Ranchi : राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का समर्थन एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में रहेगा या यूपीए प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के पक्ष में, यह अभी तय नहीं हुआ है. शनिवार को जेएमएम विधायक दल की बैठक में तय हुआ कि पार्टी के अंदर कुछ ग्रिवांस है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहले इसे दूर करना चाहिए. फैसला हुआ कि इस बाबत मुख्यमंत्री जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस ग्रिवांस में सबसे प्रमुख ‘आदिवासी सरना धर्म कोड’ लागू कराने की मांग है.
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जेएमएम विधायकों की मांग- पहले केंद्रीय मंत्री से मिल सरना धर्म कोड की करनी चाहिए बात
जेएमएम विधायकों का मानना है कि द्रौपदी मुर्मू के झारखंड के राज्यपाल रहने के दौरान सत्तारूढ़ जेएमएम ने सरना धर्म कोड का प्रस्ताव विधानसभा से पास किया था. ऐसे में अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनती है, तो क्या वे आदिवासी सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड विधानसभा से पारित प्रस्ताव पर कोई पहल करेगी. ऐसे में पहले केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसपर बात करनी चाहिए.
द्रौपदी मुर्मू के राज्यपाल रहते पास हुआ था सरना धर्म कोड प्रस्ताव
आदिवासी सरना धर्म कोड की बात राष्ट्रपति चुनाव में इसलिए भी हो रही है, क्योंकि जेएमएम हमेशा से सरना धर्म कोड का पक्षधर रहा है. पक्षधर भी ऐसा कि 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड मांग का प्रस्ताव पास किया था. उस समय झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू थी. सोरेन सरकार ने विधानसभा में ‘सरना आदिवासी धर्म कोड बिल’ सर्वसम्मति से पास करा केंद्र सरकार को भेजा था. झारखंड सरकार ने कहा था कि इसके जरिए आदिवासियों की संस्कृति और धार्मिक आजादी की रक्षा की जा सकेगी. लेकिन, केंद्र सरकार ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है.
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