Gaurav Prakash
Hazaribagh : कभी नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड का चुचीकुबा गांव स्वावलंबन की ओर बढ़ रहा है. दूसरे की खेतों में काम करने वाली महिलाएं आज लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं. मजदूरी छोड़कर गांव की 15 महिलाओं ने एक समूह बनाया है. यह महिलाएं मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई कर रहीं हैं.
बड़े-बड़े मॉल और दुकानों में सुंदर तरीके से पैक मशरूम लोग खूब पसंद करते हैं. मगर जहां ताजी सब्जी की बात हो तो लोग सड़क किनारे टोकरी में सब्जी बेच रही महिलाओं के पास जरूर जाते हैं. ऐसा ही नजारा हजारीबाग पुराने समाहरणालय के मुख्य द्वार पर टोकरी में ताजे मशरूम बेच रही महिलाओं के पास लगी लोगों की भीड़ बता रही है. यहां महिला समूह से जुड़ी महिलाएं खुद की उगाई ताजी मशरूम टोकरी में लेकर बेचती है. इनके ताजे मशरूम लोगों को खूब पसंद भी आ रहे हैं. इन महिलाओं का कहना है कि पिछले 7 दिनों से हर दिन करीब एक क्विंटल मशरूम रोज बेच रही हैं. जिससे अच्छी कमाई हो रही है. परिवार भी अच्छे से चल रहा है. व्यापार बढ़ाने की भी तैयारी में हैं.
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क्या कहती हैं महिलाएं
कटकमदाग प्रखंड के चुचीकुबा से मशरूम बेचने आई संगीता देवी बताती हैं कि पहले दुकानदार को मशरूम बेच देते थे, मगर ऐसे में कमाई कम हो रही थी. हमलोगों ने सोचा क्यों न खुद से ही बाजार जाकर मशरू बेचा जाए. हम लोगों के पास आकर्षक डब्बा तो नहीं है, पर हम टोकरी और थैला में लाकर ताजा मशरूम बेच रहे हैं. हमारे मशरूम को लोग खूब पसंद कर रहे हैं, जिससे हमें अब अच्छी कमाई हो रही है. रोज हमलोग 5 हजार का मशरूम बेच दे रहे हैं.
![मजदूरी छोड़ मशरूम उगा रहीं महिलाएं, खुद बेच कर रही अच्छी कमाई](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/12/24rc_m_95_24122022_1.jpg)
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आशा देवी बताती है कि हमलोग ऑर्गेनिक खाद का उपयोग करके मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. मशरूम ताजा भी है, इस कारण हमारे मशरूम की बिक्री भी खूब हो रही है. हजारीबाग के लोगों की मदद भी मिल रही है. पहले हम लोग किसी के खेत में मजदूरी किया करते थे. लेकिन अब अपने लिए मेहनत कर रहे हैं .जिसका परिणाम भी सामने आ रहा है. आशा देवी बताती हैं कि हमलोगों ने मशरूम के उत्पादन के लिए केजीबीके परिवर्तन संस्था की मदद ली. संस्था के लोगों ने हम लोगों को मशरूम उत्पादन के लिए सामान कम मूल्य में उपलब्ध कराया. साथ ही साथ हमलोगों को नि:शुल्क ट्रेनिंग भी दी. आज गांव की 15 महिलाएं इस व्यापार से जुड़ी हैं. डेढ़ सौ बैग से व्यापार शुरू किया है. इसे बढ़ाने की सोच रहे हैं.