Beijing : चीन में उइगर मुस्लिमों पर किए जाने वाले जुर्मों की बात हम अक्सर सुनते रहे हैं. कहा जाता है कि उन्हें डरा धमका कर रखा जाता है. चीन में उन्हें जो कहा जाता है उइगर मुस्लमान वहीं करते हैं. इस सम्बध में गौर करने वाली बात यह है कि इस जुर्म के खिलाफ न तो कभी पाकिस्तान की जुबान खुलती है और न ही किसी अन्य मुस्लिम देशों की. इसकी वजह ढूंढ़ने पर जो बात सामने आती है वह है मुसलमानों में चीन का खौफ. यह खौफ इस कदर है कि कोई जुबान नहीं खोलता. यह खौफ क्यों है एक चीनी पुलिसकर्मी ने खुद उइगरों को दिए जाने वाले भयानक टॉर्चर का खुलासा किया है. चीन के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित शिनजियांग में जहां लाखों की संख्या में उइगर मुसलमान एक कैम्प में कैद हैं.
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मारपीट से टॉर्चर की शुरुआत, जान भी चली जाती है
उइगर मुस्लिमों पर किए जाने वाले जुर्म पर ब्रिटिश मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में इस चीनी पुलिसकर्मी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पुलिसवाले की पहचान के बारे में जानकारी उजागर नहीं की गयी है. हालांकि इस सम्बध में कई ऐसे दस्तावेज और सबूत सौंपे गये हैं, जिनसे चीन में उइगर मुस्लिमों पर जुर्म के खौफनाक तरीके साफ हो जाते हैं. चीनी पुलिसकर्मी के अनुसार सुरक्षाबल के जवान शिनजियांग में बंद रखे गए जिस भी उइगर मुस्लिमों को पकड़ कर लाते हैं, उन्हें टॉर्चर के लिए एक कुर्सी से बांध कर रखा जाता है. मारपीट से उनके टॉर्चर की शुरुआत होती है . इस पुलिसकर्मी ने बताया कि शुरु में उइगरों को एक बंद कमरे में बांध कर रखा जाता है, जहां पुलिस के जवान उन्हें लात-घूंसों से पीटते हैं और उनकी नंगी पीठ पर कोड़े बरसाते हैं. ऐसे ज्यादातर टॉर्चर में लोगों की जान तक चली जाती है.
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सोने नहीं दिया जाता, झपकी लेने पर पिटाई
पुलिसकर्मी ने उसे टॉर्चर के तरीकों का प्रदर्शन कर के भी दिखाया. उसने बताया कि ज्यादातर मामलों में पिटाई से लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है. टॉर्चर का अगला चरण होता है पीड़ितों को नींद न लेने देने का. हल्की झपकी पर भी उन्हें इतना मारा जाता है कि वे होश गंवा देते हैं और फिर उन्हें होश में लाकर दोबारा पीटा जाता है. कई पुलिसवाले हथौड़े लेकर पीड़ितों के पैर तक तोड़ देते हैं, जिससे उन्हें अस्थायी तौर पर दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है.
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14 साल के बच्चे भी होते हैं टॉर्चर का शिकार
पुलिसकर्मी जियांग ने बताया कि तीसरे चरण के टॉर्चर में उइगरों के गुप्तांगों में करंट लगा दिया जाता है. महिलाओं के लिए टॉर्चर का एक तरीका यह है कि उनके हाथों में हथकड़ी लगा दी जाती है और फिर उनके हाथों को बार-बार मेज पर पटका जाता है. कुछ ही मिनटों बाद उनके हाथ खून से सने होते हैं. पुलिसकर्मी ने बताया कि उसने कई 14 साल के बच्चों को भी इन टॉर्चर का शिकार होते हुए देखा है. खास तौर पर उइगर बच्चों को जिन्हें सिर्फ इसलिए सजा दी जाती है, क्योंकि वे मुस्लिम हैं.