New Delhi : हम यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का विरोध करेंगे, लेकिन सड़कों पर नहीं उतरेंगे. यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद हिंदू-मुसलमान में दूरी पैदा करना और उनको अलग करना है. यह बात जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कही. बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड सुर्खियों में है. उत्तराखंड में UCC लागू करने की कवायद जारी है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जमीयत उलेमा ए हिंद समेत तमाम मुस्लिम संस्थाएं इसका खुलकर इसके विरोध में आ गयी हैं. खबर है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट 100 फीसदी डिकोड हो चुका है. इसको लेकर अब विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं.
मौलाना अरशद मदनी मोदी सरकार पर हुए हमलावर
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने मोदी सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि ये लोग बताना चाहते हैं कि जो काम देश की आजादी के बाद से मुसलमानों के खिलाफ किसी भी सरकार ने नहीं किया, हमने वो काम करेंगे. इसी क्रम में अरशद मदनी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर हम सड़कों पर नहीं उतरेंगे क्योंकि अगर हम ऐसा करेंगे तो हमारे खिलाफ जो लोग हैं वे अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे. हम ऐसा नहीं चाहते.
यह सरकार की सियासी चाल है
राजनीतिक दल भी UCC को लेकर मान रहे हैं कि यह सरकार की सियासी चाल है, इसमें कोई हकीकत नहीं है
उधर अन्य मुस्लिम राजनेता UCC को लेकर खुलकर विरोध जता रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेता अबु आसिम आजमी और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इसे भाजपा का एजेंडा करार दिया है. मुंबई के इस्लामिक स्कॉलर मौलाना दरियाबादी का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे उठाकर कुछ पार्टियां राजनीतिक फायदा लेना चाह रही हैं.