोग उनके जाते ही इस पूरे खेल में रेस हो गए हैं. उनके खिलाफ कुछ सबूत जुटाने की तलाश में जुटे हैं, ऐसा बताया जा रहा है.