- हवा का एक तेज झोंका भी बर्दाश्त नहीं कर पाती जेबीवीएनएल की बिजली वितरण व्यवस्था
- सात वित्तीय वर्षों में बिजली वितरण व्यवस्था पर 3430.82 करोड़ खर्च करने का दावा कर रहा विभाग
- आंधी-बारिश आने पर गुल हो जाती है बिजली, ठप हो जाता है जेबीवीएनएल का आपूर्ति सिस्टम
- पर्याप्त बिजली होने के बावजूद दो-दो दिन तक पावर कट झेलने को मजबूर है लोग
- पावर कट से उद्योग और व्यापार बुरी तरह हो रहे प्रभावित
- नया उद्योग लगाने से व्यवसाय एवं उद्योग जगत के लोग कर रहे तौबा
Kaushal Anand
Ranchi : प्रदेश में बिजली की कोई किल्लत नहीं है. जनता की जरूरतों को पूरा करने लिए सरकार के पास पर्याप्त बिजली है. जनता को कोई परेशानी न हो, इसलिए सेंट्रल सेक्टर से ऊंचे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है. जनता तक बिजली आपूर्ति नियमित रूप से की जा सके, इसके लिए बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार पर पिछले सात वित्तीय वर्षों में 3430.82 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए. इसके बावजूद बरसाती हवा का एक झोंका पूरे प्रदेश की बिजली गुल कर देता है. प्रदेशवासियों को दो-दो दिन तक बिजली संकट जूझना पड़ता है. 3430 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद बिजली वितरण व्यवस्था की यह बदहाली सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर रही है. अगर विभाग ने वाकई 3430 करोड़ रुपये बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार पर खर्च किए हैं तो व्यवस्था क्यों नहीं सुधरी? हल्की सी आंधी-बारिश में ही व्यवस्था ध्वस्त क्यों हो जाती है? क्या वाकई व्यवस्था में सुधार पर ही यह राशि खर्च की गई या कहीं और? आखिर 3430 करोड़ कहां खर्च किए गए? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब उच्चस्तरीय जांच के बाद ही सामने आ सकते हैं.
मॉनसून सीजन में स्थिति और गंभीर होगी
बता दें कि अब मॉनसून आने वाला है और पिछले कुछ दिनों से आए दिन आंधी-बारिश आ रही है. मॉनसून सीजन में स्थिति और गंभीर होगी. बिजली वितरण व्यवस्था का यही हाल रहा था अबकि बार मॉनसून सीजन में और भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ेगा. उल्लेखनीय है कि रांची सहित पूरे झारखंड में बिजली वितरण व्यवस्था सुधार के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023-24 तक करीब 3,430.82 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
व्यवसायी और उद्यमी भी परेशान, नए उद्योगों पर ग्रहण
जेबीवीएनएल की बदहाल बिजली वितरण व्यवस्था से आम आदमी के साथ ही व्यवसायी और उद्यमी भी परेशान हैं. वहीं, नए उद्योगों पर भी ग्रहण लग गया है. मनमाने पावर कट से परेशान उद्यमियों ने अपने उद्योगों को झारखंड से समेटना शुरू कर दिया है. कोई भी उद्यमी यहां नया प्लांट लगाने को तैयार नहीं है. व्यवसायियों को कई बार सरकार और जेबीवीएनएल प्रबंधन की ओर से आश्वासन मिला. मगर पावर कट से निजात नहीं मिली. ऐसे में झारखंड के औद्योगिक विकास पर भी ग्रहण लग गया है.
झारखंड का मौजूदा बिजली वितरण सिस्टम
- कुल एरिया बोर्ड : 7
- सर्किल : 15
- डिविजन : 44
- 33 एवं 11 केवीए सबस्टेशन : 552
- पावर ट्रांसफार्मर : 7418.6
- 33 केवीए फीडर : 738
- 33 केवीए लाइन की लंबाई : 12000 किमी
- 11 केवीए फीडर : 1821
- 11 केवीए लाइन की लंबाई : 75146.8 किमी
- 73 केवीए के ट्रांसफार्मर : 55689
- 25 केवीए के ट्रांसफार्मर : 78662
- 100 से 500 केवीए ट्रांसफार्मर : 134349
- एलटी लाइन : 157129.4 किमी
- एबी केबल एलटी लाइन : 71000
- ग्रिड सबस्टेशन : 57
विभाग का दावा
- झारखंड संपूर्ण बिजली अच्छादन योजना (जसबे) के तहत बिजली सुधार के लिए रांची सहित पूरे राज्य में कई कार्य हुए, जिसके तहत सात वर्षों में कुल 3,430.82 करोड़ खर्च हुए. सभी काम भी लगभग 100 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं.
- 33 एवं 11 केवीए के 117 सबस्टेशन बनाए जाने थे जिनमें 112 पूरे हो चुके हैं
- 196 पुराने सबस्टेशन का उन्नयनीकरण का कार्य पूरा हुआ
- 2192.43 किमी में से 2169.59 किमी 33 केवीए की नई लाइन का निर्माण पूरा
- 33 केवी की कुल 1602.80 किमी लाइन का उन्नयनीकरण पूरा
- 3418.35 किमी 11 केवीए लाइन का एचटी एबी (एरियल बंच) केबल में 3406.01 किमी का काम पूरा
- 11 केवीए की कुल 4409.94 किमी लाइन में से 4409.38 किमी का उन्नयनीकरण पूरा
- 6447 नए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर लगाए गए
- 1207 खराब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर बदले गए
- 8316.65 किमी नई एलटी लाइन और एबी केबल बिछाई गई
- 33 केवीए की 550.86 किमी अंडरग्राउंड केबलिंग में से 534.04 किमी का काम पूरा
- 11 केवीए की 704.28 किमी अंडरग्राउंड केबलिंग में से 684.65 किमी का काम पूरा
- 63.74 किमी एलटी लाइन अंडरग्राउंड केबलिंग का काम पूरा
रांची में भी जीरो कट बिजली का सपना साकार होगा
रांची एरिया बोर्ड में बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए कई काम हुए. बारिश, आंधी या तेज हवा के समय सबसे अधिक खराबी 33 एवं 11 केवी लाइन में आती है. रांची में 33 केवी लाइन का अंडरग्राउंड केबलिंग का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जबकि 11 केवी के 20 प्रतिशत का काम पूरा हुआ है. शेष काम का एस्टीमेट बनाकर केंद्र प्रयोजित स्कीम आरडीएसएस में भेजा गया है. जिस दिन रांची का 33 एवं 11 केवीए लाइन का अंडरग्राऊंड केबलिंग हो जाएगा, उस दिन आंधी-बारिश में बड़े लोकल फॉल्ट नहीं होंगे. साथ ही रांची के विस्तार के साथ नए मोहल्ले में बिजली के तार, खंभे भी लगाने हैं. सभी एलटी लाइन को एरियर बंच केबल में बदलना है. ये सारे काम पूरे होने के बाद रांची में भी जीरो कट बिजली का सपना साकार हो जाएगा.
– पीके श्रीवास्तव, जीएम, रांची एरिया बोर्ड