Akshay Kumar Jha
Ranchi: तीन फरवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्यहित में दो बेहद अहम प्रस्ताव मंत्रिपरिषद ने पास किया. पहला प्रस्ताव टीएसी (TAC -ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी) की नियमावली में बदलाव को लेकर था और दूसरा प्रस्ताव रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द करने को लेकर था. नियोजन नीति को लेकर चालू सत्र में बीजेपी हेमंत सरकार पर हमलावर है.
सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि नियोजन नीति रद्द करने की वजह से स्थानीय युवाओं से रोजगार के अवसर छीने जा रहे हैं. वहीं टीएसी की नियमावली में बदलाव कर सरकार ने जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है कि यह सरकार आदिवासियों की हितकारी है. लेकिन ये दोनों मामले अब उलझते जा रहे हैं. दरअसल ये दोनों मामाले पांचवीं अनुसूची से जुड़े हुए हैं. अब तक पांचवीं अनुसूची से जुड़े किसी भी मामले में राज्यपाल की अनुमति लेना अनिवार्य रहा है और राज्यपाल से अनुमति को लेकर ही पेच फंसता जा रहा है.
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नियोजन नीति में क्या है परेशानी
तीन फरवरी को कैबिनेट से नियोजन नीति को रद्द किए जाने के बाद इसे राज्यपाल की अनुमति के लिए राजभवन भेजा जाना था. दरअसल नियोजन नीति में 11 जिले शेड्यूल एरिया के जिले थे. इसलिए मामला पांचवीं अनुसूची से जुड़ गया. कैबिनेट की तरफ से नियोजन नीति को सभी 24 जिलों में रद्द किया गया है. ऐसे में वो 11 जिले भी इस नीति से जुड़ गए, जो पांचवीं अनुसूची में आते थे. ऐसे में अब इस नीति में किसी तरह के बदलाव या इसे रद्द करने की सूरत में राज्यपाल की अनुमति अनिवार्य हो जाती है. लगातार.इन के पुख्ता सूत्र के मुताबिक यह फाइल सीएमओ में है. लेकिन कार्मिक सचिव अजय सिंह का कहना है कि फाइल राजभवन भेजी जा चुकी है. अगर फाइल कार्मिक भेजी भी जा चुकी है, तो राज्यपाल की तरफ से नियोजन नीति को रद्द करने की अनुमति अब तक क्यों नहीं मिली है.
TAC को लेकर क्या है दिक्कत
तीन फरवरी को ही टीएसी की नियमावली में बदलाव हुए. मामला पांचवीं अनुसूची से जुड़े होने की वजह से इस फाइल को राज्यपाल की अनुमति के लिए राजभवन भेजा जाना चाहिए था. लेकिन फाइल महाधिवक्ता के पास पड़ी हुई है. कैबिनेट के फाइल पास होने के बाद महाधिवक्ता के पास सुझाव के लिए जाना ही इस पूरे मामले पर सवाल खड़े कर रहा है.
दरअसल विभाग पशोपेश में है कि इस फाइल को राज्यभवन भेजा जाए या नहीं. साथ ही विभाग इस बात पर भी काम कर रहा है कि आखिर कौन-कौन सी फाइल को अनुमति लेने के लिए राज्यपाल के पास भेजी जाए. छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया था, जो फिलहाल हाईकोर्ट में पेंडिंग है. लेकिन यह साफ हो चुका है कि टीएसी को लेकर विभाग कन्फ्यूज है कि इसे अनुमति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाए या नहीं.
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