NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने सैफ अली खान के मुख्य किरदार वाली वेब सीरीज तांडव के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. बता दें कि विभिन्न राज्यों में इस वेब सीरीज के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज हुई हैं. बुधवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म कोर्ट ने कहा है कि संविधान में दी गयी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है.
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जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया
सुप्रीम कोर्ट में ‘तांडव के निर्माताऔं और कलाकारों दवारा याचिका दाखिल की गयी थी. याचिका में उनके खिलाफ दर्ज मामलों में राहत और अंतरिम जमानत देने की गुहार लगायी गयी थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया.
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देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी
जान लें कि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने अपनी दलीलें रखी. उन्होंने कोर्ट के समक्ष अर्णब गोस्वामी के केस का उदाहरण दिया. लूथरा ने कोर्ट के समक्ष कहा कि सीरीज के डायरेक्टर का शोषण किया जा रहा है. क्या इस तरह से देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी? इसके जवाब में जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है और कुछ मामलों में इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है.
इस क्रम में फली एस नरीमन ने तर्क रखते हुए कहा कि डायरेक्टर ने बिना शर्त लिखित माफी मांग ली है और विवादित दृश्यो को हटा दिया है, उसके बावजूद 6 राज्यों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गयी हैं. इसके जवाब में जस्टिस भूषण ने कहा, अगर आप एफआईआर को खारिज करना चाहते हैं तो राज्यों के हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते हैं.