Lagatar Desk
ऑक्सफैम (Oxfam) की एक रिपोर्ट पिछले दिनों आयी थी. इसमें कहा गया था अरबपतियों की संपत्ति में लॉकडाउन काल में 35 फीसदी की बढोतरी हुई है. अब एक और रिपोर्ट के मुताबिक भारत छोड़कर विदेशों में बसने की चाहत यहां के अमीरों में सबसे ज्यादा है. हेनली एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में सबसे ज्यादा भारतीयों ने दूसरे देश में बसने की चाहत को लेकर पूछताछ की है. अमेरिका, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया का नंबर इसके बाद आता है.
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2019 में 7000 भारतीयों ने देश छोड़ा था
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के मुकाबले दूसरे देशों में बसने की चाहत से की गयी पूछताछ में 63 फीसदी का उछाल आया है. 2019 में 7000 भारतीयों ने देश छोड़ा था. आसान शब्दों में कहें तो यह मामला सेकेंड पासपोर्ट से जुड़ा है. यह दो तरीके से होता है. ‘residence-by-investment’ और ‘citizenship-by-investment’. भारत में दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं है. ऐसे में अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश की भी नागरिकता हासिल करना चाहता है, तो उसे भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ेगी. ऐसी चाहत रखनेवाले लोगों के लिए ‘citizenship-by-investment’ प्रोग्राम मुफीद होता है.
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कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं
निर्भय हांडा, जो हेनली एंड पार्टनर्स के साउथ एशिया टीम के डायरेक्टर हैं, कहते हैं कि इसके कई कारण हैं. कई अमीर लोग बेहतर लाइफ स्टाइल के लिए इस प्रोग्राम को अपनाते हैं. इसके अतिरिक्त भी इसके कई फायदे हैं. ग्लोबल ट्रैवलिंग में सेकेंड पासपोर्ट होने पर काफी राहत मिलती है. अगर अर्जेंट बेसिस पर बिजनेस क्लाइंट से मिलना हो, तो आसानी होती है. ऑस्ट्रिया के पासपोर्ट पर 187 देशों और साइप्रस के पासपोर्ट पर 164 देशों के लिए वीजा फ्री यात्रा की सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा बच्चों की बेहतर पढ़ाई, टैक्स में छूट के लिए भी कई रईस लोग ऐसा करते हैं.
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किन देशों के प्रति ज्यादा दिलचस्पी?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों ने कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे ज्यादा पूछताछ की. पैसेवाले भारतीय रेसिडेंसी बाय इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम के प्रति और नॉन रेसिडेंट इंडियन सिटिजनशिप बाय इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम के जरिये सेकेंड पासपोर्ट के लिए ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं.