कहा- आनेवाले दो-तीन सालों में एआई हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल देगा
Ranchi: रांची के प्रेस क्लब में रविवार को बसंत हेतमसरिया की पुस्तक विश्वयुद्ध और बढ़ते अलगाव के साये में स्वतंत्रता आंदोलन’ का विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हरिवंश थे.
उन्होंने कहा की आज दुनिया में सबसे बड़ी होड़ टेक्नोलॉजी को लेकर है. मॉडर्न टेक्नोलॉजी आज आपको कंट्रोल कर रही है. जब दुनिया तोप से लड़ रही थी, तब आपके हाथ में तलवार थी, नतीजतन आप युद्ध हार गये. इतिहास से सबक लेकर हम बेहतर भविष्य बना सकते हैं.
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पुस्तक की तारीफ करते हुए हरिवंश ने कहा कि यह पुस्तक आपका साक्षात्कार इतिहास से करवाती है. यदि हम इतिहास से सबक नहीं लेते तो हमारा भविष्य भी संकट में पड़ता है. हरिवंश ने कहा कि रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में शामिल बड़े नेताओं ने 1940 में जिन मुद्दों पर चिंता जताई थी, कालांतर में वो सभी कुछ घटित हुआ और सबलोग देखते रह गये. उन्होंने कहा कि गांधी जी चाहते थे, कि वे एक अनुशासित कांग्रेस बनाएं, जो उसूलों पर चलें, लेकिन वे बना नहीं पाए. उन्होंने कहा कि पहले नेताओं को अपनी बात सुनाने के लिए कार्यकर्ताओं को बुलाने की जरुरत नहीं पड़ती थी, लोग स्वत: अपने नेताओं को सुनने चले आते थे, लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी है.
पुस्तक विमोचन समारोह में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए लेखक बसंत हेतमसरिया ने बताया कि रामगढ़ में पैदा होने के कारण 1940 का रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन उनको हमेशा. रोमांचित करता था लेकिन उन्होंने पाया कि इस विषय पर बहुत कम लेखन हुआ था. इस कारण उन्होंने तत्कालीन समाचार पत्रों को पढ़कर और लगभग पांच दर्जन पुस्तकों को खंगालकर इस पुस्तक को तैयार किया है, जिसमें 1940 के रामगढ़ कांग्रेस के महत्व और उस वर्ष स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा से आनेवाली पीढ़ी को रूबरु करने की कोशिश की है.
पुस्तक चर्चा करते हुए विनोबाभावे विवि के डीन डॉ. मिथिलेश सिंह ने कहा कि आज विश्वविद्यालयों में इतिहास बनाने की जगह बिगाड़ा जा रहा है. उन्होंने रामगढ़ अधिवेशन पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि हम इतिहास से सबक नहीं लेंगे, तो फिर इतिहास को दोबारा से भुगतने के लिए अभिशप्त होंगे. उन्होंने वर्तमान राजनीतिक हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज हम मानसिक रूप से लूले-लंगड़े हो रहे हैं. बुद्धकाल के दौरान वृज्जि संघ का उदाहरण देकर उन्होंने राजनीति में संघे शक्ति की ताकत बताई. डॉ कंजीव लोचन ने पुस्तक चर्चा करते हुए कहा कि हर पन्ने पर नयी जानकारी दी गयी है. उन्होंने बताया कि इस किताब में मैटेरियल हिस्ट्री पर बहुत ध्यान दिया गया है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही राज्य की पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि इतिहास की जानकारी रहने पर हम उन गलतियों को दोहराने से बच सकते हैं, जो पहले कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के साथ हमें खुद को अपडेट करना होगा, तभी हम सफल हो सकेंगे. कार्यक्रम में वरिष्ठ संपादक विष्णु राजगढ़िया, विनय सरावगी, आरके चौधरी, एलआर सैनी, प्रदीप तुलस्यान, किशोर मंत्री, अरुण बुधिया, सुशील उराँव, प्रभाकर अग्रवाल, प्रकाश देवकुलिश, पंकज मित्र, मुकेश तनेजा, शरदेन्दू नारायण, वीके गढयाण, समेत रांची विवि, विनोबा भावे विवि और बीआईटी सिंदरी के प्रोफेसर, लेक्चरर सहित काफी संख्या में शहर के गणमान्य लोग शामिल थे.