संजीत यादव
Palamu : पलामू जिले के छतरपुर अनुमंडल में झोला छाप डॉक्टरों का काला खेल चल रहा है. लगातार… ने 1 दिसंबर 2020 को पलामू में झोलाछाप डॉक्टरों के आतंक के बारे में खबर भी दी थी. लेकिन अभी भी इन झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंस कर मरीजों की जान जा रही है.
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छतरपुर में प्रत्येक वर्ष 10 लोगों की जा रही जान
ये झोलाछाप डॉक्टरों हर वर्ष कम से कम 10 लोगों की मौत का कारण बनते हैं. कुछ मामले सामने आते हैं, बाकी को रफा-दफा कर दिया जाता है. भोले-भाले ग्रामीणों का मुंह पैसों से बंद करा दिया जाता है. पिछले दिनों में छतरपुर अनुमंडल के 6 से 7 अस्पतालों एवं जांच घरों में छापेमारी की गयी थी. इस दौरान एक झोलाछाप डॉक्टर को गिरफ्तार भी किया गया था. इसके बाद कई झोलाछाप डॉक्टर अपने क्लीनिक बंद कर फरार हो गये. लेकिन कुछ दिन बाद फिर से खुल गये.
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उनके धंधे की जानकारी प्रशासन को भी है
इन फर्जी डॉक्टरों और चिकित्सा के नाम पर चलाये जा रहे उनके धंधे की जानकारी प्रशासन को भी है. समय-समय पर एक-दो क्लीनिक में छापा मारकर खानापूर्ति कर ली जाती है. छतरपुर के सरईडीह रोड पर स्थित वर्मा सेवा सदन हॉस्पिटल, लांग लाइफ और कई बड़े अस्पतालों में झोलाछाप डॉक्टर डिलीवरी से लेकर सर्जरी तक करते हैं. कुछ वे अपने नर्सिंगहोम के बाहर डिग्रीधारक डॉक्टरों के बोर्ड लगवा रखे हैं. दरअसल ये डिग्रीधारक डॉक्टर वहां आते ही नहीं. नर्सिंगहोम का पूरा काम फर्जी डॉक्टरों के जिम्मे है.
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स्वास्थ्य विभाग नहीं करता डिग्रियों की जांच
काफी झोलाछाप तो ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को बंगाली डॉक्टर, जर्राह, वैद्य, हकीम व अन्य डिग्री धारक घोषित कर रखा है. स्वास्थ्य विभाग कभी इनकी डिग्रियों की जांच नहीं करता. कइयों के पास दूर-दूर के राज्यों से जारी फर्जी डिग्रियां हैं. कई बार तो छतरपुर के कुछ नामी गिरामी हॉस्पिटल में कुछ डॉक्टरों की डिग्रियों पर सवाल खड़े हुए हैं.
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झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई का दिया गया निर्देश
इसे पहले भी इस संबंध में जब सिविल सर्जन डॉक्टर जॉन एफ केनेडी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है. सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी को झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए निर्देश भी दिया जा चुका है.
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