केमिकल का नहीं कहीं नामोनिशान, खूब हो रही मांग
Gaurav Prakash
Hazaribagh : फगुआ के दस्तक देते ही हजारीबाग के दारू स्थित पेटो की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार करने में जुट गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह आम गुलाल से बिल्कुल अलग है. इसे लगाने से चेहरे खराब नहीं होंगे, बल्कि अैर निखर कर लाल हो जाएंगे. इको फ्रेंडली होली के लिए पेटो की महिलाएं यह हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. इसमें प्रकृति प्रदत्त सामग्रियों आरारोट, पालक, पलाश का फूल, गेंदा फूल, गुलाब फूल, बीट, जैस्मिन तेल, चंदन, मुल्तानी मिट्टी आदि का इस्तेमाल किया गया है. इस गुलाल में चेहरे को एलर्जी नहीं होगी, चूंकि इसमें केमिकल का नामोनिशान नहीं है.
हजारीबाग समेत राज्य भर में इस हर्बल गुलाल की खूब मांग हो रही है. दरअसल होली के रंग त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाएं, इसका ध्यान रखते हुए पेटो की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं.
रंगों के त्योहार को लेकर जहां बाजार में अबीर-गुलाल की दुकानें सज गई हैं, वहीं झारखंड की ग्रामीण महिलाएं मेहनत और लगन से ऑर्गेनिक हर्बल गुलाल बना रही हैं. महिलाओं का कहना है कि यह गुलाल जहां लोगों की त्वचा को सुरक्षित रखेगा, वहीं इससे कुछ पैसे कमा कर पर्व पर घर में खुशियां ला पाएंगे. महिलाओं का कहना है कि बाजार में तो कई तरह के गुलाल और रंग हैं, लेकिन उन लोगों के बनाए गए गुलाल से अच्छा और सुरक्षित नहीं. यही कारण है कि सिर्फ हजारीबाग ही नहीं, पूरे राज्य भर में हर्बल गुलाल की मांग है.
महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना से संचालित और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोग्राम सोसाइटी से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं की श्रम शक्ति के सम्मान को संचालित “पलाश” योजना के अंतर्गत हर्बल गुलाल के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं. पेटो स्थित पैकेजिंग एंड प्रोसेसिंग सेंटर ग्रामीण सेवा केंद्र परिसर में ग्रामीण सखी मंडल की महिलाएं समूह बनाकर वनोपज किसान उत्पादन कंपनी लिमिटेड के माध्यम से ऑर्गेनिक हर्बल गुलाल बनाने का युद्दस्तर पर काम किया जा रहा है.
ऐसे तैयार किए जा रहे हर्बल गुलाल
हर्बल गुलाल बनाने के लिए समूह की दीदियां फूल, फल एवं पत्तियों का उपयोग कर रही हैं. हरे रंग के लिए पालक, गुलाबी के लिए गुलाब के फूल, पीले और भगवा रंग के लिए पलाश एवं गेंदा फूल, लाल रंग के लिए चुकंदर और अन्य रंगों के लिए चंदन सहित अन्य प्रकार के फूल एवं पत्तियों के रंगों का उपयोग किया जा रहा है. विभिन्न प्रकार के फूल, पत्ती और फलों को सबसे पहले गर्म पानी में उबाला जाता है और उसके बाद मिक्सर में पीसकर इसका मिश्रण तैयार किया जाता है. फिर आरारोट के आटे में मिलाकर इसे अच्छी तरह गूंथा जाता है और इसे ट्रे में फैलाकर सुखाने के बाद इससे अच्छी प्रकार पीसने के पश्चात उसमें चंदन, नायसिल पाउडर और थोड़ा सा नेचूरल फरफ्यूम मिलाकर इससे हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है.
आकर्षक पैकेट में की जा रही पैकेजिंग
गुलाल तैयार होने के बाद से आकर्षक पैकेट में पैकेजिंग कर जेएसएलपीएस के विभिन्न स्थानों पर स्थापित क्रय केंद्र पलाश स्मार्ट में बिक्री के लिए भेजा जाता है.
पीएम मोदी के सपने को साकार कर रहीं पेटो की महिलाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर की परिकल्पना सुदूरवर्ती गांव की महिलाएं धरातल पर लाने की कोशिश कर रही हैं. महिलाएं गुलाल बनाकर पैसा कमा रही हैं और अपने परिवार का पालन कर रही हैं. दारू गांव की पेटो की महिला वनोपज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड से जुड़ी 15 महिलाओं का समूह बना गुलाल बना रही हैं. हर्बल गुलाल बनाने वाली समिति की अध्यक्ष राखी देवी बताती हैं कि तीन वर्षों से वे लोग गुलाल बना रही है. पहले साल 50 किलो, दूसरे साल डेढ़ क्विंटल और इस बार ढाई क्विंटल गुलाल तैयार की जा रही है. सबसे अच्छी बात यह है कि उनके गुलाल रांची, गिरिडीह, ब्लॉक कार्यालय, डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर, विभिन्न थानों, प्लास मार्ट, लोकल बाजार और सखी मंडल की दीदी भी गुलाल बाजारों में उपलब्ध करा रही हैं. ऐसे में इस बार हर्बल गुलाल से बेहतर मुनाफे की उम्मीद है.
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