Ganwa (Giridih): मनुष्य का पहला तीर्थ स्थान माता-पिता का चरण है, उनकी पूजा करने से आने वाला संकट दूर हो जाता है. जिस मनुष्य ने ऐसा कर काम शुभारंभ किया वह निश्चित रूप से सफल होता है. यह बातें तेतरियाटांड में पांच दिवसीय आयोजित श्री श्री 108 श्री लक्ष्मी नारायण प्राण प्रतिष्ठा सह श्रीमद्भागवत ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन मंगलवार की रात प्रवचन के दौरान देवी ज्योति शास्त्री ने कही. उन्होंने गरीबों व असहाय लोगों को दान देने सहित महाप्रसाद व लंगर के बारे में भी विस्तार रूप से बताया. कहा कि धार्मिक अनुष्ठान में बनाया गया लंगर व भंडारा अमृत के समान होता है. उसे ग्रहण करने से ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति होती है साथ ही स्नेह भी मिलता है. गरीब असहाय को दिया गया दान कभी बेकार नहीं जाता. इसलिए मनुष्य को दान अवश्य करना चाहिए. आचार्य छोटे सरकार ने कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से पाप से मुक्ति मिलती है. जिस स्थान पर कथा होती है वहां भगवान विराजमान होते हैं. भगवन नाम के जाप से सारे विपत्ति का नाश हो जाता है. बुधवार को पूर्णाहुति व भंडारा के साथ महायज्ञ का समापन किया गया.
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