LagatarDesk : आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक आज 8 फरवरी को समाप्त हो गयी. जो 6 फरवरी को शुरू हुई थी. बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी रेट की घोषणा की. उन्होंने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा. इस फैसले के बाद आने वाले दिनों में होम और कार लोन की ईएमआई में कोई कमी नहीं आयेगी. अगर रेपो रेट कम होता तो लोगों को कम ईएमआई देनी पड़ती.
STORY | RBI retains repo rate at 6.5 pc for sixth consecutive time
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— Press Trust of India (@PTI_News) February 8, 2024
बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं
केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट को भी 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है. इसके अलावा आरबीआई ने मार्जिनल पॉलिसी फैसिलिटी रेट और बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया है. यह 6.75 फीसदी पर बरकरार है. दास ने 2024 में वैश्विक वृद्धि दर के स्थिर रहने का अनुमान जताया है. आरबीआई ने महंगाई के अनुमानित आंकड़े भी जारी किये हैं. एमपीसी मुद्रास्फीति चार प्रतिशत रहने का अनुमान है. दास ने आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार 2024-25 में भी जारी रहने की उम्मीद जतायी है. रिजर्व बैंक का अनुमान, अगले वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी ग्रोथ रेट) सात प्रतिशत रहेगी. इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब डॉलर पर पहुंचा
आरबीआई के अनुसार, विदेश से भेजे जाने वाले धन के मामले में भारत सबसे आगे रहेगा. वित्त वर्ष 2023-24 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत का सेवा निर्यात मजबूत रहा. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इतना भंडार सभी विदेशी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय रुपये में सबसे कम उतार-चढ़ाव देखा गया. विनिमय दर भी काफी स्थिर बनी हुई है.
वैश्विक अनिश्चतता के बीच देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती
शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चतता के बीच देश की अर्थव्यवस्था मजबूती दिख रही है, एक तरफ आर्थिक वृद्धि बढ़ रही है, दूसरी ओर मुद्रास्फीति में कमी आयी है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है. वृद्धि की गति तेज हो रही है और यह अधिकतर विश्लेषकों के अनुमानों से आगे निकल रही है. गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता का मुख्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव जारी है. कहा कि अंतरिम बजट के अनुसार सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चल रही है.
फरवरी 2023 के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया इजाफा
बता दें कि 8 फरवरी के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा नहीं किया है. 4 मई 2022 को आरबीआई ने अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. वहीं 7 दिसंबर को आरबीआई ने रेपो रेट 35 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. वहीं 8 फरवरी 2023 को आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं.
रेपो रेट बढ़ने से कर्ज लेना होता है महंगा
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.