Pravin Kumar
Ranchi: करीब दो माह से झारखंड में भाषा को लेकर विवाद चल रहा था जिसे अंततः सरकार ने अधिसूचना जारी कर समाप्त कर दिया. बोकारो और धनबाद जिले से क्षेत्रीय भाषा की सूची में मगही और भोजपुरी को हटा दिया गया है. झारखंड सरकार ने भाषा विवाद को समाप्त करते हुए फिर से नयी अधिसूचना जारी कर दी है. वहीं शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांग्रेस और झामुमो के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी. इस दौरान भाषा विवाद को समाप्त करने के लिए नीतिगत फैसला लेने का आग्रह किया था.
बोकारो और धनबाद जिले से क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाये जाने की अधिसूचना जारी होने के बाद अब इसका श्रेय लेने की होड़ सरकार की साझेदार पार्टियों में भी देखी जा सकती है. लेकिन सरकार के साझेदार कौन किस दल ने भोजपुरी और मगही को बोकारो और धनबाद जिले में शमिल करने का प्रस्ताव दिया था. इस पर जबाब देने से बचते रहे मंत्री जगरनाथ महतो और मंत्री आलमगीर आलम.
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शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने क्या कहा
भाषा विवाद की नयी अधिसूचना जारी होने पर झामुमो कोटे से सरकार में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है, झारखंडियों की सरकार है और यहां सिर्फ झारखंडियों की ही बात सुनी जाएगी. बोकारो और धनबाद से भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटा लिया गया है. मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद सह आभार प्रकट करता हूं. लेकिन लगातार. इन के सवाल पर मंत्री जगरनाथ महतो ने कुछ कहने से इनकार कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि अखिर भोजपुरी और मगही को बोकारो और धनबाद जिले में कैसे शमिल किया गया था. क्या सरकार के कौन साझेदार दल की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया था. इस पर उन्होंने कहा ‘मैं शुरू से ही इसका विरोध कर रहा था. इस बात को अब छोड़िये किसके कहने पर बोकारो और धनबाद में क्षेत्रीय भाषा की सूची में इन भाषाओं को शामिल किया गया था, मैं इसपर कुछ नहीं कहूंगा.’
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने क्या कहा
अधिसूचना जारी होने से पहले शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर धनबाद-बोकारो से क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने का आग्रह किया था. बोकारो और धनबाद में क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को शामिल करने का प्रस्ताव किसका था. इस पर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा सरकार ने जनभावना का ख्याल रखते हुए फैसला लिया है. किसके कहने से क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही को धनबाद और बोकारो में शामिल किया गया, इसपर आलमगीर ने कुछ नहीं कहा.
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