Ranchi : पहले लोग आबादी देखकर इलाके चुनते थे, लेकिन अब पानी देखकर इलाके चुनते हैं और घर बनाते हैं. यह हाल घटते भू-जलस्तर को लेकर है. इसलिए लोग पहले पानी देखते हैं. दिनोंदिन पानी की बढ़ती किल्लत से जो हालात पैदा हुए हैं, उसने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. पहले गर्मी में सुबह लोग सैर पर जाना पसंद करते थे, वहीं अब उन्हें नल या नगर निगम के टैंकर के पास जाना पड़ता है. लेकिन वहां पहले से भीड़ जुटी रहती है. ऐसे में उनके पास लाइन में खड़े होकर इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है. ऐसे तो पानी मिल जाता है, लेकिन कई बार इंतजार में ही समय बीत जाता है. पेयजल की इसी विकट स्थिति का जायजा लेने शुभम संदेश की टीम लोगों के बीच पहुंची और उनसे बातचीत कर तैयार की रिपोर्ट :
ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति बदतर, गर्मी में हर साल हलकान होते हैं लोग
धनबाद जिले के ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति की स्थिति बदतर है. 70 प्रतिशत क्षेत्रों में लोगों को सप्लाई का पानी नसीब नहीं होता है. सौर ऊर्जा आधारित जलापूर्ति योजना भी फेल है. तालाब, जोरिया और चुआं ही गर्मी में लोगों के लिए पानी का सहारा है. लेकिन स्थिति यह है कि मार्च महीने की शुरुआत में ही कुएं सूखने लगे हैं. खराब चापनलों की अभी तक मरम्मत शुरू नहीं हुई है. पानी के लिए हर साल गर्मी में ग्रामीणों को दो से तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. जन प्रतिनिधि और जिले के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ घोषणाएं करने में माहिर हैं. यही वजह है कि तमाम जलापूर्ति योजनाएं शुरू होने के बाद भी गांवों के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं.
धनबाद के हर प्रखंड में है पानी की समस्या
धनबाद जिले में कुल 10 प्रखंड हैं. हर प्रखंड में गर्मी के दिनों मे पानी की समस्या होती है. धनबाद प्रखंड के दामोदरपुर, करमाटांड़, ढंगी पहाड़ी, मोहली बस्ती, बलियापुर प्रखंड में पलानी बस्ती, बेलगड़िया, बुलूडीह, कुसमाटांड़, दूधिया, बीर सिंहपुर, टुंडी प्रखंड में कारीटांड़ में पानी की समस्या है. इसके अलावा नारो, बरवाटांड़, तोपचांची प्रखंड में मतारी, जेयलगोड़ा, पाकेरबेड़ा व झरिया, बाघमारा, निरसा, गोविंदपुर, पूर्वी टुंडी, कलियासोल, ग्यारकुंड प्रखंड की 8 से 10 पंचायतों में गर्मी के दिनों में लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता है.
लातेहार :
चुआंड़ी के पानी से बुझानी पड़ती है प्यास
बु नियादी सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है. इसी में पेयजल आता है. लेकिन यह नहीं मिल पाता है. सरकार घर तक पानी पहुंचाने के लिए योजना लाती है. लेकिन सरकार का हर घर नल पहुंचाने का दावा फेल होता नजर आ रहा है. यही कारण है कि लातेहार सदर प्रखंड के सांसग पंचायत के तूरी टोला निवासियों को गांव के एक चुआंड़ी के पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है. तूरी टोला में तकरीबन 50 घर हैं. यह अनुसूचित जाति बहुल टोला है. टोला में पहले दो चापाकल थे. लेकिन अब दोनों बेकार पड़े हैं. पास के गांव तक हर घर नल योजना के तहत पानी पहुंचायी गयी है, लेकिन तूरी टोला में अब तक एक भी नल नहीं लगाया गया है. लोगों को तकरीबन एक किलोमीटर दूर एक चुआंड़ी (पानी का स्रोत) से लाना पड़ रहा है.
चुआंड़ी भी काफी छोटी है. यहां एक बार में एक ही लोग पानी भर सकते हैं. पूरा टोला यहां पानी के लिए जमा होता है. बर्तनों की लाइन लग जाती है. इस कारण लोगों को अपनी बारी आने के लिए कभी-कभी घंटों इंतजार करना पड़ता है. टोला की महिला परबतिया देवी बताती हैं कि पंचायत के मुखिया से लेकर आपकी योजना आपकी सरकार कार्यक्रम तक आवेदन दिया गया कि टोला में पानी की व्यवस्था करायी जाये. लेकिन अभी तक पानी की व्यवस्था नहीं की गई है. टोला में एक भी चापाकल नहीं है. इसे देखनेवाला कोई नहीं है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. इस वजह से महिलाओं पर पानी जुगाड़ करने का भारी दबाव होता है.
चुआंड़ी में पानी लेने कलिया देवी, सुलता देवी, मंगरी देवी, शोभा देवी, बसंती देवी, भोला तूरी, रमेश तूरी व धनेश्वर तूरी समेत टोले की कई महिलाएं रोजाना आती हैं. उन्होंने बताया कि अभी तो चुआंड़ी में थोड़ा बहुत पानी है, लेकिन मई-जून में चुआंड़ी का पानी भी सूख जाता है. एक-एक बूंद के लिए इंतजार करना पड़ता है. तब परेशानी बढ़ जाती है. इसके बाद या तो कहीं और पानी के लिए जाना पड़ता है या यहीं पर इंतजार करना पड़ता है. जबकि हमें बच्चों को संभालने के साथ ही घर के कई सारे काम होते हैं, जो प्रभावित होता है. कई बार बच्चों का स्कूल छूट जाता है. टोले का चापाकल बन जाए तो ये परेशानी नहीं होगी.
धनबाद
मंदरा गांव में आज भी पेयजल की काफी किल्लत हैः सुबोध भारती
बाघमारा प्रखंड अपर मंदरा निवासी सुबोध भारती ने बताया कि उनका गांव प्रखंड कार्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर है. गांव में पेयजल की घोर किल्लत है. लोग गांव के इक्का-दुक्का कुओं पर निर्भर हैं. लेकिन हर साल गर्मी में कुएं सूख जाते हैं. इसके बाद पानी के जुगाड़ में दो-तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. गांव में ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग हैं.
अपने खर्च से पाइप लगवाया था, जो चोरी हो गया: विनोद भुइयां
गांव के विनोद भुइयां ने बताया कि गांव में पानी की काफी कमी है. इसके समाधान के लिए कुछ समय पहले लोगों ने अपने खर्च से फाइबर का पाइप लगवाया था, जिसे चोर उठा कर ले गए. एक सरकार कुछ करती नहीं है और हमलोग करते हैं तो सुरक्षा भी नहीं मिलती है. आखिर हमलोग कहां जाएं.
गांव में पेयजल संकट कई वर्षों से है, निराकरण नहीं हुआ: नीलम देवी
नीलम देवी ने कहा कि गांव में पेयजल संकट कई वर्षों से है. लेकिन अभी तक इस समस्या का निराकरण नहीं किया जा सका है. जब सरकार इस पर ध्यान नहीं देगी तो कैसे होगा.
पेयजल संकट से निबटने के लिए मेगा प्रोजेक्ट बना हैः मनोज चौहान
मनोज चौहान ने कहा की बाघमारा प्रखंड की 18 पंचायतों में पेयजल संकट से निबटने के लिए मेगा प्रोजेक्ट बनाया गया है. लेकिन इस प्रोजेक्ट का लाभ अगले कुछ वर्षों में भी मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. काम का कुछ पता ही नहीं चलता है.
फंड आने के बाद ही स्थिति में सुधार होगा: शांति देवी
पलानी पंचायत की मुखिया शांति देवी ने बताया कि गर्मी में पंचायत क्षेत्र में पानी की समस्या तो होती है, लेकिन हमलोग विवश हैं. अभी इसके लिए हमारे पास कोई फंड नहीं है. फंड आने के बाद ही स्थिति में सुधार हो सकेगा. पिछले मुखिया ने 10 सोलर पंप लगवाए थे.
घाटशिला
नदी का जलस्तर कम होने से पेयजल आपूर्ति बाधित होती है
घाटशिला प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव व मोहल्ला में गर्मी का मौसम आते ही पेयजल संकट गहराने लगता है. शहरी क्षेत्र के सबसे ज्यादा घाटशिला, पावड़ा, गोपालपुर, धरमबाहाल, पश्चिमी मऊभंडार और कसीदा पंचायत में जल संकट की संभावना है. लगभग 40 हजार की आबादी जलमीनार, चापाकल, कुआं, तालाब आदि जलस्रोत से अपनी प्यास बुझाते हैं व अन्य कार्य करते हैं. इसके अलावा शहरी क्षेत्र के चार पंचायतों में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से निर्मित वृहद जलापूर्ति योजना से जलापूर्ति होती है. लेकिन नदी का जलस्तर कम होने के कारण पेयजल आपूर्ति भी कई बार बाधित हो जाती है.
पावड़ गांव में बना सोलर जलमीनार सफेद हाथी साबित हो रहा हैः रवि पातर
पावड़ा पंचायत के पावड़ा गांव के रवि पातर कहते हैं कि गांव में वर्षों पहले सोलर जलमीनार लगाया गया था. लेकिन कोई फायदा नहीं है. यह सोलर जलमीनार पूरी तरह से सफेद हाथी साबित हो रहा है. गांव के लोगों को पिछले कई वर्षों से इस जलमीनार का लाभ नहीं मिला है. वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर मुखिया के द्वारा चापाकल का मरम्मत कराया जा रहा है. लोगों को अब इसी पर भरोसा है.
लालडीह गांव के लोग पेयजल के लिए चापाकल पर ही आश्रित हैं : सपन खामराय
धरमबाहाल पंचायत के लालडीह के सपन खामराय कहते हैं कि गांव में पेयजल के लिए लोग चापाकल पर आश्रित हैं. इस क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति विभाग की ओर से विशेष कोई व्यवस्था नहीं की गई है. गर्मी आते ही जल संकट शुरू हो जाता है. यह यहां की गंभीर समस्या है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
विभाग के पास पेयजल के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं हैः विश्वजीत रजक
बुरुडीह गांव निवासी विश्वजीत रजक कहते हैं कि गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. लोग आज भी झरना व तालाब के जलस्रोत पर ही निर्भर हैं. डैम की स्थिति तो बद से बदतर है. अधिकतर जगह सूखा ही है. पेयजल बड़ी समस्या बनती जा रही है. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
दीघा गांव में लोग आज भी झरने के पानी व चापानल पर निर्भर हैंः परिमल महतो
कलचिती पंचायत के दीघा गांव निवासी परिमल महतो कहते हैं कि गांव में लोग आज भी झरने के पानी और चापाकल पर ही निर्भर हैं. इसके अलावा वर्षा का जल है, जिससे जलस्रोत बढ़ता है. वैसे वह भी जलस्रोत के रूप में इसी का उपयोग किया जाता है. लेकिन जिस तरह से जलस्तर नीचे जा रहा है उससे झरना व कुआं पूरी तरह सूखने के कगार पर है.
महालीडी गांव में आज भी पानी की किल्लत हैः मंगल मुर्मू
कशीदा पंचायत के महालीडी गांव के मंगल मुर्मू कहते हैं कि गांव में भी पानी की किल्लत है. लोग एक छोटे से कुएं पर ही निर्भर हैं. गांव के लोग आपसी तालमेल के साथ समय-समय पर कुएं से पानी भरते हैं क्योंकि 10 से 15 परिवार के पानी लेने के बाद कुएं का पानी पूरी तरह सूख जाता है. फिर दो से चार घंटा इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद अन्य लोग पीने के लिए पानी लेते हैं.
चापाकल के भरोसे ही रहना पड़ता हैः सुभाष अग्रवाल
घाटशिला पंचायत के राजस्टेट निवासी सुभाष अग्रवाल कहते हैं कि आसपास के मोहल्ले में लोग पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की जलापूर्ति योजना पर ही निर्भर हैं. वह भी कभी पानी मिलता है तो कभी नहीं मिलता है. ऐसे में लोगों को चापाकल के भरोसे ही रहना पड़ता है. लेकिन पेयजल की कोई ठोस व्यवस्था होनी चाहिए. गर्मी आते ही समस्या शुरू हो जाती है. फिर पानी के लिए जद्दोजहद शुरू हो जाती है.
पाकुड़ : जल संकट से लोग हैं परेशान, पेयजल विभाग है मौन
इस वार्ड में जल संकट पुरानी समस्या है, घंटों लाइन में खड़े रहते हैं: उषा पहाड़िया
वार्ड नंबर-1 की निवासी उषा पहाड़िया ने बताया कि इस वार्ड में जल संकट पुरानी समस्या है. लोग घंटों चापाकल पर लाइन देकर पानी लाते हैं. तब पानी मिल पाता है. इसमें समय जाता है.
बोरिंग चालू नहीं किया गया है, पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है : चंदना सरदार
वार्ड नंबर-1 की रहने वाली चंदना सरदार ने बताया कि वार्ड में डीप बोरिंग गड़ा होने के बाद भी उसे चालू नहीं किया जाता. लोगों को पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.
पानी के लिए चापाकल पर काफी लंबी लाइन लगती है, तब पानी मिलता है: पायल सरदार
वार्ड नंबर-1 के निवासी पायल सरदार का कहना है कि पानी के लिए सुबह से चापाकल पर लंबी लाइन लग जाती है. तब पानी मिलता है. डीप बोरिंग चालू रहने से जल संकट का समाधान होगा.
जल संकट से लोग पेरशान हैं, डीप बोरिंग से ही निजात मिलेगी : शोभा कर्मकार
वार्ड नंबर-1 की रहने वाली शोभा कर्मकार ने बताया कि जल संकट से लोग पेरशान हैं. डीप बोरिंग चालू होने पर पानी की समस्या से निजात मिलेगा.
गर्मी के शुरू में ही संकट है, जबकि अभी भीषण गर्मी पड़ना बाकी हैः प्यासी सरदार
वार्ड नंबर-1 की रहने वाली प्यासी सरदार का कहना है कि गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट शुरू हो चुका है. अभी भीषण गर्मी पड़ना बाकी है. उस समय जो स्थिति होगी उसकी कल्पना की जा सकती है. जल संकट दूर करने के लिए वार्ड पार्षद गंभीर नहीं है. उनसे कई बार शिकायत की गई लेकिन वे हमलोगों की नहीं सुनते. जब वोट का समय आता है तब समाधान की बात करते हैं.
सुबह चार बजे चापाकल पर लाइन में लग जाते हैं, तब पानी मिलता है : राजू महतो
वार्ड नंबर 3 के निवासी राजू महतो ने बताया कि यहां पर डीप बोरिंग खराब है. इससे चापाकल से पानी लाना पड़ता है. लोग सुबह चार बजे उठकर चापाकल पर लाइन में लग जाते हैं. फिर इंतजार करना पड़ता है. जब हमारी बारी आती है तब पानी मिलता है. इसमें काफी समय बर्बाद होता है. लेकिन इसे देखने वाला न तो कोई नेता है और न ही कोई अधिकारी. सभी अनजान बने हुए हैं.
यह मोहल्ला ड्राई जोन में आता है, यहां पानी की काफी किल्लत है : सुकुमार राय
वार्ड नंबर 3 के ही निवासी सुकुमार राय ने बताया कि यह मोहल्ला ड्राई जोन में आता है. यहां पानी की काफी किल्लत है. इसके लिए सरकार की तरफ से पानी को लेकर कोई योजना नहीं है. इस पर किसी का ध्यान नहीं है. जल संकट को दूर करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाया गया है. अब लोगों ने उम्मीद करना छोड़ दिया है.
डीप बोरिंग से सिर्फ गाड़ा गया, उसे चालू कर जलापूर्ति करना चाहिए : नीरज राउत
वार्ड नंबर 3 के ही निवासी नीरज राउत ने बताया कि डीप बोरिंग सिर्फ गाड़ा गया. उसे चालू कर जलापूर्ति की जानी चाहिए. लेकिन कुछ नहीं किया गया है. ऐसे में ऐसे में बोरिंग दिखावे की वस्तु बनकर रह गई है. पानी के लिए चापाकल पर जाना पड़ता है, लेकिन वहां पर भी काफी भीड़ लगी रहती है. वहां समय की बर्बादी होती है. इससे हमारा रोजगार भी प्रभावित होता है. यह ठीक नहीं है.
डीप बोरिंग से पानी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआः धरनी राउत
वार्ड नंबर 3 के ही निवासी धरनी राउत का कहना है कि डीप बोरिंग जब की गई थी तो काफी उम्मीद थी कि पानी मिलेगा और जलसंकट दूर हो जाएगा. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. चालू नहीं रहने से सुबह में पानी के लिए चापाकल पर नंबर लगाना पड़ता है. तब जाकर पानी नसीब होता है. जबकि हमें कई काम होते हैं.
चापाकल से पानी ढोकर घर लाना पड़ता है, आखिर यह कब तक चलेगा: अंकित कुमार
वार्ड नंबर 3 के ही निवासी अंकित कुमार का कहना है कि डीप बोरिंग बंद रखे जाने के कारण पानी की दिक्कत होती है. जबकि इसे चालू किया जाना चाहिए था. ऐसे में चापाकल से पानी ढोकर लाना पड़ता है. आखिर यह कब तक चलेगा, समझ नहीं आता है. पानी की किल्लत जल्द दूर किया जाना चाहिए. नगर परिषद् में जल संकट दूर करने की शिकायत की गई, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. अब लगता है यह समस्या इसी तरह रहेगी.
जल संकट इस वार्ड की पुरानी समस्या है, इसे जल्द दूर होना चाहिए : राजीव त्रिवेदी
वार्ड नंबर 3 के ही निवासी राजीव त्रिवेदी ने बताया कि जल संकट इस वार्ड की पुरानी समस्या है. योजनाबद्ध तरीके से काम होगा तो सारी समस्या दूर हो जाएगी.
चक्रधरपुर
मोहल्ले का चापानल खराब है, इस पर ध्यान नहीं देते हैं अधिकारीः मोती लाल
चक्रधरपुर के वार्ड संख्या दस निवासी मोती लाल चौधरी ने कहा कि हमारे वार्ड के खराब पड़े डीप बोरिंग के लिए स्थानीय लोग कई बार विभाग के अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मोहल्ले का चापाकल भी खराब पड़ा है. रेलवे क्षेत्र के चापाकल से पानी लाना पड़ता है. इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर अपने मोहल्ले में पेयजल की व्यवस्था हो जाय तो फिर लोग दूसरी जगह नहीं जाएंगे. यह गंभीर समस्या है. इस पर विभाग को ध्यान दे.
पानी के लिए लोग परेशान हैं, खराब चापानल बनाना चाहिए: विजय कुमार
शहर के पंडित हाता निवासी विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पानी के लिए लोग परेशान हैं. वार्ड के खराब पड़े चापाकलों की मरम्मती जल्द करायी जानी चाहिए, नहीं तो आने वाले दिनों में समस्या ज्यादा बढ़ जाएगी. झुमका मोहल्ला, पंडित हाता क्षेत्र में पिछले लगभग एक महीने से चापाकल खराब पड़ा है. इसे लेकर कई बार विभाग को भी अवगत कराया गया है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा. कहा कि विभाग थोड़ी सजग हो जाय तो यह समस्या जल्द दूर हो जाएगी. यही हमलोगों की मांग है.
पानी से ही घर के कई काम होते हैं, पानी नहीं रहने से दिकक्त होती है : बिंदा देवी
चक्रधरपुर के वार्ड संख्या आठ निवासी बिंदा देवी ने कहा कि पानी से ही घर के कई काम होते हैं. मोहल्ले का चापाकल खराब रहने व समय पर सप्लाई पानी की आपूर्ति नहीं होने के कारण कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हमारे मोहल्ले में एक अतिरिक्त चापाकल की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि समस्या का समाधान हो सके. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष भीषण गर्मी में पानी की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है. इसे देखने वाला कोई नहीं है.
मोहल्ले में दो चापानल हैं, लेकिन कई महीने से खराब पड़े हुए हैं : ललिता देवी
शीतला मंदिर रोड निवासी ललिता देवी ने कहा कि उनके मोहल्ले में भी नल-जल योजना के तहत घर-घर पानी कनेक्शन की व्यवस्था करायी जानी चाहिए. मोहल्ले में पानी की सबसे ज्यादा गंभीर समस्या है. पानी के कारण घरेलू कामकाज प्रभावित होते हैं. मोहल्ले में दो चापाकल हैं, लेकिन एक चापाकल कई महीनों से खराब पड़ा है, जिसके कारण एक चापाकल से ही बड़ी संख्या में लोग पानी भरने के लिए पहुंचते हैं. इससे रोजाना लोगों के बीच झगड़ा भी होता है.
वार्ड संख्या नौ में अधिकांश चापाकल पूरी तरह से खराब हो चुके हैंः विवेक कुमार
शहर के वार्ड संख्या नौ निवासी विवेक कुमार ने कहा कि उनके मोहल्ले में अधिकांश चापाकल खराब हो चुके हैं. वहां डीप बोरिंग की आवश्यकता है. जिसे लेकर कई बार वार्ड के लोग विभाग को अवगत करा चुके हैं. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. गर्मी तेज होते ही वार्ड के कुएं भी सूखने लगे हैं. इससे लोगों को पानी के लिए परेशानियां उठानी पड़ती है. पानी जमा करने में लोगों का समय बर्बाद होता है.
शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है: राम प्रकाश
शहर के टोकलो रोड निवासी राम प्रकाश ने कहा कि शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है. गर्मी से पहले चापाकलों की मरम्मत कराई जानी चाहिए. वार्ड के कई मोहल्लों में पानी की समस्या बनी हुई है. मोहल्ले में सोलर जलापूर्ति की व्यवस्था कराई जानी चाहिए, ताकि पानी की समस्या दूर हो सके.
हजारीबाग : बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन तक पेयजल की किल्लत, यात्री रहते हैं परेशान
हजारीबाग सरकारी बस स्टैंड से लेकर कूद स्थित रेलवे स्टेशन तक पेयजल की किल्लत है. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी बस स्टैंड में 60 वर्ष पुरानी टंकी की साफ-सफाई पर किसी का ध्यान नहीं है. यहां गंदगी का जमावड़ा लगा रहता है. जिला परिषद प्राइवेट बस पड़ाव का भी वही हाल है. यहां प्रत्येक वाहनों से 35 रुपए किराया वसूला जाता है, लेकिन यात्री सुविधा के नाम पर एक बूंद पेयजल की व्यवस्था नहीं है. रेलवे स्टेशन के आसपास पेयजल की कोई सुविधा नहीं है. शहर के वार्ड-6 में दीपूगढ़ा से लेकर कनहरी तक ड्राई जोन कहलाता है. ग्रामीण इलाके के बनाए गए चार वार्डों सिरसी, रसूलीगंज, कूद, कदमा और मासीपीढ़ी में भी पेयजल की किल्लत है. इन इलाकों के चापाकल खराब पड़े हैं. शहर के गाड़ीखाना में भी पानी की परेशानी है. लेकिन वहां टैंकर से पेयजलापूर्ति की जा रही है.
जिला प्रशासन ने कंट्रोल रूम बनाया है : मनोज मुंडारी
पेयजल स्वच्छता प्रमंडल हजारीबाग के कार्यपालक अभियंता मनोज मुंडारी ने बताया कि पानी की समस्या को देखते हुए हजारीबाग जिला प्रशासन ने कंट्रोल रूम बनाया है. इसके जरिए आम जनता अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है और फिर विभाग चापाकल बनाने की कवायद शुरू करेगा. शिकायत मिलने पर 72 घंटे के अंदर खराब चापाकल की मरम्मत की जाएगी.
बड़े-बड़े अपार्टमेंट में बोरिंग से हो रही परेशानी : बबलू
मटवारी निवासी बबलू कुमार कहते हैं कि बड़े-बड़े अपार्टमेंट में बोरिंग से पेयजल की परेशानी हो रही है. पहले पानी की इतनी समस्या नहीं थी. लेकिन जब से शहर अपार्टमेंट कल्चर में तब्दील हुआ है, पेयजल संकट गहरा गया है. इसके लिए प्रशासन या नगर निगम को वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है. तभी इस जल संकट की समस्या का समाधान होगा. नहीं तो यही स्थिति रहेगी.
गर्मी के पहले से नगर निगम को तैयार रहने की जरूरत : गौतम
ओकनी निवासी गौतम कुमार महतो कहते हैं कि गर्मी आने से पहले नगर निगम को तैयार रहने की जरूरत है. हर वार्ड में पेयजल की व्यवस्था करानी चाहिए. आखिर वाटर टैक्स तो लिया ही जा रहा है, तो लोगों के लिए पेजयल की सुविधा कौन देगा. पेयजल विभाग भोज के वक्त कोहड़ा उगाने जैसा काम करता है. पहले से चापाकलों को दुरुस्त कर दिया जाए, तो क्या दिक्कत है.
चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि सुध लेने नहीं आते : सचिन
शिवदयालनगर निवासी सचिन कुमार कहते हैं कि चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि नागरिकों की सुध लेने के लिए नहीं आते हैं. उनलोगों को कोई मतलब नहीं रहता है कि पानी की समस्या का समाधान कैसे होगा. परेशान लोगों को खुद नगर निगम और पेयजल विभाग दौड़ना पड़ता है. अगर जनप्रतिनिधि इसमें दिलचस्पी लेते तो गर्मी में लोगों को पानी की दिक्कत नहीं होती.
नुरा में भी नडरें इनायत करता नगर निगम : निधि सिन्हा
निधि सिन्हा का कहना है कि नगर निगम नुरा में भी नजरें इनायत करता. इस क्षेत्र में गर्मी में पानी की काफी परेशानी रहती है. एक कुआं भी था, जो भर गया. चापाकलों के हालत भी ठीक नहीं हैं. वाटर सप्लाय भी एक ही वक्त हो रहा है. इससे जलसंकट की स्थिति बन रही है. वैसे कई लोगों ने तो घरों में बोरिंग करा रखी है, लेकिन निम्न तबके के लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ा है.
जमशेदपुर : बागबेड़ा क्षेत्र में गिरता जा रहा है जलस्तर, लोगों की बढ़ रही परेशानी
जिस तरह से गर्मी तेजी से बढ़ रही है, उससे जल संकट बढ़ता जा रहा है. हर जगह की कमोबेश यही स्थिति है. जमशेदपुर में भी लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. कई जगह कुओं का जलस्तर तेजी से नीचे चला गया है. वहीं चापानल में भी पानी तेजी से घटा है. इस वजह से कई जगह चापानल से पानी आना बंद हो गया है. इस वजह से लोगों की रोजमर्रा की जिंगदी प्रभावित हो रही है. सुबह होते ही लोगों को कुएं या चापानल के पास पहुंचना पड़ता है. वहां पर लंबी लाइन लगी होती है. वहां लोगों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है. कई बार काफी इंतजार के बाद पानी नहीं मिल पाता है. लेकिन इसके पहले लोगों के बीच बहस भी हो जाती है. कई बार झगड़े की स्थिति आ जाती है. थक हार कर लोग अपने घरों को लौट जाते हैं. फिर से अगली सुबह वही स्थिति होती है. पानी के लिए संघर्ष चलता रहता है.
अब पेयजल के लिए आंदोलन करना पड़ता हैः सुबोध झा
जहां लोगों को पानी के लिए 10 वर्षों से लगातार आंदोलन करना पड़ रहा है. उसके बावजूद अभी भी बागबेड़ा जलापूर्ति योजना धरातल पर नही उतर पाई है. इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है. यह कहना है बागबेड़ा विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा का. पेयजल के लिए जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक सैकड़ों बार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन करने के बाद भी नतीजा सिफर है.
गर्मी का मौसम आते ही अब डर सताने लगता हैः फागू हांसदा
बागबेड़ा क्षेत्र के सोमाय झोपड़ी निवासी फागू हांसदा का कहना है कि गर्मी आते ही पानी संकट का डर सताने लगता है. इस क्षेत्र में आम दिनों में भी पेयजल की समस्या बनी रहती है. गर्मी के दनों में पानी की समस्या और विकराल हो जाती है. पेयजल का एकमात्र साधन चापानल भी गर्मी के दिनों में साथ छोड़ देता है. लोग दूर दराज से पानी लाकर किसी तरह गुजर बसर करते हैं.
पानी लाने में ही आधा समय निकल जाता हैः अनिल महतो
बागबेड़ा नयाबस्ती निवासी अनिल महतो का कहना है कि गर्मी के दिनों में गंभीर पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी की व्यवस्था करने में ही आधा समय चला जाता है. जिससे रोजगार पर असर पड़ता है. एक दिन पानी का व्यवस्था करते हैं तब जाकर दूसरे दिन रोजगार के लिए जा पाते हैं. पानी की समस्या से कब निजात मिलेगा यह तो भगवान ही जानता है. घर तक पाइपलाइन से पानी उपलब्ध कराने की सरकार की योजनाएं और दावे फेल हो गए हैं.
गंदा पानी पीने को विवश हैं कॉलोनी के निवासीः रिंकी सिंह
बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी निवासी रिंकी सिंह का कहना है कि कॉलोनी में लोग गंदा पानी पीने को विवश हैं. बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूति योजना के माध्यम से कॉलोनी में गंदे पानी की सप्लाई की जाती है. गंदे जलापूर्ति को लेकर कॉलोनी वासियों द्वारा कई बार धरना प्रदर्शन किया गया. लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. वहीं क्षेत्र में पानी का लेयर 300 फीट से नीचे चला गया है.
अब तो चापानल भी सूखने के कागार पर पहुंच गये हैंः ऋतु सिंह
ऋतु सिंह हरहरगुट्टू निवासी का कहना है कि इस क्षेत्र की पेयजल की समस्या के समाधान के लिए बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना ही मात्र एक विकल्प है. क्योंकि बोरिंग सोलर सिस्टम फेल हो चुके है. क्षेत्र में पानी का जलस्तर नीचे जाने के कारण चापानल भी सूखने के कागार पर हैं. पानी की गंभीर समस्या से लोगों को हर वर्ष जूझना पड़ता है. इतने वर्षों में सरकार द्वारा पेयजल का कोई समाधान नहीं किया जा सका है.
कम-से-कम दो वक्त वाटर सप्लाई होना चाहिए : सीटू
सदर अस्पताल के पास मेन रोड निवासी गणेश कुमार वर्मा उर्फ सीटू कहते हैं कि कम-से-कम दो वक्त वाटर सप्लाई होने से पानी की परेशानी नहीं होती. छड़वा डैम पर शहर की बड़ी आबादी निर्भर है. ऐसे में एक वक्त जलापूर्ति होने से लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं. उनका काफी समय पानी की जुगाड़ में गुजर जाता है. इसके लिए विभाग को सक्रिय होना होगा और लोगों की पेयजल समस्या को निबटाना होगा.
फिल्टर प्लांट का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगाः सुनील
बागबेड़ा पंचायत समिति सदस्य सुनील गुप्ता का कहना है कि लगातार किए गए आंदोलन के कारण ही सरकार द्वारा बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूर्ति योजना अंतर्गत फिल्टर प्लांट के जीर्णोद्धार के लिए 1 करोड़ 80 लाख रुपये राशि का आवंटन किया गया है. फिल्टर प्लांट का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा. बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी के लिए बागबेड़ा जलापूर्ति योजना ही एक मात्र विकल्प है. फिल्टर प्लांट के निर्माण के साथ ही पेयजल की समस्या का समाधान हो जाएगा.