Santosh Manav
एक हैं अन्नपूर्णा देवी. बीजेपी ने उन्हें नया नाम दिया है- अन्नपूर्णा देवी यादव. इनके स्व. पति राजद में थे. कांग्रेस, लोकदल, जनता दल की राह चलते-चलते राजद वाले हुए थे. निर्दलीय चुनाव लड़ते और हारते रहे. 1990 में वीपी लहर में विधायक बन गए. आठ साल लगातार विधायक – मंत्री रहे. 1998 में अचानक निधन हो गया. घरेलू महिला अन्नपूर्णा देवी नेता हो गईं. 1999 में उपचुनाव हुआ. लालू प्रसाद ने नाम दिया अन्नपूर्णा माई. वे विधायक हो गईं. मंत्री बनी. लगातार चार बार कोडरमा से विधायक चुनी गईं. लेकिन, 2014 में बीजेपी की नीरा यादव से हार गईं. 2019 में राजनीतिक जीवन का बड़ा दांव खेला. बीजेपी संग हो लीं. जिसने राजनीति में स्थापित किया, उसी लालू यादव को भूल गईं. बीजेपी ने सिटिंग सांसद रवींद्र राय का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया. भाग्य ने साथ दिया. हैवीवेट बाबूलाल मरांडी को हराकर कोडरमा से सांसद हो गईं. प्रदेश में बीजेपी की वाइस प्रेसीडेंट बनीं. थोड़े समय बाद केंद्र की बीजेपी कमेटी में भी वाइस प्रेसीडेंट बनीं और थोड़े समय बाद मोदी सरकार में राज्य मंत्री. फिर यूपी में चुनाव के लिए सह प्रभारी. लगता है कि बीजेपी सबकुछ उन्हें ही दे देना चाहता है. अन्नपूर्णा देवी के भाग्य से आह! भरने वाले भी कम नहीं होंगे. घरेलू महिला से केंद्र में मंत्री तक का शानदार सफर जो है. हांलाकि जिस एजुकेशन विभाग की मंत्री बनी हैं, वहां करने को कुछ नहीं है. स्टेटस जरूर बड़ा हो गया. विभाग के मंत्री हैं, धर्मेंद्र प्रधान और तीन-तीन राज्य मंत्री-झारखंड की अन्नपूर्णा, पश्चिम बंगाल के सुभाष सरकार और त्रिपुरा के राजकुमार निरंजन सिंह. पर खबर यह नहीं है.
खबर है कि अन्नपूर्णा को बतौर नेता बीजेपी जोर और शोर से उभार रही है. खबर है कि अन्नपूर्णा बीजेपी की सीएम कैंडिडेट भी हो सकती है. खबर है कि लालू के राजकुमार तेजस्वी ने अन्नपूर्णा का रथ रोकने का बीड़ा उठाया है. समझिए कैसे? अन्नपूर्णा सीएम कैंडिडेट: रघुवर दास पीट गए. सरयू राय पार्टी से बाहर. अर्जुन मुंडा पर दांव बीजेपी खेल चुकी. बाबूलाल बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. बचा कौन? कहां हैं नेता? और जिस तरीके से अन्नपूर्णा देवी यादव को बीजेपी उछाल रही है, क्या उससे नहीं लगता कि वह सीएम कैंडिडेट हो सकती है? अन्नपूर्णा महिला हैं. झारखंड के किसी नेता से बिगाड़ नहीं. किसी से छत्तीस का आंकड़ा नहीं. सब्जी में आलू की तरह सब जगह फिट. बिहार में राजद को टाइट रखने में भी मददगार.
अन्नपूर्णा का रथ कैसे रोकेंगे तेजस्वी : तेजस्वी 18 सितंबर को रांची आए. राजद वाले कह रहे कि तेजस्वी राजद का पुराना जनाधार लौटाएंगे, जो बिखर गया है या घर बैठा है. तेजस्वी हर माह दो बार रांची आएंगे. राजद की जय -जय होगी. खुद तेजस्वी 18 को मीडिया और 19 को कार्यकर्ताओं से कह गए कि राजद झारखंड में सरकार बनाने की हैसियत रखती है. झारखंड में राजद को मजबूत बनाएंगे. और बीजेपी को गरियाना तो हर भाषण का हिस्सा होता ही है. झारखंड में राजद कहां थी? जवाब बिहार से सटे इलाकों में ही. पलामू, कोडरमा, देवघर- गोड्डा में. अपवाद छोड़कर इन्हीं इलाकों में राजद पांच-सात सीटें जीत लेती थी. अब वह बात नहीं रही. फिलहाल राजद का एक विधायक है. वह भी बीजेपी से आया हुआ. झारखंड में राजद का कोर वोटर? वही जो बिहार में है.
कोर वोटर का एक पाया कांग्रेस- जेएमएम के साथ हो गया. इसे नमाज कमरा विवाद से जोड़कर भी पढ़िए. दूसरे पाए का पूरा नहीं, पर अधिकतर बीजेपी के साथ. ऐसे में तेजस्वी अपनी सूझबूझ व मेहनत से कोर वोटर को समेट पाते हैं, तो नुकसान कांग्रेस, जेएमएम ही नहीं बीजेपी का भी होगा. अन्नपूर्णा देवी के विजयी रथ की रफ्तार कम होगी. लालू प्रसाद अन्नपूर्णा देवी से मिले दंश को भी भूले नहीं हैं. उनसे मिलने वाले राजद के लोग बताते हैं कि वे किन शब्दों में अन्नपूर्णा देवी को याद करते हैं. साफ है कि राजद अन्नपूर्णा का रथ रोकना चाहेगी. पर सवाल वही कि क्या तेजस्वी ऐसा कर पाएंगे? यह आसान भी नहीं है!