NewDelhi : देश के 15वें राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले जायेंगे. लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान करेंगे. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू एव विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला है. लेकिन द्रौपदी मुर्मू सिन्हा तुलना में स्पष्ट रूप से मजबूत मानी जा रही है. और उनके पक्ष में 60 प्रतिशत से अधिक वोट पड़ने की संभावना है. जान लें कि मतदान संसद भवन और राज्य विधानसभाओं के भवनों में होगा, जिसके लिए मतपेटियां पहले ही अपने गंतव्यों तक पहुंच चुकी हैं. मतगणना 21 जुलाई को. नये राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करेंगे
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मुर्मू की वोट हिस्सेदारी 61 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है
बीजू जनता दल (बीजद), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक), जनता दल (S), तेलुगु देशम पार्टी (TDP), शिरोमणि अकाली दल (शिअद), शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ राष्ट्रपति पद के लिए राजग की उम्मीदवार मुर्मू की वोट हिस्सेदारी दो-तिहाई पहुंच सकती है. वह इस शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला बन सकती हैं. गणना के हिसाब से राजग की उम्मीदवार के पास अब कुल 10,86,431 मतों में से 6.67 लाख से अधिक वोट हैं. मुर्मू की वोट हिस्सेदारी 61 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है, जिसके नामांकन पत्र दाखिल करने के समय करीब 50 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा था.
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मनोनीत सांसद, विधायक और विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डाल सकते
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं. मनोनीत सांसद एवं विधायक और विधान परिषद के सदस्य इस चुनाव में मतदान करने के हकदार नहीं हैं. संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है. विभिन्न राज्यों में विधायकों का मत मूल्य अलग-अलग होता है. उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से प्रत्येक का मत मूल्य 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 83,824 है.
तमिलनाडु और झारखंड के हर विधायक का मत मूल्य 176 है
तमिलनाडु और झारखंड के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 176 है. इसके बाद महाराष्ट्र का 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के हरेक विधायक का मत मूल्य 159 है. छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य सात है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का मत मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का नौ, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है. केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी के एक विधायक का मत मूल्य 16 है.
राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से, प्रत्येक निर्वाचक उतनी ही वरीयताएं अंकित कर सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. उम्मीदवारों के लिए ये वरीयताएं निर्वाचक द्वारा मत पत्र के कॉलम दो में दिये गये स्थान पर उम्मीदवारों के नाम के सामने वरीयता क्रम में, अंक 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह रखकर चिह्नित की जाती हैं. यही कारण है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का उपयोग नहीं किया जाता.
सांसदों को हरे रंग के और विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र मिलेंगे.
ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिसमें वे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में मतों को संग्रह करने का काम करती हैं. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है. निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, राष्ट्रपति चुनाव के तहत मतदान के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग के मतपत्र दिये जायेंगे. सांसदों को हरे रंग के और विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र मिलेंगे.
अलग-अलग रंग के मतपत्र होंगे, इस कारण निर्वाचन अधिकारियों को मतों की गिनती करने में आसानी होगी. मतदान की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों को मतदाताओं को अपने मत पत्रों पर निशान लगाने के लिए बैंगनी स्याही वाली एक खास तरह की कलम उपलब्ध कराई हैं.
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